जिनके श्राप से आतंकवादियों के शिकार हो गए थे हेमंत करकरे , जानिये उन साध्वी की अदभुत माया
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- साध्वी के श्राप की वजह से शहीद हुए हैं करकरे
- हेमंत करकरे को किया गया था अशोक चक्र से सम्मानित
अब जो प्रथा बरसों से चली आ रही है उसको तो कोई नहीं बदल सकता हम ये बात यहाँ इसलिए कह रहे हैं क्यूंकि हेमंत करकरे शहीद होने पर जो मध्य प्रदेश की भोपाल लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी की सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने शहीद हुए करकरे को एक विवादित बयान बनाके रख दिया था। अगर हम प्रज्ञा ठाकुर की सुनें तो करकरे शहीद इसलिए हुए थे क्यूंकि करकरे ने प्रज्ञा ठाकुर से दुर्व्यवहार किया था तो ये प्रज्ञा ठाकुर के श्राप की वजह से है।
हम आपको बता दें कि भोपाल से उम्मीदवार बनने के बाद साध्वी प्रज्ञा गुरुवार को पहली बार मीडिया के सामने आई थीं। लेकिन उनका अब ये चौंकाने वाला बयान सामने आया है। प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि उन्होंने मुझे गलत तरीके से फंसाया, मैंने उन्हें बताया था कि तुम्हारा पूरा वंश खत्म हो जाएगा, वो अपने कर्मों की वजह से मरे हैं।
अब ऐसे में सवाल तो ये उठता है की जो करकरे देश के लिए शहीद हो गया और सरकार ने भी जिसे अशोक चक्र से सम्मानित किया हो तो क्या उनके लिए मर गया जैसा शब्द उपयोग करना उचित है ?
साध्वी प्रज्ञा के बयान :
एक सभा में साध्वी प्रज्ञा ने कहा, ‘’एक जांच अधिकारी सुरक्षा आयोग के सदस्य ने हेमंत करकरे को बुलाया और ये निवेदन किया की साध्वी प्रज्ञा को छोड़ दो, लेकिन हेमंत करकरे ने किसी की नहीं सुनी और बोले कि में कुछ भी करूंगा लेकिन सबूत लाऊंगा और साध्वी को नहीं छोड़ूंगा।’’
साध्वी यह भी बोलीं कि , ‘’ये उसकी कुटिलता थी, वो देशद्रोह था, वो एक धर्मविरुद्ध था, वो मुझसे पूछता था कि क्या मुझे सच जानने के लिए अब भगवान के पास जाना होगा, तो उस पर मैंने कहा था कि आपको जरूरत है तो जाइए आपकी मर्जी है।’’
सभा में प्रज्ञा ने कहा , ‘’मैंने उसे कहा था तेरा सर्वनाश होगा, उसने मुझे गालियां दी थीं. जिसदिन मैं गई तो उसके यहां सूतक लगा था और जब उसे आतंकियों ने मारा तो सूतक खत्म हुआ.’’
हेमंत करकरे का परिचय :
हम आपको बता दें कि हेमंत करकरे मुंबई में हुए 26/11 आतंकी हमले में शहीद तत्कालीन एटीएस प्रमुख अफसर थे। हेमंत करकरे मुंबई में हुए हमले में आतंकवादियों की गोलियों का शिकार हुए थे। इसके अलावा जिस मालेगांव सीरियल ब्लास्ट केस में साध्वी प्रज्ञा आरोपी थीं, उस केस की जांच करकरे के पास ही थी हालांकि, उनकी चार्जशीट पर कई तरह के सवाल खड़े भी हुए थे।
हेमंत करकरे का जन्म 12 दिसंबर 1954 को करहड़े ब्राह्मण परिवार में हुआ था। 1982 में बहुत मेहनत के बाद वो एक आईपीएस अधिकारी बने, और यही नहीं महाराष्ट्र के जॉइंट पुलिस कमिश्नर के बाद इनको एटीएस चीफ बनाया गया था। 26 नवंबर 2009 में इस शहीद की शहादत को सलाम करते हुए भारत सरकार ने मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित भी किया था।
सांसद पर क्यों उठने लगे हैं सवाल?
हम आपको बता दें कि साध्वी प्रज्ञा का मुकाबला भोपाल में कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह से है।हम आपको यह भी बता दें कि पहले तहसीन पूनावाला ने उनकी ज़मानत रद्द करने की अपील की और अब मालेगांव धमाके के पीड़ित के पिता ने एनआईए की कोर्ट में याचिका दायर कर उनकी ज़मानत पर सवाल उठा दिए हैं और साथ ही उनके सांसद होने पर भी सवाल उठा दिए हैं।
एनआईए कोर्ट में दायर की गई याचिका में कहा गया था कि साध्वी प्रज्ञा को कोर्ट ने स्वास्थ्य कारणों के चलते जमानत दी थी, तो ऐसे में वह भोपाल से लोकसभा का चुनाव कैसे जीत सकता है।