गाडरवारा : साईंखेड़ा को बनाया जाए जिला , सोशल मीडिया के माध्यम से उठाई जा रही मांग
गाडरवारा : साईंखेड़ा को बनाया जाए जिला : मांग
साईंखेड़ा/गाडरवारा से दीपक अग्रवाल की रिपोर्ट : – इन दिनों साईं खेड़ा को जिला बनाने की मांग सोशल मीडिया के माध्यम से उठाई जा रही है. इसके लिए बकायदा सोशल मीडिया पर एक पेज बनाकर केंपेनिंग की जा रही है. वर्तमान समय में साईंखेड़ा रायसेन जिले की उदयपुरा , बरेली और होशंगाबाद जिले की बनखेड़ी तहसील से सीधा संपर्क रखता है. नगर के वरिष्ठ चिकित्सक डा बी एल चौहान कहते हैं कि साईं खेड़ा को जिला बनाने की मांग कोई नई नही है, सबसे पहले साईखेडा जिला बनाने की मांग को लेकर नागरिकों की एक बैठक आयोजित की गई थी. जिसमें नगर के अनेक वरिष्ठ नागरिक शामिल थे। इसके अलावा वर्ष 1952 मे पहले आमचुनाव मे साईं खेड़ा विधानसभा क्षेत्र था। साईं खेड़ा विश्व प्रसिद्ध संत दादाजी धूनीवाले की लीला स्थली है।
1818 में था साईं खेड़ा परगना
नगर की ऐतिहासिक जानकारी के मुताबिक वर्ष 1818 में सीताबर्डी की लड़ाई के बाद क्षेत्र ब्रिटिश राज के नियंत्रण के अधीन था। इस अवधि में क्षेत्र साईं खेड़ा परगना के रूप में जाना जाता था। 1818 में ब्रिटिश सेना ने चौरागढ़ के किले पर कब्जा कर लिया और 1830 में इस क्षेत्र का नियंत्रण एक समिति को दिया गया था। ब्रिटिश शासन के दौरान इस क्षेत्र का प्रशासनिक सुधार किया गया था और 1836 में क्षेत्र का विभाजन हुआ और साईं खेड़ा परगना को होशंगाबाद जिले में विलय कर दिया गया था।
साईं खेड़ा क्यों बने जिला
पत्रकार कमलेश अवधिया बताते हैं कि वर्तमान साईं खेड़ा तहसील के सिरसिरी,संदूक ,मुआर, मेहरागांव,निमावर, खिरेंटी, पिटरास, जैसे दर्जनों गांव जिला मुख्यालय से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। इसी प्रकार पड़ोसी जिले रायसेन की तहसील उदयपुरा के लोगों को जिला मुख्यालय रायसेन भी बहुत दूर पड़ता है। होशंगाबाद जिले की पिपरिया एवं बनखेड़ी तहसील के लोगों को भी जिला मुख्यालय जाने लगभग 100 किमी दूरी तय करनी पड़ती है। जबकि इन सभी क्षेत्र की तहसीलों के लोगों को अपेक्षाकृत कम दूरी पर एवं सड़क मार्ग से जुड़ा होने के चलते साईं खेड़ा आना सुगम पड़ता है। यदि साईं खेड़ा को जिला बना दिया जाए तो आसपास के अनेकों लोग सहजता से जिला मुख्यालय पहुंच सकते हैं।
प्रस्तावित जिले की संरचना
नगर के युवा दिग्विजय सिंह के अनुसार
नगर के लोगों ने साईं खेड़ा जिला बनाओ अभियान समिति का गठन किया है । इस समिति द्वारा जिले का एक प्रस्तावित नक्शा सोशल मीडिया पर प्रस्तुत किया है जिसके अनुसार प्रस्तावित जिले में वर्तमान नरसिंहपुर जिले की गाडरवारा तहसील, तेंदूखेड़ा तहसील, रायसेन जिले की उदयपुरा तहसील, होशंगाबाद जिले की बनखेड़ी तहसील सांईखेड़ा तहसील को इस जिले में शामिल किया जा सकता है। वहीं होशंगाबाद के उमरधा को तहसील का दर्जा देकर पिपरिया तहसील के ऊमरधा से सटे गांवों को भी ऊमरधा तहसील में शामिल कर इन्हे जिले में लिया जा सकता है। क्योंकि होशंगाबाद जिले के बारछी,अन्हाई,सुरैला,पुरेना, मलकजरा, जैतवारा,कपूरी,सलैया, जैसे गांवों के लोग आज भी अपनी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए साईं खेड़ा पर निर्भर हैं।
किसान नेता राकेश खेमरिया कहते हैं कि साईं खेड़ा क्षेत्र जिले को मोटा राजस्व देता है ।
नरसिंहपुर जिले को खेती से लेकर सभी प्रकार के व्यापार व्यवसाय में सबसे अधिक राजस्व साईं खेड़ा एवं आसपास के क्षेत्रों से मिलता है। केंद्र सरकार का बड़ा प्रोजेक्ट एनटीपीसी पावर प्लांट गाडरवारा तहसील में होने से क्षेत्र का महत्व स्वत: ही बढ़ जाता है। कृषि से लेकर विभिन्न प्रकार के व्यापार, व्यवसाय, दाल मिलें, चीचली का पीतल उद्योग साईं खेड़ा एवं सालेचौका शंक्कर मिले क्षेत्र की पहचान हैं।
साहित्यकार वेणी शंकर पटेल ब्रज कहते हैं कि नर्मदांचल के इस क्षेत्र की पहचान पूरे देश में है।
इस क्षेत्र की अनेक विभूतियों ने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी अलग पहचान बनाई है। जिनमें विश्व प्रसिद्ध संत दादाजी धूनीवाले दार्शनिक संत आचार्य रजनीश, गांगई गांव के महर्षि महेश योगी, भूमानंद जी खडेश्री महाराज , मोनी महाराज पासीघाट , बोहानी के दानवीर चौ राघव सिंह, स्वतंत्रता सेनानी पं रामगुलाम दीक्षित, काशीराम चौरसिया, साहित्य में पं दौलत प्रसाद दुबे, पं नरहरिदत्त बसेड़िया ,दीवानसिंह भदौरिया,फिल्मों के क्षेत्र में अनूठा नाम कमाने वाले गाडरवारा के आशुतोष राणा ,मोहित डागा,से लेकर प्रशासनिक सेवाओं में कमिश्नर परमानंद पेठिया , सेठान गांव से कलेक्टर डी पी तिवारी, एस पी हीरालाल प्रजापति, में इस क्षेत्र ने प्रतिनिधित्व किया है। साईं खेड़ा में जिला बनने की पूरी संभावनाएं होने के बावजूद इसे जिला न बनाना क्षेत्र के साथ अन्याय होगा।
प्रदेश के कई जिले प्रस्तावित साईं खेड़ा जिले की तुलना में छोटे हैं।
साईं खेड़ा को जिला बनाने का आंदोलन जनांदोलन बनने के पूर्व सभी को दलगत राजनीति से हटकर जिला बनाने आगे आना चाहिये