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प्रदेशभर के बिजली कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा, इन मांगों को लेकर गए हड़ताल पर

मध्यप्रदेश/भोपाल – केंद्र सरकार की निजीकरण की नीतियों का विरोध और समस्याओं का निराकरण की मांग को लेकर बिजली कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया हैं। देश भर में बिजली कर्मचारियों ने आज कार्य बहिष्कार कर रहे हैं। नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिकल एम्पलाइज एंड इंजीनियर्स के द्वारा कार्य बहिष्कार के आह्वान को मध्य प्रदेश यूनाइटेड फोरम फॉर पावर एंप्लाइज एवं इंजीनियर्स ने पुरजोर समर्थन दिया हैं। इसके अंतर्गत मध्यप्रदेश यूनाइटेड फोरम के बैनर तले संपूर्ण मध्यप्रदेश में भी कार्य बहिष्कार किया जा रहा हैं।
 
इन मांगों को लेकर की गई हड़ताल 

  • पूरे देश में उत्पादन पारेषण एवं वितरण कंपनियों का केरल एवं हिमाचल राज्य विद्युत बोर्ड की तरह एकीकरण किया जाए। 
  • संविदा कर्मियों के नियमितीकरण के साथ-साथ आउटसोर्स कर्मचारियों को तेलंगाना शासन की तर्ज पर संविलियन किया जाए। 
  • अंधोसरचना अनुसार नए पद सर्जन कर उन्हें केवल नियमित कर्मचारी से भरा जाए। 
  • प्रस्तावित विद्युत सुधार बिल 2021 एवं एसबीडी को तुरंत वापस लिया जाए। 
  • प्रदेश एवं केंद्र शासित प्रदेशों में वितरण कंपनियों पर निजी करण को वापस लिया जाए और देश में प्राइवेट लाइसेंसी एवं फ्रेंचाइजी समाप्त की जाए। 
  • नई पेंशन योजना को समाप्त कर पुरानी पेंशन योजना लागू की जाए एवं अनिवार्य सेवानिवृति को विद्युत क्षेत्र में समाप्त किया जाए। 

गौरतलब है कि आज प्रदेशभर के बिजली कर्मचारी हड़ताल पर हैं। बिजली कंपनियों में कार्यरत 30 हजार नियमित, 24 हजार आउटसोर्स और 6 हजार संविदा अधिकारी कर्मचारी सरकार के निजीकरण के फैसले के खिलाफ आज लामबंद हैं। हालांकि, हड़ताल के दौरान अस्पताल, जल आपूर्ति और अदालत जैसी आपात सेवाओं को छोड़कर कहीं और की बिजली खराब होने पर ठीक नहीं की जाएगी।

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