CAB के समर्थन में राज्य सभा में बोले, जेपी नड्डा
CAB के समर्थन में राज्य सभा में बोले, जेपी नड्डा
आयुषी जैन- नागरिकता संशोधन बिल पर भाजपा कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा का बयान सामने आया है.
जेपी नड्डा का कहना है- 1970 के भारतीय जनसंघ के एक रेजोल्यूशन में कहा गया था कि भारत ने अपने वचन और अल्पसंख्यकों की पूरी रक्षा की है।
लेकिन पाकिस्तान ने भी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के आश्वासन का आदर किया होता तो वहां अल्पसंख्यकों की संख्या में कमी न हुई होतीविभाजन के समय नेहरू-लियाकत पैक्ट हुआ था, जिसमें इसकी चिंता थी कि दोनों जगह पर अल्पसंख्यकों को संरक्षण मिले, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
धर्म के आधार पर विभाजन तो हुआ लेकिन पैक्ट सिर्फ कागजों में रह गया, सच्चाई में नहीं रह पाया।
लेकिन पाकिस्तान ने भी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के आश्वासन का आदर किया होता तो वहां अल्पसंख्यकों की संख्या 2.5 करोड़ होनी थी, जो घटकर मात्र 90 लाख रह गई है।” इस बिल से भारत के किसी भी नागरिक के समानता के अधिकार पर किसी तरह से आंच नहीं आ रही है।
1970 के भारतीय जनसंघ के एक रेज्यूलेशन में कहा गया था कि “भारत के लिए गर्व का विषय है कि भारत ने अपने वचन और अल्पसंख्यकों की पूरी रक्षा कि है और उन्हें बराबरी के अधिकार दिए है। भारत में मुसलमानों की तेजी से बढ़ती जनसंख्या इस बात की साक्षी है।
नेहरू-लियाकत समझौता के अंतर्गत इस बात की चिंता की गई थी कि दोनों देशों में अल्पसंख्यकों रक्षा की जाए और उन्हें सम्भाल के रखा जाए।
लेकिन ऐसा हुआ नहीं, क्योंकि धर्म के आधार पर देश का बंटवारा तो हो गया और ये कागजों में रह गया।
इस विभाजन की जब बात करते हैं तो हम कह सकते हैं कि उस समय भारत में अल्पसंख्यक मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बुद्ध, पारसी थे।
पाकिस्तान में उस समय हिंदू, सिख, जैन, बुद्ध, ईसाई, पारसी अल्पसंख्यक थे।
इस नरसंहार के समय उस समय के प्रधानमंत्री ये चाहते थे कि दोनों देशों में अल्पसंख्यकों को सुरक्षा मिले, ये उनकी इच्छा थी।
लेकिन इच्छा होना और सच्चाई में धरातल पर उतरने में जमीन-आसमान का अंतर होता है.