*स्थायी समस्या का अस्थायी हल – क्षणिक सुख देगा *
*स्थायी समस्या का अस्थायी हल – क्षणिक सुख देगा *
“एंकाउंटर करना पड़ा तो दस सलाम किया तो एक हज़ार सलाम”
सोशल मीडिया(social media) का कल का ट्रेंडिंग वाक्य।
बलात्कारियों का वध क्षणिक सुकून दे सकता है पर इस क्षणिक सुख की लागत बहुत बड़ी है ।
अपराध जघन्य था , बाली मारे गए , पर सवाल ये है कि हर बार मारने वाले राम हों , और मरने वाले बाली या रावण ये सुनिश्चित कैसे होगा ।
- असली अपराधी तो पहचान लीजिए जो इन चारों का ट्रेनर था उसका क्या ? वो कल एसे नए बाली पैदा करेगा .. बुलेट कम नहीं पड़ेगी अपराधी नहीं बचेंगे उसका विश्वास मत दिलाओ , एक और बेटी कम न हो इसका विश्वास चाहिए।
- एक ट्रक ड्राइवर और तीन क्लीनर एक योजना के तहत गाड़ी पंचर करते है , दुष्कर्म करते है , इस दौरान पीड़ीता की मौत हो जाती है और उसे २५ किलोमीटर दूर ले जा कर जला दिया जाता है ।
- ये सब शराब के नशे में होता है (जैसा पुलिस ने बताया)। शराब सिर्फ़ वो सब करवा सकती है जो एक व्यक्ति के मस्तिष्क में पहले से हो , मस्तिष्क में वो सब आया, कुछ देखकर , और वो सबकुछ आज हर हाथ में फ़्री इंटर्नेट पर मौजूद है ।
सर्वे के अनुसार
एक सर्वे के अनुसार एक पोर्न साइट्स(porn sites) देखने में हम विश्व में तीसरे नम्बर पर है और फ़्री इंटर्नेट हमें इस पर नम्बर १ बना भी देगा ।
US/ UK/ INDIA … आश्चर्य चीन पूरी लिस्ट में कहीं नहीं ( वहाँ इंटर्नेट सेंसरशिप है , वह हमारे यहाँ से चार गुना ज़्यादा उपयोगकर्ता हैं इंटर्नेट के , लेकिन वो सिर्फ़ वो देख सकते है जिसकी अनुमति है ),
ओवर द टॉप वेब सिरीज़(web series) किसी से छुपी नहीं है ।
भारत में 70%( डरानेवाला आँकड़ा) स्मार्ट फ़ोन इंटर्नेट यूज़र्ज़ ये सब आपत्तिजनक कंटेंट देख रहे है हर रोज। आश्चर्यजनक किंतु सत्य US और UK के ट्रेंड के विरुध्द रविवार को ये पोर्न ट्राफ़िक भारत में कम होता है , क्यूँकि अब भी हम सामाजिक है , ये सारे काम हम अपने कार्यालयीन समय और स्कूल कालेज में करते है – हास्यास्पद है ।
एक बेरोज़गार 46% समय इसी पर बिता रहा है ।
दिन भर कचरा दिमाग़ में डालिए शाम को शराब शरीर में डालिए और हो जाइए पिशाच । अपराधों के ट्रेनिंग स्कूल हाथ में है । इंटर्नेट सेन्सरशिप भारत की पहली प्राथमिकता है
चाँद पर बाद में जाएँगे साहेब अपने घर के चाँद की हिफ़ाज़त कर लें ।
भारत की जनता वो बच्चा है जिसे पेट में दर्द है, दवा कीजिए झुनझुना मत बजाइए ।
एक चिंतित भारतीय
सीए असीम त्रिवेदी