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अतिथि विद्वान बोले, हमारे लिए तो सबसे बड़ा "कोरोना" रही "कांग्रेस सरकार"

मध्यप्रदेश/भोपाल – पिछले 107 दिनों से भोपाल के शाहजहानी पार्क में अतिथि विद्वान अपने नियमितीकरण की मांग को लेकर के आंदोलन कर रहे हैं। इस विषम परिस्थिति में भी उनका हौसला सातवें आसमान पर हैं। वह यही कहते हैं कि यह कोरोना हमारा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा हम नियमितीकरण ही ले करके जाएंगे। कोरोना को यही जला देंगे।

अतिथि विद्वानों का कहना है कि कांग्रेश प्रशासन ने हमें इतना प्रताड़ित किया है कि उस प्रताड़ना से बढ़कर कि यह कोरोना नहीं हैं। कांग्रेश प्रशासन रूपी करोना ने हमारे पांच साथियों की जान ले ली। अब तो हम पंडाल में इतने बचे भी नही है कि उस कोरोना की बराबरी होगी।

अब हम प्रशासन के निर्देशन में काम कर रहे हैं जैसा बता रहे हैं वैसे ही हम रहकर के शासन का सपोर्ट कर रहे हैं।

अतिथि विद्ववानों ने कहा कि हम प्रशासन का सोशल मीडिया के माध्यम से, समाज के माध्यम से तथा अन्य माध्यमों से लोगों को संदेश देते हैं कि आप लोग अपने अपने घरों में ही रहिए। आज हम लोग शासन के सहयोगात्मक सिपाही बने हुए हैं और लोगों को संदेशा पहुंचा करके अपने परम कर्तव्य का पालन कर रहे हैं।

वहीं, अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ सुजीत सिंह भदोरिया का कहना है कि हम अब सामाजिक संगठन के रूप में शासन का सहयोग कर इस संकट की घड़ी में अपने सामाजिक उत्तरदायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। हम शिक्षक हैं हमारा क्या दायित्व है आज इस संकट की घड़ी में वह हम बखूबी जानते हैं। शासन को यह संदेश दे रहे हैं है कि हम शिक्षक हैं और शिक्षक के उत्तरदायित्व का निर्वहन करते हैं। शासन को संदेश दे रहे है, कि शिक्षक और उसके दिल उसके कर्तव्यों को देख लीजिए आप अब इन्हें प्रताड़ित मत करो। हम सब अपने कर्तव्य से विमुख नहीं हो सकते हैं।

इसके अलावा डॉ सुजीत सिंह भदोरिया का कहना है कि हम नवनियुक्त मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से हाथ जोड़कर निवेदन करते हैं कि हम अतिथि विद्वानों की दीन दशा को जाने समझें और हमें सहायक प्राध्यापक पद पर नियमित कर वापस अपने महाविद्यालय में भेज दें। हमारा पूरा अतिथि विद्वान परिवार आपका जीवन भर ऋणी रहेगा और उनकी दुआओं से आपका भाजपा परिवार निरंतर प्रगति के आसमान छूएगा।

जबकि, संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ देवराज सिंह का कहना है कि पंडाल तो हमारा कायम ही रहेगा हम चाहे दो लोग यहां पर रहे या एक लोग रहे। शासन चाहेगा तुम्हारा कोई साथी यहाँ नहीं रहेगा तो हमारा पंडाल तो लगा ही रहेगा। जैसे ही यह संकट की घड़ी कटेगी फिर से आंदोलन में आ जाएंगे आंदोलन तभी खत्म होगा जब हमे नियमितीकरण का आदेश मिलेगा।

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