कोरोना के कहर में भी शासन कर रहा फालेन आउट अतिथि विद्वानों के साथ सौतेला व्यवहार!!
कोरोना के कहर में भी शासन का कर रहा फालेन आउट अतिथि विद्वानों के साथ सौतेला व्यवहार!!
वर्तमान समय में कोरोना जैसी महामारी में भी मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में अध्यापन कार्य करने वाले अतिथि विद्वानों के साथ अन्यायपूर्ण सौतेला व्यवहार कर रही है।
जहां दो से ढाई लाख वेतन पाने वाले नियमित प्राध्यापकों को ड्यूटी के दौरान कोरोना होने से सम्पूर्ण इलाज का खर्च शासन वहन करती है तथा ड्यूटी के दौरान कोरोना से मृत्यु होने पर 50 लाख सहायता राशि परिवारजनों को देती हैं।
वहीं न्यूनतम मानेदय पाने वाले अतिथि विद्वानों से कार्य तो उनसे ज्यादा लिया जा रहा परन्तु उनके लिए शासन से कोई मेडिकल सुविधा नही, मृत्यु होने पर कोई सहायता राशि नही। उनका परिवार सड़क पर आ जाए शासन का कोई लेना-देना नही।
इन्दौर, भोपाल, जबलपुर, खरगौन, छिन्दवाड़ा जैसे अति संक्रमित शहरों में अतिथि विद्वानों को निरंतर कालेज बुलाया जा रहा है जबकि ज्यादातर नियमित प्राध्यापक अवकाश लेकर घर पर आराम कर रहे हैं कि कहीं कोरोना न हो जाय। मजबूर अतिथि विद्वान ड्यूटी पर उपस्थित होने के लिए बाध्य है अन्यथा उसका मानदेय प्राचार्य द्वारा काट लिया जाता है और कारण बताओ नोटिस भी जारी कर दिया जाता है। मजबूर अतिथि विद्वान मरता क्या न करता।
प्रदेश से लगा हुआ पड़ोसी राज्य राजस्थान में इसी तरह की व्यवस्था में कार्य करने वाले समस्त संविदा, मानसेवी, मानदेय प्राप्त करने वाले एवं दैनिक वेतन भोगियों को ड्यूटी के दौरान कोरोना होने पर सम्पूर्ण इलाज एवं मृत्यु होने पर नियमित कर्मचारियों की भांति 50 लाख अनुदान राशि परिवारजनों को उपलब्ध कराने का आदेश दे रखा है।
अतिथि विद्वान के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. सुरजीत सिंह भदौरिया ने मुख्यमंत्री एवं उच्च शिक्षा मंत्री से निवेदन करते हुए कहा कि अत्यधिक संक्रमित शहरों जैसे इन्दौर, भोपाल, जबलपुर, खरगौन एवं छिन्दवाड़ा जैसे शहरों में कार्य करने वाले अतिथि विद्वानों से घर से ही आनलाइन अध्यापन कराया। कुछ दिनों तक महाविद्यालय आने के लिए बाध्य न किया जाय।
इसके अलावा नियमित प्राध्यापकों की तरह अतिथि विद्वानों को भी ड्यूटी के दौरान कोरोना होने पर सम्पूर्ण चिकित्या व्यय या मृत्यु होने पर परिवार को 50 लाख की अनुदान राशि उपलब्ध कराने का आदेश तत्काल जारे कराने की कृपा करें क्योंकि अतिथि विद्वान परिवार चलाने के लिए मजबूरन ड्यूटी तो कर रहे हैं परन्तु कोरोना से बहुत डरे हुए हैं।