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मध्य प्रदेश की आधी महिलाओं को नहीं मिल सका जन-धन के 500 रुपए।

  • महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के महिलाओं को इस योजना का सबसे कम फायदा
  •   छत्तीसगढ़ और गुजरात टॉप पर

भारत में कोरोना से मार्च के अंत में  हुए लॉकडाउन के तुरंत बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने तीन महीने के लिये 500 रुपए के मदद का ऐलान कर दिया था। यह मदद भारत के उन सभी महिलाओं के लिए थी, जिनके पास जन-धन अकाउंट थे। यह मदद प्रधामंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत की गई थी ताकि देश की गरीब महिलाओं को घर चलाने में दिक्कत न हो। वैसे तो 500 रुपए में होता ही क्या है, लेकिन फिर भी कुछ न होने से कुछ होना बेहतर है।
सरकार ने कुल कितना पैसा दिया और उससे कितनों की मदद हुई –
ये आकड़ा आपके होश उड़ा देगा। अप्रैल से जून के बीच सरकार ने औसतन 60 करोड़ (600 मिलियन) महिलाओं के जन-धन खाते में 10,300 करोड़ (1.3 बिलियन) रुपए के औसत से तीन किस्तें भेजीं। यानी सरकार ने करीब 40,000 करोड़ रुपए तीन किस्तों में 60 करोड़ महिलाओं के खातों में डाल दिया। लेकिन अप्रैल में 3000 करोड़ रुपए और मई में 4000 करोड़ रुपए ही निकाले गये। यानी इन दो महीनों में केवल 7000 करोड़ रुपये ही निकाले गये। अब एक खाते से 500 रुपए से ज्यादा न तो निकल सकता है और न ही डाला गया था। अब अगर एक खाते से 500 रूपया निकला तो 7000 करोड़ रुपए निकालने के लिये कितने खातों की जरूरत पड़ेगी ? 14 करोड़ खतों की। इसका मतलब पैसे डाले गये 60 करोड़ खातों में और निकाले गये केवल14 करोड़ खातों से।
लेकिन क्यों ?
इसकी दो वजहें हैं, एक तो हमारे देश के ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकों की दूरी ज्यादा होती है और दूसरी लोगों को बैंकों के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं है। बैंकिंग साक्षरता की कमी है, जैसे पैसे कैसे निकालें, एटीएम का कैसे इस्तेमाल करें ये सब नहीं मालूम है।
लेकिन क्या पैसे न निकालने का यही वजह है, अगर है तो हम इसका दावा किस आधार पर कर रहे हैं ?
इंडस ऐक्शन ने 6 से 30 अप्रैल के बीच एक सर्वे के किया था। इस सर्वे में 11 राज्यों के 5242 परिवारों को सैंपल के तौर पर रखा गया था। जो की आर्थिक और सामाजिक रूप से बहुत कमजोर हैं। इस सर्वेकेमुताबिक 59%महिलाओं को जन-धन से पैसे मिले। 34% महिअलों के जन-धन में पैसे ही नहीं आये और 7% महिलायें ऐसी हैं जिन्हें पता ही नहीं है कि उनके खाते में पैसे आये भी या नहीं।

किस राज्य की महिलाओं को सबसे ज्यादा जन-धन में पैसे मिले और किस राज्य की महिलाओं को सबसे कम ?
सर्वे के मुताबिक महाराष्ट्र में सबसे कम 42% महिलाओं के जन-धन खातों में पैसे आये,मधय प्रदेश में 49 %, बिहार में 55 %, उत्तरप्रदेश में  68%, छत्तीसगढ़ में 70 %, और गुजरात में सबसे ज्यादा 75% जन-धन खातों में पैसे आये। कुलमिलकर सभी 11 राज्यों के 59% महिलाओं को पैसे मिले।

