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मशहूर RJ सायमा ने उज्जैन में पुलिस की कार्यवाही को कम्युनल एंगल देने का किया प्रयास, हमने बताई सच्चाई तो ट्वीट किया डिलीट, पेश की सफ़ाई

उज्जैन/शुभम शुक्ला : उज्जैन में चाइनीज मांझा से गला कटने पर हुई युवती की मौत के बाद प्रसाशन ने इससे जुड़े तीन व्यापारियों पर बड़ी कार्यवाही की। चाइनीज मांझा बेंचने वाले तीन दुकानदार अब्दुल जब्बार,विजय भवसार और ऋतिक जाधव के दुकान और मकान से जुड़े अवैध निर्मांण को स्थानीय प्रशासन ने ढहा दिया। लेकिन कुछ असमाजिक तत्वों ने इसे भी कम्युनल एंगल देने का प्रयास किया। सोशल मीडिया पर घर ढहाने का वीडियो वायरल कर दावा किया गया कि अब्दुल जब्बार के मुसलमान होने के कारण प्रशासन ने उन पर ऐसी कड़ी कार्यवाही की। सोशल मीडिया पर वायरल इस झूठ को फैलाने वालों की फेहरिस्त में रेडियो मिर्ची की RJ सायमा का नाम भी जुड़ गया था,उन्होंने पूरे मामले को ट्वीट करते हुए इसे पूरी तरह से कम्युनल करार कर दिया था।

 

 

पहले बताया राज्य का साम्प्रदायिक हमला फ़िर पेश की सफाई

दरअसल अहमद खबीर नामक ट्वीटर यूजर ने पूरे मामले पर एक ट्वीट किया था जिसे कोट करते हुए सायमा ने इसे राज्य का साम्प्रदायिक हमला बता दिया। अंग्रेजी में किए अपने ट्वीट में सायमा ने लिखा कि- “ज़बरदस्त और पूरी तरह से सांप्रदायिक! ऐसा नहीं है कि यह कानूनी रूप से कैसे किया जाता है। यह राज्य का सांप्रदायिक हमला है।” सायमा का यह ट्वीट जब मेरी नजरों में आया तो मैंने इसका उनका स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए उन्हें करेक्ट किया। मैंने सायमा को टैग करते हुए बताया कि यह कोई सम्प्रदायिक नहीं है और न ही इसे सम्प्रदायिक रंग देनें की कोशिश करें, मैंने उन्हें दो अन्य हिन्दू व्यक्तियों पर कार्यवाही का हवाला देते बताया कि इसमें तीन लोगों पर एक ही तरह कार्यवाही की गई है जिनमें 2 हिन्दू हैं। जिसके बाद सायमा ने ट्वीट डिलीट करते हुए अपनी सफाई पेश की।

 

ट्वीट किया डिलीट,सफ़ाई में बोली की तीन लोगों के साथ किया गया है ऐसा जो अलग-अलग धर्म से हैं, इसलिए यह साम्प्रदायिक नहीं

सायमा को जब यह बताया गया कि जिन तीन दुकानदारों पर यह कार्यवाही की गई है उनमें से 2 हिन्दू हैं तब उन्होंने अपने ट्वीट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए एक अन्य ट्वीट में लिखा कि- “यह तीन दुकान मालिकों के साथ हुआ है जो अलग-अलग धर्म के हैं इसलिए इसे सांप्रदायिक नहीं कहा जा सकता। इसलिए इस ट्वीट को डिलीट कर रहे हैं। हालांकि, संपत्ति के विनाश को कभी भी उचित नहीं ठहराया जा सकता है।”

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