जबलपुर : 7 हजार सिमें फर्जी तरीके से की ऐक्टिवेट, पेटीएम वॉलेट के जरिए कर रहे थे धोखाधड़ी

जबलपुर : 7 हजार सिमें फर्जी तरीके से की ऐक्टिवेट, पेटीएम वॉलेट के जरिए कर रहे थे धोखाधड़ी
- अंर्तराज्जीय सायबर अपराधियों को सिम बेचने वाले तीन पुलिस के फंदे में
- अज्ञात व्यक्ति द्वारा उसके नाम से सिम लेकर किया जा रहा था उपयोग
- राजकुमार सिंह ने राज्य सायबर पुलिस जोन जबलपुर में दर्ज कराई थी शिकायत
- शासन की विभिन्न योजनाओं के नाम पर ग्रामीणों की केवायसी कर लगभग 7000 सिम ऐक्टीवेट की
द लोकनीति डेस्क जबलपुर
शासन की विभिन्न योजनाओं के नाम पर ग्रामीणों की केवायसी कर लगभग 7000 सिम ऐक्टीवेट करके अंर्तराज्जीय सायबर अपराधियों को सिम बेचने वाले तीन आरोपियों को राज्य सायबर पुलिस जबलपुर ने गिरफ्तार किया है। अतिरिक्त पुलिस 1. महानिदेशक सायबर ए. साई मनोहर द्वारा अपराधों के तत्काल निराकरण करने के संबंध में हाल ही में दिये गये निर्देशों के पालन में की गई गयी कार्यवाही में पुलिस अधीक्षक राज्य सायबर पुलिस जोन जबलपुर ने बताया कि शिकायतकर्ता राजकुमार सिंह ने शिकायत दर्ज करायी थी कि उसके नाम पर किस अज्ञात व्यक्ति द्वारा सिम लेकर उपयोग किया जा रहा है। आवेदक की शिकायत को गंभीरता से लेते हुये शिकायत जाँच प्रारंभ की गई।
पेटीएम वॉलेट ऐक्टिवेट कर दूसरे राज्यों में नंबर कर देते थे ट्रांसफर
जाँच के दौरान ज्ञात हुआ कि राजकुमार के अतिरिक्त 118 सिमें बीएसएनएल जबलपुर से आरोपी नीलेश सेन एवं कृष्णा मेहरा द्वारा ऐक्टिवेट की गई तथा उक्त सिमों पर पेटीएम वॉलेट ऐक्टिवेट कर उक्त वॉलेट को पश्चिम बंगाल एंव अन्य राज्यों के नंबरो पर ट्रांसफर कर दिये गये था तथा अग्रिम तकनीकि जाँच में ज्ञात हुआ कि उक्त गिरोह द्वारा लगभग 7000 सिमें फर्जी तरीके से ऐक्टिवेट कर उनमें पेटीएम वॉलेट के माध्यम से देश भर के विभिन्न आवेदको के साथ धोखाधडी की जा रही थी। शिकायत जाँच मे आये तथ्यों की गंभीरता को वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में लेकर त्वरित कार्यवाही कर आरोपी नीलेश सेन, कृष्णा मेहरा एवं अन्य अज्ञात के विरूद्ध धोखाधड़ी व अन्य प्रकरण दर्ज कर विवेचना प्रारंभ की गयी।
सायबर अपराधियों से संपर्क कर बेचते थे सिमेँ
साक्ष्यों के आधार पर ज्ञात हुआ कि उक्त दोनों आरोपियों के अतिरिक्त इस गिरोह में एडविन जैकब भी शामिल है जोकि विभिन्न राज्यों के सायबर अपराधियों से संपर्क कर उक्त सिमों को बेचने का काम करता है। आरोपियों के कब्जे से अपराध में मोबाईल फोन, कुछ अनऐक्टिवेटेड सिम, फर्जी दस्तावेज जप्त किये गये है । आरोपियो द्वारा प्रकरण में स्वयं की पूर्णरूपेण संलिप्तता पाया जाना स्वीकार किया गया, जिन्हें गिरफ्तारी का कारण बताते हुए आरोपियो को गिरफ्तार किया गया एवं गिरफ्तारी की सूचना आरोपियों के परिजनों को दी गई। प्रकरण में निरीक्षक हरिओम दीक्षित, उप निरीक्षक हेमंत पाठक, प्रधान आरक्षक मनीष उपाध्याय, आरक्षक शुभम सैनी एंव अमित गुप्ता की महत्वपूर्ण भूमिका रही।