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किसान आंदोलन: जो नए कृषि कानून मध्यप्रदेश में कारगर नहीं वह पूरे देश में कैसे असरदार होंगे ?

किसान आंदोलन: जो नए कृषि कानून मध्यप्रदेश में कारगर नहीं वह पूरे देश में कैसे असरदार होंगे ?
भोपाल/राजकमल पांडे।
केन्द्र सरकार तीन नए कृषि बिल लाकर जो देश में बवाल मचाया है, वह दिल्ली के दरबार में जमे किसानों के रूप में देखा जा सकता है. कहा जा रहा है कि जो बिल 6 माह पूर्व मध्यप्रदेश में लागू किया गया था तो प्रदेश के किसानों की कमर तोड कर रख दी थी वह कृषि कानून पूरे में लागू करनें के साथ किसानों की क्या स्थिति होगी यह किसी से छिपा नही है. आखिर क्यों केन्द्र सरकार जबरन देश के किसानो पर अपना बिल थोपने का प्रयास कर रही है. जो कानून मध्यप्रदेश में मंडियों को खत्म कर रहा है वह कानून पूरे देश में मंडियों को कैसे बचा लेगा. वहीं मंडी बोर्ड के स्टैस ने एक बात का खुलासा किया है कि नए कृषि कानून से 70 फीसदी मध्यप्रदेश की मंडियों की कमर तोड दी है फिर ऐसे में पूरे देश में मंडियों की तो दुर्दशा ही हो जायेगी. और इसी डर की वजह से किसान लगातार आंदोलन कर रहें हैं. बावजूद इसके केन्द्र सरकार कह रही है कि नए कृषि कानून किसानों के हित में है बताकर बिल को लाना चाह रहे हैं. कृषि बोर्ड के मुताबिक मध्यप्रदेश में अक्टूबर माह मे 47 मंड़ियों व्यापार जीरो दर्ज किया गया है. वही जब मई माह में इस कानून को संसोधित किया गया था तब से लेकर अब तक 6 माह का आंकड़ा देखा जाए तो मालूम होता है कि 47 मंड़ियों ने अपना व्यापार का मुनाफा जीरों दर्ज किया है. वही केन्द्र सरकार चाहती है कि इस नए कृषि कानून को पूरे देश में लागू किया जाए. ऐसे में किसानों का सड़क में उतर कर प्रदर्शन करना कोई दुविधा की बात नहीं है, कहीं न कहीं किसानों को यह डर सता रहा है कि नए कृषि कानून से कृषि और मंड़ियों की कमर टूट जायेगी.1 मई 2020 मप्र कृषि उपज मंड़ी अधिनियम 1973 में संसोधन किये गए थे. 

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