हार के बाद भी "महाराज" के समर्थक नहीं छोड़ना चाहते अपना मंत्री पद, अब तक नहीं दिया इस्तीफा
भोपाल से खाईद जौहर की रिपोर्ट – प्रदेश की 28 सीटों पर हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 19 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया।लेकिन सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाले क्षेत्र ग्वालियर चंबल संभाग में सिंधिया समर्थक तीन मंत्री चुनाव हार गए।
जिसमें मंत्री इमरती देवी, राज्य मंत्री गिर्राज दंडोतिया और मंत्री एदल सिंह कंसाना का नाम शामिल हैं।
हार के बाद अगले ही दिन पीएचई मंत्री कंसाना ने तत्काल मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। लेकिन इमरती देवी और गिर्राज दंडोतिया ने अभी तक पद से इस्तीफा नहीं दिया है यानि इन दोनों नेताओं से हार के बाद भी मंत्री पद का मोह नहीं छूट रहा।
बता दे कि इमरती देवी और गिर्राज दंडोतिया द्वारा इस्तीफा नहीं दिया जाना राजनैतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ हैं।
दरअसल, इन दोनों मंत्रियों ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था, जिसमें इनको हार का सामना करना पड़ा। मालूम हो कि इन दोनों को 2 जुलाई 2020 को बिना विधायक बने ही मंत्री बनाया गया था। जसका कार्यकाल एक जनवरी 2021 को खत्म होगा।
बता दे कि संविधान में यह प्रावधान है कि किसी भी ऐसे व्यक्ति को जो बिना विधायक बने मंत्री बनाया जाता है, छह महीने के भीतर विधान परिषद या विधानसभा का सदस्य होना अनिवार्य हैं।
ऐसे में अब इस बात की व्यापक संभावना है कि एक या दो दिन के भीतर यह दोनों इस्तीफा दे सकते हैं। वहीं, खबरों की मानें तो जल्द ही यह दोनों मंत्री मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात करेंगे और इन दोनों को इस बात की सलाह दी जाएगी कि वह भी अपना इस्तीफा सौंप दें।