जबलपुर हाईकोर्ट का फैसला, अब सिर्फ रिश्वत लेना ही नहीं बल्कि रिश्वत देना भी समान दर्जे का अपराध

जबलपुर हाईकोर्ट का फैसला, अब सिर्फ रिश्वत लेना ही नहीं बल्कि रिश्वत देना भी समान दर्जे का अपराध
- चपरासी की नौकरी पाने के लिए 5 लोगों ने दी थी रिश्वत
- रिश्वत देने वालों के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज करने का जारी किया आदेश
द लोकनीति डेस्क जबलपुर
अब सिर्फ रिश्वत लेना ही नहीं बल्कि रिश्वत देना भी समान दर्जे का अपराध माना जाएगा। यह फैसला जबलपुर हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुनाया है। दरअसल चपरासी की नौकरी पाने के लिए 5 लोगों ने रिश्वत दी थी। हाई कोर्ट जस्टिस अतुल श्रीधरन की एकलपीठ ने रिश्वत देने वालों के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज करने के आदेश जारी किए हैं।
रिश्वत लेने वाले आरोपी की अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज की
कोर्ट ने जबलपुर की सिविल लाइन थाना पुलिस को अदालत में चपरासी की नौकरी पाने के लिए रिश्वत देने वाले कीर्ति चौरसिया, लाल साहब साहू, कंचन चौरसिया, शिल्पा कोरी और तरुण कुमार साहू के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को कहा है। साथ ही रिश्वत लेने वाले आरोपी टीकाराम शर्मा जो कि जबलपुर के रांझी क्षेत्र का रहने वाला हैं उसकी अग्रिम जमानत की अर्जी भी खारिज कर दी है।
ये है पूरा मामला
वही याचिका की सुनवाई के दौरान अपनी दलील रखते हुए अधिवक्ता अशोक कुमार चौरसिया ने कोर्ट को बताया कि आवेदक दतिया जिला कोर्ट में चपरासी है। उस पर आरोप है कि उसने जबलपुर जिले के दो उम्मीदवार और नरसिंहपुर जिले के तीन उम्मीदवारों से रिश्वत ली है। आरोपी ने उम्मीदवारों को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर में चपरासी के पद पर नियुक्त कराने के लिए 1 लाख 95 हजार रुपए मांगे थे। पैसे मिलने के बाद चपरासी ने उम्मीदवारों को फर्जी नियुक्त पत्र दे दिया। जब नियुक्त पत्र लेकर उम्मीदवार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर पहुंचे तो उन्हें वहां पता चला कि उनके पत्र फर्जी है, जिसके बाद आज उम्मीदवारों ने आरोपी टीकाराम शर्मा के खिलाफ जबलपुर की सिविल लाइंस थाने में अलग-अलग धाराओं के तहत मामला दर्ज कराया। वहीं आरोपी ने गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत की अर्जी पेश की थी जिसे कोर्ट द्वारा खारिज कर दिया गया।
चपरासी के पद पर नियुक्ति के लिए 1 लाख 95 हजार रुपए रिश्वत दी
वही शिकायतकर्ताओं की तरफ से केस लड़ रहे अधिवक्ता वीके शर्मा ने मामले की सुनवाई के दौरान आरोपी की जमानत की अर्जी पर आपत्ति जताते हुए कहा कि शिकायतकर्ताओं ने 13 नवंबर को मामले की शिकायत हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से भी की थी। अपनी शिकायत में शिकायतकर्ताओं ने बताया था कि उन्होंने आरोपी को चपरासी के पद पर नियुक्ति दिलाने के लिए 1 लाख 95 हजार रुपए रिश्वत दी है।
गलत तरीके से नौकरी पाने के लिए रिश्वत देने वाले शिकायतकर्ता पर कम दोषी नहीं
वही इस पर जवाब देते हुए कोर्ट ने कहा कि गलत तरीके से नौकरी पाने के लिए रिश्वत देने वाले शिकायतकर्ता पर कम दोषी नहीं है, उनके खिलाफ भी तो एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए, जिस पर अधिवक्ता ने शिकायतकर्ताओं के गरीब होने की बात कही, जिसको कोर्ट ने अनसुना कर दिया और पांचों उम्मीदवारों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 12 के तहत सिविल लाइन थाने को रिश्वत देने के लिए एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए।