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अतिथि विद्वान : सिंधिया से मिलने के बाद भी नहीं निकला कोई हल, विरोध जताने दोबारा महिलायें करवाएंगी मुंडन

  • सरकार के खिलाफ आन्दोलन तेज़
  • महिलाएं दोबारा करवाएंगी मुंडन
  • अथितिविद्वान दे चुके हैं सुझाव
  • ज्योतिरादित्य सिंधिया से भी हुई है मुलाक़ात

Bhopal, Gautam Kumar :- आज यानी की 26.2.2020. मंगलवार को पूरे 86 दिन हो चुके हैं परंतु मध्यप्रदेश शासन की ओर से किसी भी प्रकार का कोई ऐसा आदेश ना कोई आश्वासन अतिथि विद्वानों को नहीं दिया गया है। जिससे विद्वानों को राहत मिले उच्च शिक्षा मंत्री के द्वारा बार-बार यही कहा जाता है कि कोई बाहर नहीं होगा  सीएम कमलनाथ ने कहा था किसी भी अतिथि विद्वान को बाहर नहीं किया जाएगा। राहुल गांधी जी ने कहा था कि सभी कार्यरत अतिथि विद्वानों को नियमित किया जाएगा परंतु ना राहुल गांधी को अपने वादे याद हैं न मुख्यमंत्री को। अतिथि विद्वानो का आरोप है की वह लोग आर्थिक और मानसिक रूप से बहुत परेशान हो गए हैं क्योंकि उनके पास रोजगार नहीं है। सरकार ऐसी कोई ऐसी नीति नहीं बना पा रही है जिससे कि मध्य प्रदेश के अतिथि विद्वानों को दोबारा रोजगार मिल सके। उनके स्थान पर पीएससी से चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्तियां दे दी गई और अतिथि विद्वानों के लिए कोई भी नीति नहीं बनाई। कांग्रेस सरकार के द्वारा वचन पत्र में किये गए वादे को पुरा ना करने के विरोध में दिनांक 2.03.2020. को दोबारा अतिथि विद्वान महिलाओं के द्वारा भोपाल के शाहजनी पार्क में मुंडन कराया जाएगा।

नियमितीकरण की समस्या को हल करने अतिथिविद्वानों ने सरकार को सुझाव देने का ऑफर दिया
“अतिथिविद्वान नियमितीकरण इतनी बड़ी समस्या नही है, जितनी बड़ी समस्या बनाकर उसे पेश किया गया है। जब कश्मीर और मंदिर-मस्जिद की समस्या का समाधान खोजा जा सकता है तो उसके आगे अतिथिविद्वान नियमितीकरण एक बहुत छोटा और आसानी से हल कर लिए जाने वाला मुद्दा है। यदि कहीं कोई कमी है तो वो केवल सरकार की राजनैतिक इच्छाशक्ति की। जब दूसरे प्रदेशों में इसी प्रकार की समस्या का आसानी से समाधान खोजा जा चुका है तो फिर मध्यप्रदेश में क्या समस्या है।” यह कहना है अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा संयोजक डॉ देवराज सिंह का। उन्होंने आगे कहा है कि  सरकार चाहे तो एक दिन में इस मसले का आसान और सर्वमान्य हाल निकाला जा सकता है। पूर्व की प्रदेश की कांग्रेस सरकारों ने तदर्थ एवं आपाती भर्ती के नाम पर इस तरह की नियुक्तियां की थी। उस समय नियुक्त हुए उम्मीदवार आज कुलपति,  महाविद्यालय प्राचार्य एवं विभागाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदों में अपने कर्तव्य का भली प्रकार निर्वहन कर रहे हैं।

आसानी से संभव है अतिथिविद्वानों का नियमितीकरण
अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ मंसूर अली के अनुसार अतिथिविद्वानों का नियमितीकरण सरकार की मज़बूत इच्छाशक्ति से आसानी से किया जा सकता है। सरकार से लेकर कर्मचारी आयोग तक मे अतिथिविद्वान नियमितीकरण से संबंधित सुझाव जिसमे महत्वपूर्ण कार्यालयीन आदेश, न्यायालयीन प्रकरण एवं माननीय सर्वोच्च एवं उच्च न्यायालय की निर्णय एवं पूर्व सरकारों द्वारा  नियमित किया जाने के प्रकरणों की फ़ाइल विभिन्न विभागों को सौपी गई है। यहां तक कि दूसरे प्रदेशों के अतिथिविद्वानों के नियमितीकरण के प्रकरण से संबंधित दस्तावेज भी उच्च शिक्षा विभाग, मंत्री महोदय एवं कर्मचारी आयोग को उपलब्ध करवाए हैं।

विषय विशेषज्ञ पहले ही सुझा चुके हैं नियमितीकरण के रास्ते
अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा में संयोजक डॉ सुरजीत भदौरिया के अनुसार उच्च शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी पूर्व में ही सुपर न्यूमेरेरी पदों के माध्यम से नियमितीकरण का रास्ता सुझा चुके हैं। किंतु अब तक सरकार की दृष्टि उन सुझावों पर क्यों नही पड़ी, यह सोचनीय विषय है।

आंदोलन ने प्रदान की मज़बूत इच्छाशक्ति
डॉ आशीष पांडेय के अनुसार ” इस आंदोलन का निर्णय चाहे जो निकले लेकिन इस आंदोलन ने हमारी इच्छशक्ति को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हमारे कुछ साथी नियमितीकरण की इस कठिन राह में साथ चलते चलते शहीद हो गए, किन्तु सरकार ने उन लोगों की क़ुरबानी का भी कोई मान नही रखा। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार यदि अपने पक्ष में तटस्थ रवैया अपनाए हुए हैं तो हम भी लक्ष्यकेन्द्रित है। अंतिम सांस तक यह संघर्ष अनवरत जारी रहेगा।”

अतिथिविद्वानों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया से बयान की अपनी पीड़ा
 पिछले 78 दिनों से राजधानी भोपाल के शाहजहांनी पार्क में अतिथिविद्वान नियमितीकरण की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं। अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा में संयोजक डॉ देवराज सिंह के अनुसार 25 तारिख को भोपाल स्थित नूरे सबा होटल में अतिथिविद्वानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने पूर्व केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात कर अतिथिविद्वान नियमितीकरण की अब तक कि सरकार की प्रगति व उच्च शिक्षा विभाग द्वारा अतिथिविद्वानों के प्रति किये जा रहे सौतेले व्यवहार की जानकारी दी। उच्च शिक्षा विभाग अंतर्गत अतिथिविद्वान नियमितीकरण का मुद्दा सर्वाधिक सुर्खियां बटोर रहा है। वचनपत्र की कंडिका 17.22 में शामिल यह मुद्दा सर्वाधिक चर्चाओं में बना हुआ है। यहां तक कि विपक्ष में विधानसभा के शीतकालीन सत्र में अतिथिविद्वान नियमितिकरण के मुद्दे पर भारी हंगामा किया था, जबकि अगला सत्र नज़दीक है। अतः इस बार भी अतिथिविद्वानों का मुद्दा विधानसभा सत्र के दौरान छाए रहने की पूरी संभावना है। बीजेपी ने बयान जारी करके इस बावत सरकार को चेतावनी भी दी है।

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