5242 परिवारों को लॉकडाउन में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना की दूसरी सुविधाओं का कितना लाभ मिल रहा था?
सर्वे के मुताबिक पीएम किसान निधि का लाभ 57.12% लगों को मिल रहा था , पीएम उज्वला का लाभ 59.44% लोगों को मिल रहा था। पीएम कंस्ट्रक्शन वर्कर्स सपोर्ट का लाभ 21.46% लोगों को मिल रह था।
कोरोना के दौरान जन-धन खाते का फायदा लोग क्यों नहीं उठा पा रहे हैं उससे लेन-देन में क्या -क्या दिक्क्तें हैं ?
इस बात को समझने से पहले आपको इस योजना की शुरुआत कैसे और क्यों हुई इसे समझना पड़ेगा। आप में से तमाम लोगों का जन-धन खाता होगा इसलिये यह जानकारी आपके लिये जरूरी है।
इस योजना की शुरुआत 2014 में की गई थी जिससे की भारत के सभी परिवारों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ा जा सके। इसका दूसरा लक्ष्य लोगों में बैंकिंग साक्षरता को बढ़ाना था।
सरकार की सोच थी कि जन-धन के तहत अगले 4 साल में 7.5 करोड़ लोगों का आकउंट खोल लिया जायेगा। लेकिन इसके शुरू होने के बाद दो महीने के अंदर ही 26 करोड़ खाते खुल गये।
2018 में जब इसके चार साल पुरे हुए तब सरकार ने यह तय किया कि अब इस योजना के जरिये भारत के हर बालिग़ यानी अडल्ट व्यक्ति का अकाउंट खोला जायेगा। सरकार ने इस खाते के जरिये दी जा रही ओवरड्राफ्ट रकम को बढ़ाकर 5000 से 10000 कर दिया और 2000 तक की ओवरड्राफ्ट रकम पर शर्तें और औपचारिकताओं कोकम कर दिया।
इसके साथ-साथ पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविन्द सुब्रमण्यम के सुझाओं पर जन-धन आधार मोबाइल यानी जैम की शुरुआत की गई। जिसका मतलब है जन-धन खाते को मोबाइल नंबर और आधार से लिंक करना। ताकिलोगों को लेन-देन में आसनी हो और बैंक से जुड़ा ज्यादातर काम मोबाइल से ही हो जाये। ये सब तो हो गया लेकिन फिर भी एक सबसे बड़ी कमी रह गई। जिससे लोग जन-धन का फायदा नहीं उठा पा रहे हैं।
3 जून 2020 को बैंक कैटगरीवाइज ने जानकारी दी की भारत के जन-धन खाते कितने और किस-किस बैंक में हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 79.4% जन-धन खाते सरकारी बैंकों में हैं ,17.4% ग्रामीण एवं क्षेत्रीय बैंकों में और 3.2% खाते प्राइवेट बैंकों में हैं।

इनमें से 63% खाते शहरों के बैंक से जुड़े हैं जबकि 37% ग्रामीण क्षेत्र के बैंकों से जुड़े हैं। ये जो 37 % गांव वाले खाताधारक हैं इनकी बैंकिंग समझ बहुत कम है, इसी वजह से ये लोग बैंक से मिल रही तमाम सरकारी फायदों को नहीं ले पाते। अब आप समझ गये होंगे कि कमी कहां रह गई, अगर नहीं समझे तो आगे की जनकारी में सबकुछ साफ हो जायेगा।

इतनी अच्छी मोबाइल बैंकिंग के संसाधनों के बाद भी हमारे देश में करीब 40% लोग बैंकों का फायदा इसलिये नहीं उठा पा रहे हैं, क्योंकी जनधन योजना से पहले इन जनधन खाता धारकों में से अधिकतर लोगों ने कभी भी फॉर्मल बैंकिंग नहीं की थी या इनमें से बहुत से लोगों ने कभी बैंक का इस्तेमाल नहीं किया था। जनवरी 2020 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद को जानकारी दी कि भारत के 37 करोड़ 78 लाख जन-धन खातोंमें से 18.7% खातों में किसी तरह की कोई लेन-देन नहीं हो रही है। जिन राज्यों में जनधन खाते सबसे ज्यादा बंद हैं उनमें उत्तरप्रदेश ,गुजरात और मध्य प्रदेश टॉप पर हैं।

यूके के ओवरसीज डेवलपमेंट इंस्टिट्यूट के मुताबिक कोरोना से पहले जनधन खाते का फायदा उन्हें नहीं मिल रहा था जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है।
भारत के 50 सबसे बड़े जिलों में आज़ादी के बाद से अभी तक 37% लोन साहूकारों से लिया गया है जो की लोन मार्केट का सबसे बड़ा शेयर है।
भारत में बैंकिंग साक्षरता की कमी और ग्रामीण इलाकों में बैंकों की ज्यादा दूरी की वजह से आज हमारे देश की 50% महिलायें सरकारी लाभ नहीं ले सकतीं ध्यान रहे यह समस्या सिर्फ महिलाओं तक सिमित नहीं हैं।
इसी तरह की तमाम रिसर्च बेस्ड खबरों के लिये हमारे साथ बनें रहें।

आदित्य सिंह (स्वतंत्र पत्रकार)

 

 

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