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Breaking जबलपुर : मनेरी के पास मिले हाथी के ताजे फुट प्रिंट,DFO बोलीं मंडला पहुँचा दूसरा हाथी "राम" 

Breaking जबलपुर : मनेरी के पास मिले हाथी के ताजे फुट प्रिंट,DFO बोलीं मंडला पहुँचा दूसरा हाथी “राम “

  • वापस लौट रहे हाथी की मॉनीटरिंग में एक सैकड़ा से ज्यादा का अमला जुटा
  • साथी हाथी बलराम की मौत से बेखबर हो सकता है दूसरा हाथी राम 
  • वन विभाग का ढीला रवैया ,घंटों बाद भी वही सवालः  दूसरा हाथी सुरक्षित है भी कि नहीं?

द लोकनीति डेस्क जबलपुर
 पिछले दो दिनों से लापता हाथी की लोकेशन आज सुबह मनेरी के पास ग्राम फुटेला के पास मिली है। हालांकि इस हाथी को वन विभाग ने देखा नहीं है, लेकिन सचिंग के दौरान इस हाथी के ताजा फुट प्रिंट गांव में एक किसान के खेत में देखे गए हैं। फ्रेश फुट प्रिंटमिलने के बाद सच्चिंग की टीम में जुटे अधिकारियों इस बात से राहत जताई है कि हाथी लगातार चल रहा है और स्वस्थ है। अब वह उस रूट पर चल रहा है, जहां से वह आया था।

रेस्क्यू ऑपरेशन को लीड कर रहे पेंच टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर व सीनियर आईएफएस विक्रम सिंह परिहार के निर्देशन में चल रही पूरी कार्रवाई के दौरान मैदानी अमले को निर्देशित किया गया है कि वे हाथी को किसी भी हाल में मॉनीटरिंग के दौरान विचलित न होने दें। बताया जा रहा है उक्त हाथी के रेस्क्यू को लेकर कान्हा नेशनल पार्क के तीन हाथी, वेटरनरी डॉक्टर्स, पेंच टाइगर रिजर्व के वेटरनरी डॉक्टर्स और एक्सपर्ट, महावत की टीमें भी साथ में चल रही है। सही लोकेशन मिलते ही हाथी को ट्रैक्यूलाइज कर कान्हा ले जाएगा।वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हाथी को कान्हा नेशनल पार्क में रखा जाना है । लिहाजा वह खुद ही उसी तरफ बढ़ रहा है, ऐसे में जितने दूर वह जा रहा है उसके पीछे ही टीमें दौड़ाई जा रही हैं। भटकने से पहले रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा कर लिया जाएगा।
हाथी की मौत को लेकर होंगे रिसर्च


स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ फाॅरेंसिक लैब जबलपुर में हाथी की मौत को लेकर कई तरह के रिसर्च होंगे, वहीं उसका बिसरा जाँच के लिए सागर लैब को भेजा जाएगा। इससे पता चलेगा कि मौत की वजह सिर्फ करंट ही था या इसके साथ कोई जहरीला पदार्थ तो नहीं खिलाया गया था। हाथी के दाँतों को प्रोटोकॉल के तहत सरकारी खजाने में जमा कराया जाएगा।

डीएफओ (DFO) की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल
सबसे ज्यादा सवाल डीएफओ अंजना सुचिता तिर्की की कार्यप्रणाली पर खड़े किए जा रहे हैं, क्योंकि जबलपुर आने से पहले वे कान्हा टाइगर रिजर्व जैसे नेशनल पार्क की डायरेक्टर थीं। वन्य जीवों की सुरक्षा और उनके रेस्क्यू से जुड़ीं सभी जानकारियाँ भी उन्हें होंगी, लेकिन उनकी तरफ से पहले ऐसे कोई प्रयास क्यों नहीं किए गए यह बड़ा प्रश्न है।

सुअर के शिकार के लिए नहीं जंगली हाथी के लिए बिछाया था करंट 
हालाँकि वन विभाग की इस स्क्रिप्ट पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं। कुछ ग्रामीणों का आरोप है कि करंट के तार सुअरों के लिए नहीं, बल्कि हाथी के लिए ही बिछाए गए थे, लेकिन घायल होने के बाद हाथी मुँह के बल गिरा और उसके दाँत जमीन में धँस गए थे, जिसके कारण शिकारी दाँत निकालने में सफल नहीं हो पाए।

 इनका कहना 

उड़ीसा से भटकर आये हुए जंगली हाथी बलराम की शुक्रवार को करंट लगने से मोहास में मौत हो गयी थी। वही दूसरा भटका हाथी उसी दिन से लापता था,जिसकी खोजबीन में वन विभाग का अमला जोर शोर से लगा था ,ड्रोन से नज़र रखी जा रही थी। ताजा जानकारी में मनेरी के पास हाथी राम के फुटप्रिंट मिले है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि अब वह जंगली हाथी मंडला चला गए है। 

अंजना सुचिता तिर्की , DFO जबलपुर  

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