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डियर कमलनाथ सरकार क्या चाहती हो अतिथि विद्वान अपना धरना खत्म ही ना करें ?

 भोपाल : मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में बीते 45 दिनों से प्रदेशभर के असिस्टेंट प्रोफेसरों अर्थात अतिथि विद्वानों का धरना प्रदर्शन राजधानी के यादगार ए शाहजहानी पार्क में चल रहा है। मध्य प्रदेश की सरकार को यह बात तो पता है, कि इस धरना प्रदर्शन के जरिए उसकी कितनी बखिया उधेड़ी जा रही हैं। कमलनाथ सरकार चुनाव के दौरान अपने वचन पत्र में अतिथि विद्वानों के लिए कार्य करने की एवं उनके उत्थान करने की बात करती थी।जिसे सुन  अतिथि विद्वान भी बड़े  प्रसन्न और भावुक हो जाते थे और बरबस सोचने लगते थे कि जब कमलनाथ मुख्यमंत्री बनेंगे तो इनका उत्थान हो जाएगा।  यदि इनका उद्धार हुआ तो बीते कुछ समय से जिन मुश्किलों को यह असिस्टेंट प्रोफेसर अथवा अतिथि विद्वान झेल रहे हैं उससे मुक्ति पा लेंगे।  ऐसा हुआ भी दिसंबर 2018 में शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री पद से हट गए यानी कि भारतीय जनता पार्टी 2018 दिसंबर में सरकार नहीं बना पाई और कांग्रेस पार्टी चार निर्दलीय सपा बसपा के विधायकों की बदौलत सरकार बनाने में कामयाब हो गई।  इस नई नवेली सरकार के मुखिया बने मुख्यमंत्री कमलनाथ।  जिसके बाद अतिथि विद्वानों के लिए तो मानो हर्ष की झड़ी सी लग गई और उन्हें लगने लगा कि अब उनके अच्छे दिन आ गए।  लेकिन यह क्या लगभग 1 वर्ष होने को आ रहा है।  इसके बावजूद भी अतिथि विद्वानों का उत्थान नहीं हो पाया है।  उन्हें अपनी मांग पूरी करवाने के लिए भोपाल के पार्क में बैठना पड़ रहा है। धरने पर पहली बार नहीं बैठे हैं अतिथि विद्वान।  इससे पहले भी अतिथि विद्वानों ने पृथक- पृथक तरीके से अपनी मांग मनवाने के लिए एवं सरकार को अपनी बात बताने के लिए अलग-अलग प्रदर्शन किए थे।  जिसमें राजधानी में भी कई प्रदर्शन किए गए थे।  उस दौरान  सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री यानी कि जीतू पटवारी जिन्हें शिवराज सिंह चौहान सरकार के समय अतिथि विद्वान महिलाओं का केस देना बहुत ही बुरा लगता था। अब वह भी सहज से हो चुके हैं और मानो इन अतिथि विद्वानों की दुख दयनीय स्थिति का अंदाजा होने के बावजूद भी वैसे महसूस नहीं कर पा रहे हैं अथवा महसूस तो कर रहे हैं परंतु इजहार करने से डर रहे हैं।बीते1महीने से द लोकनीति ने कई ग्राउंड रिपोर्ट उस पार्क में हो रहे  प्रदर्शन को लेकर बनाई है  तथा जनता को लगातार दिखाने का प्रयास भी किया है क़ि किस तरह से इस प्रदर्शन के जरिए अतिथि विद्वान सरकार से अपनी मांग मनवाने के लिए जायज़ प्रदर्शन कर रहे हैं।

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