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चैत्र नवरात्रि शुभारंभ होते ही हिंदू नववर्ष की हो जाती है शुरूआत, यहाँ पढ़ें ख़ास जानकारी

सीधी से गौरव सिंह की रिपोर्ट :-25 मार्च दिन बुधवार को नव संवत्सर के साथ ही चैत्र माह की नवरात्रि भी शुरू हो जाएगी। इसी दिन से नव संवत् 2077 शुरू हो रहा है। इस दौरान वसंत ऋतु होने के कारण इसे शारदेय नवरात्र भी कहा जाता है। पं. विपिनाचंद्र ने बताया कि इस बार कोई भी तिथि क्षय नहीं होगी जिससे नवरात्रि पूरे 9 दिनों की रहेगी। वैसे तो चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा का आरंभ 24 मार्च को दिन में 2.58 पर ही हो रहा है लेकिन उदया तिथि 25 मार्च से ही मिलेगी। चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि 24 मार्च दोपहर 2.58 बजे से शुरू होकर 25 मार्च शाम 5.26 बजे तक रहेगी।
चैत्र नवरात्र का महत्व
मान्यताओं के अनुसार चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा का प्राकट्य हुआ था और मां दुर्गा के कहने पर ही ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण किया था इसलिए चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष प्रारंभ होता है। इसके अलावा भगवान विष्णु के 7वें अवतार भगवान राम का जन्म भी चैत्र नवरात्रि में ही हुआ था। नवरात्र भारतवर्ष में हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला प्रमुख पर्व है। इस दौरान मां के 9 अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। वैसे तो एक वर्ष में चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ के महीनों में कुल मिलाकर 4 बार नवरात्र आते हैं लेकिन चैत्र और आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक पडऩे वाले नवरात्र काफी लोकप्रिय हैं। बसंत ऋतु में होने के कारण चैत्र नवरात्र को श्वासंती नवरात्र तो शरद ऋतु में आने वाले आश्विन मास के नवरात्र को शारदीय नवरात्र भी कहा जाता है। चैत्र और आश्विन नवरात्र में आश्विन नवरात्र को महानवरात्र कहा जाता है। इसका एक कारण यह भी है कि ये नवरात्र दशहरे से ठीक पहले पड़ते हैं। दशहरे के दिन ही नवरात्र को खोला जाता है। नवरात्र के 9 दिनों में मां के अलग-अलग रूपों की पूजा को शक्ति की पूजा के रूप में भी देखा जाता है।
इतने बजे होगी घटस्थापना
काशी पंचांग के अनुसार नवरात्रि पूजन द्विस्वभाव लग्न मिथुन, कन्या, धनु तथा कुंभद्ध में प्रारंभ करना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मिथुन, कन्या, धनु तथा कुंभ राशि द्विस्वभाव राशि है अत: इसी लग्न में पूजा प्रारंभ करनी चाहिए। 25 मार्च बुधवार को प्रतिपदा के दिन रेवती नक्षत्र और ब्रह्म योग होने के कारण सूर्योदय के बाद तथा अभिजीत मुहूर्त में घट कलश स्थापना करना चाहिए। घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 25 मार्च बुधवार को सुबह 6.10 बजे से सुबह 10.20 बजे तक रहेगा अथवा अभिजीत मुहूर्त प्रात: 11.58 से 12.49 तक है अत: इसी समयांतराल में कलश स्थापन व पूजन प्रारंभ करना अत्यंत शुभ फलदायी होगा।
विधान कलश स्थापना
पं. विपिनाचंद्र ने बताया कि देवी का कोई भी चित्र संभव हो तो यंत्र प्राण-प्रतिष्ठायुक्त तथा यथाशक्ति पूजन-आरती इत्यादि तथा रुद्राक्ष की माला से जप संकल्प आवश्यक है। जप के पश्चात अपराध क्षमा स्तोत्र यदि संभव हो तो अथर्वशीर्ष, देवी सूक्त, रात्रिप सूक्त,कवच तथा कुंजिका स्तोत्र का पाठ पहले करें। गणेश पूजन आवश्यक है। ब्रह्मचर्य, सात्विक भोजन करने से सिद्धि सुगम हो जाती है।
वायरस के प्रकोप से फीकी रहेगी नवरात्रि
नवरात्रि के अवसर पर लोग पूजा पाठ के लिए लिए जिले मे स्थापित देवी मंदिरों या फिर मैहर शारदा मंदिर अथवा मिर्जापुर विंध्यांचल देवी मंदिर मे लोग जाकर पूजा पाठ करते थे किंतु कोरोना वायरस को लेकर इन तीर्थस्थलों मे प्रवेश पर प्रतिवंध लगा दिया गया है, जिसके कारण भक्त लोग यहां नहीं जा पाएंगे ऐसी स्थिति मे लोग घर मे ही कलश स्थापना कर पूजा पाठ कर सकते हैं।

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