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New Delhi : शत्रु संपत्ति बेचकर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की तैयारी में केंद्र

New Delhi : Gautam :- देशभर में मौजूद हजारों शत्रु संपत्ति (Enemy Property) से निपटने के लिए और उनसे धन जुटाने के लिए मोदी सरकार ने तीन हाईलेवल कमेटी (Commitee) बनाई हैं। ये कमेटी देश में मौजूद करीब 9400 शत्रु संपत्ति मामलों का निपटारा करेगी, इससे सरकार को करीब 1 लाख करोड़ रुपये का राजस्व आने की संभावना है।
एक तरफ देश की गिरती जीडीपी (GDP) दूसरी तरफ मोदी सरकार की तमाम कोशिशें ज़ारी है। इन्ही कोशिशों का एक नज़ारा जल्द ही आपको देखने को मिलेगा।
अमित शाह की अगुवाई में होगा काम
गृह मंत्रालय के द्वारा जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि शत्रु संपत्ति अधिनियम (Enemy Property Act)के तहत इस फैसले को लिया गया है, जिन कमेटियों को बनाया गया है उनकी अगुवाई गृह मंत्री (Home Minister) अमित शाह करेंगे।

सबसे ज्यादा संपत्ति कहाँ
गौरतलब है कि देश में 9280 पाकिस्तानी नागरिकों की और 126 चीनी नागरिकों की शत्रु संपत्ति है। 2018 में तत्कालीन मंत्री हंसराज अहीर ने राज्यसभा में कहा था कि देश में मौजूद शत्रु संपत्ति की कुल कीमत एक लाख करोड़ रुपये से अधिक है। इसमें 4000 से अधिक संपत्ति उत्तर प्रदेश(UP) में, करीब 2700 पश्चिम बंगाल(West Bengal) में और 487 से अधिक नई दिल्ली (New Delhi) में है।

कुछ समय पहले मोदी सरकार द्वारा शत्रु संपत्ति अधिनियम में बदलाव किया गया है। जिसके तहत देश के बंटवारे के दौरान देश छोड़कर दूसरे देशों यानी पाकिस्तान और चीन में बसे लोगों के उत्तराधिकारियों का अब इस संपत्ति पर कोई दावा नहीं रह गया है।

क्या है शत्रु संपत्ति अधिनियम
शत्रु सम्पत्ति अधिनियम 1968 भारतीय संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है जिसके अनुसार शत्रु सम्पत्ति पर भारत सरकार का अधिकार होगा। पाकिस्तान से 1965 में हुए युद्ध के बाद 1968 में शत्रु संपत्ति (संरक्षण एवं पंजीकरण) अधिनियम पारित हुआ था। इस अधिनियम के अनुसार जो लोग बंटवारे या 1965 में और 1971 की लड़ाई के बाद पाकिस्तान चले गए और वहां की नागरिकता ले ली थी, उनकी सारी अचल संपत्ति 'शत्रु संपत्ति' घोषित कर दी गई। उसके बाद पहली बार उन भारतीय नागरिकों को संपत्ति के आधार पर 'शत्रु' की श्रेणी में रखा गया, जिनके पूर्वज किसी ‘शत्रु’ राष्ट्र के नागरिक रहे हों। यह कानून केवल उनकी संपत्ति को लेकर है और इससे उनकी भारतीय नागरिकता पर इसका कोई असर नहीं पड़ता है।

इस अधिनियम के प्रावधानों को महमूदाबाद के राजा ने अदालत में चुनौती दी थी और सर्वोच्च न्यायालय ने उनके पक्ष में निर्णय दिया था किन्तु 'शत्रु संपत्ति संशोधित अध्यादेश 2016' के लागू होने और 'शत्रु नागरिक' की नई परिभाषा के बाद विरासत में मिली ऐसी संपत्तियों पर से भारतीय नागरिकों का मालिकाना हक़ ख़त्म हो गया है।

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