Kashmir : इंटरनेट क्या होता है आपको पता नहीं होना चाहिए, क्यूंकि आप 20वी शताब्दी में हैं और सबसे अलग भी ! केंद्र आपको कलयुगी नहीं बनाना चाहता।
- 6 महीने में डूबी 5 लाख नौकरियां
- 18 हज़ार करोड़ का हुआ नुकसान
- कई लोग रोज़गार बंद क्र रहे हैं या जगह बदल रहे हैं
- छात्रों की पढाई राम भरोसे
- 2G के नाम पर हुई है सिर्फ ठगी
Bhopal Desk, Gautam Kumar :- तकरीबन 6 महीनो के पाबंदियों के बाद इंटनेट को कुछ और पाबंदियों के साथ कश्मीर में बहाल तो कर दिया गया पर ऐसा इंटरनेट किस काम का जिसका होना और न होना बराबर ही है। न तो छात्र अपनी पढाई से सम्बंधित आकड़े जुटा पा रहे हैं नाही अपने करीबियों से लोग सही से बात कर पा रहे हैं। कई बड़े व्यापारी तो अपना बिज़नेस बंद कर कश्मीर छोड़ने की बात कर चुकें हैं और कई मीडियाकर्मी एक-एक खबर भेजने के लिए घंटो इंतज़ार करते हैं। क्या ऐसे कश्मीर की कल्पना हुई थी 370 हटाने के बाद जैसे की हमे दिख रहा है। या हालात और भी बदत्तर हैं ये छुपाने की कोशिश की जा रही है। इंटरनेट के बंद रहने से लोगों को, अर्थव्यवस्था को और रोज़गार को कितना नुक्सान हुआ है ये आप इन बिन्दुयों से समझें :
जो लोगों को रोज़गार देते थे खुद ढूंढ रहे रोज़गार
इंटरनेट पर से बैन तो हट गया है पर इस 4G के ज़माने में 2G नेटवर्क वह भई वाह। तकरीबन 6 महीनो के इंटरनेट बंद का सबसे ज्यादा असर वहां के रोज़गार पर पड़ा है। जिस 'स्टार्टअप इंडिया' को लांच करने के बाद भाजपा अपनी पीठ थपथपा रही थी उसी योजना को भाजपा ने कश्मीर में हाशिये पर ला दिया है। कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने डाटा प्रोसेसिंग आदि का काम करते थे और कई लोगों को रोज़गार मुहैया करवाते थे आज बंद के कगार पर है।
एक अखबार की माने तो कई ऐसी बड़ी कंपनियां जो चार से पांच सौ लोगों को रोज़गार मुहैया करवाती आज बंद होने के कगार पर है। इसकी सिर्फ एक वजह है इंटरनेट का बंद होना क्यूंकि ये कम्पनियाँ इंटरनेट के दम पर ही अपना काम कर रही थी। सोचिये वे 400 लोग आज बेरोज़गार बैठे हैं तो ऐसे और कितने लोग होंगे।
इकॉनमी को लगा तगड़ा झटका
एक रिपोर्ट की माने तो पिछले दिनों इंटरनेट बंद रहने से सबसे ज्यादा घाटा टेलीकॉम कंपनियों को हुआ है। कई सारे आउटलेट्स तो बंद हुए ही फ़ोन की बिक्री, बैलेंस रिचार्ज ब्रॉडबैंड आदि सब ख़त्म हो गए हैं।
कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के रिपोर्ट की माने तो पिछले 6 महीनो में 5 लाख रोज़गार तो गए ही साथ ही अर्थव्यवस्था को 18 हज़ार करोड़ का झटका भी लगा है। इंटरनेट शटडाउन से सबसे ज्यादा नुकसान सेल फोन सेक्टर को हुआ है। कश्मीर में 30 लाख से ज्यादा मोबाइल फोन यूजर्स हैं। यहां 1,450 रजिस्टर्ड रिटेल मोबाइल स्टोर हैं, जिनमें आठ हजार से ज्यादा लोग काम करते हैं। इंटरनेट शटडाउन से मोबाइल फोन की बिक्री में 90% की गिरावट आई है। इससे सैकड़ों लोगों की नौकरी जाने का भी खतरा है।
मीडिया के कामो पर लगा अंकुश
आज का युग पूरी तरह से इंटरनेट को अपना चूका है। मीडिया में ख़बरों को जल्द और सही तरीके से पेश करना जरूरी है।लेकिन इंटरनेट के बंद होने के बाद यहां के मीडियाकर्मियों के लिए स्टोरी फाइल करना सबसे बड़ी चुनौती है। यहां रहने वाले रिपोर्टर दूसरी जगह जाकर अपनी स्टोरी फाइल कर रहे हैं। कुछ मीडियकर्मियों की माने तो दिन भर की रिपोर्ट के बाद वे लोग दिल्ली वापस जाकर खबरें लगा पा रहे हैं।
इंटरनेट बहाली को लेकर वहां के मीडियाकर्मी कई बार प्रदर्शन भी कर चुकें हैं जिसका कोई भी असर नहीं हुआ है।
क्या ऐसे पढ़ेगा इंडिया
370 लागू होने के बाद तो कई छात्रों ने कॉलेज स्कूल जाना बंद ही कर दिया। क्यूंकि कई दिनों तक शिक्षण संस्थान बंद रहें। पर सबसे ज्यादा दिक्कत उन लोगों को हुई जो कॉम्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं। स्टडी मटेरियल इंटरनेट पर आसानी से उपलब्ध हो जाते थे। पर अब यह मुमकिन ही नहीं है। 2 G के स्पीड से एक फोटो तक व्हाट्सप्प पर नहीं भेज पा रहे हैं। तो स्टडी मटेरियल कहाँ से आएंगे। कई छात्रों ने कोशिश की की दिल्ली जाकर कुछ पढाई करें। पर इसके खर्चे को देखते हुए सभी के लिए यह असंभव दिखाई देता है।
इंटरनेट स्पीड और अनेक पाबंदियों ने इन छात्रों के भविष्य को अन्धकार से भर दिया है। अब जाने कब तक यहाँ स्थितियां सामान हो पाएंगी यह किसी को खबर नहीं है।
ब्रॉडबैंड कनेक्शन बहाल करने से पहले टेलीकॉम कंपनियों से एक बॉन्ड पर साइन करवाया जा रहा है, ताकि यूजर्स सोशल मीडिया एक्सेस नहीं कर सकें। इस बॉन्ड में न सिर्फ सोशल मीडिया बल्कि वीपीएन सर्विस, वाईफाई, एन्क्रिप्टेड फाइल्स, वीडियो और फोटो अपलोड करने की अनुमति भी नहीं देनी की बात कही गई है। इसके साथ ही कम्प्यूटर के सभी यूएसबी पोर्ट को भी डिसेबल करना होगा। अगर इंटरनेट का किसी भी तरह का दुरुपयोग होगा तो उसकी जिम्मेदारी कंपनी की ही होगी। इसके अलावा सुरक्षा एजेंसियों के कहने पर कंपनियों को कंटेंट का एक्सेस भी देना होगा। इनसब पाबंदियों के बाद इंटरनेट देने से अच्छा है की सभी लोगों को सरकार यही बता दे की आप अभी भी 20वि शताब्दी मे हैं और इंटरनेट क्या होता हैं आपको नहीं पता है ? क्योंकि पुरे विश्व से आप अलग हैं और आपको अलग रखने की पूरी ज़िम्मेदारी केन्द्र की है।