चयनित शिक्षकों की नियुक्ति में भारी विसंगतियां, विभाग की गलतियों की वज़ह से शिक्षकों को लगाना पड़ा अभ्यावेदन, अब तक जारी नहीं हुई लिस्ट

चयनित शिक्षकों की नियुक्ति में भारी विसंगतियां, विभाग की गलतियों की वज़ह से शिक्षकों को लगाना पड़ा अभ्यावेदन, अब तक जारी नहीं हुई लिस्ट
- शिक्षक भर्ती में भारी विसंगतियां
- विभाग की लापरवाही भुगत रहे चयनित शिक्षक
- कामना आचार्य ने मानी विभाग की गलतियां
भोपाल/गरिमा श्रीवास्तव:– मध्यप्रदेश की शिक्षक पात्रता परीक्षा 2018 पास करने वाले अभ्यर्थी लगातार सरकार की शोषणकारी नीतियों की वजह से परेशान है उनकी मानसिक स्थिति बद से बदतर होती जा रही है.
चयनित शिक्षकों की नियुक्ति में भारी विसंगतियां पाई गई हैं. विभाग द्वारा की गई गलतियां चयनित शिक्षक भुगत रहे.
आयुक्त और डीपीआई भोपाल के कर्मचारियों की लापरवाही की वजह से कई चयनित शिक्षकों का नाम अंतिम चयन सूची में नहीं दिया गया जबकि वह समस्त अर्हताएं में पूरी करते हैं.जब उन चयनितों द्वारा डीपीआई अपर संचालक कामना आचार्य के सामने सारे दस्तावेजों का दोबारा सत्यापन किया गया तो उसमें यह चयनित योग्य पाये गये.कामना आचार्य द्वारा अभ्यावेदन लगाए शिक्षकों को बताया गया कि विभागीय त्रुटि के कारण आपका नाम रह गया हम संभागायुक्त से बात करेंगे।
जब संभाग आयुक्त ने सारे दस्तावेजों का सत्यापन कराया गया तो वह योग्य पाये गये और उस समय संभाग आयुक्त द्वारा मौखिक रूप से अभ्यार्थी को आश्वस्त किया गया है कि आप इस शिक्षक पद के लिए पूरी तरह से योग्य है।
विभागीय कर्मचारियों की लापरवाही और त्रुटि के कारण चयनित शिक्षकों को मानसिक रूप से प्रताड़ित होना पड़ रहा है.
साथ ही अभ्यावेदन लगाए चयनित शिक्षकों ने यह भी बताया कि उनसे कम नंबर वाले अभ्यर्थी 4 महीने से अपने स्कूल में पदस्थ हैं और उनके साथ नाइंसाफी हो रही है. विभाग ने पहले आचार संहिता का हवाला दिया. आचार संहिता खत्म होने के बाद भी अभी तक इन्हें नियुक्ति पत्र नहीं प्राप्त हुए. इस समस्या को लेकर काफी संख्या में चयनित अभ्यर्थियों ने अभ्यावेदन लगाएं हैं. विभाग द्वारा आज तक किसी भी प्रकार की लिस्ट नहीं निकाली गई और अभ्यावेदन लगाए किसी भी चयनित शिक्षक की स्कूल में नियुक्ति नही हुई. चयनित शिक्षक मानसिक और आर्थिक रूप से काफी परेशान हैं. बताते चलें कि यह अभ्यर्थी वेटिंग अभ्यर्थियों की श्रेणी में नहीं आते हैं.
इस भर्ती में लगातार विसंगतियां सामने आ रही हैं. शिक्षकों के मुद्दे पर सरकार मौन है लेकिन द लोकनीति द्वारा लगातार शुरुआत से शिक्षकों का मुद्दा उठाया गया है और हम तब तक इन शिक्षकों का साथ देते रहेंगे जब तक सभी शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो जाती.