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पॉजिटिव खबर :- हमारी छोरियां छोरों से कम है के? पिता नहीं रहें, लेकिन बेटियों ने पापा का सपना मरने नहीं दिया

 

खरगोन/लोकेश कोचले :– हर पिता की ख्वाईश होती है कि जो वे पुरा नहीं कर सके और न पा सके वो सब उनके बच्चे हासिल करें। ऐसे कई अभिभावक है, जो अपने बच्चों के लिए सपना देखते है और उन्हें अपना ही सपना बना लेते है। कुछ ऐसा ही सपना शासकीय हाईस्कूल ओझरा के प्राचार्य छतरसिंह वास्कले ने देखा था। उन्होंने सपना देखा था कि एक बेटी इंजीनियर और एक बेटी डॉक्टर बने। 
इसी सपने को पूरा करने के लिए दोनों बेटियों ने मेहनत शुरू की, लेकिन सपना पूरा हो इससे पहले ही उनके पिता इस दुनिया को छोड़कर चले गए। 
लोकसभा निर्वाचन में पीठासीन अधिकारी का प्रशिक्षण लेकर लौटते समय एक दुर्घटना में 10 दिसंबर 2018 में उनकी मृत्यु हो गई थी।

 पिता की मृत्यु के बाद 3 बेटियों और एक बेटे के साथ मां शशि ने बुरे समय में बच्चों को हौसला बनाए रखा।

 सेगांव तहसील के जिरातपुरा के इस परिवार के मुसिबत भरे दिनों से बाहर लाने में दोनों बेटियों श्रृद्धा और श्रुति की मेहनत से घर की खुशियां भर गई।

श्रृद्धा अब टीसीएस में इंजीनियर हैं  और श्रुति खंडवा मेडिकल कालेज में पापा के गुजर जाने के बाद दोनों बेटियों ने पिता की ईच्छा को पुरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। बड़ी बेटी श्रृद्धा ने इंदौर के एसजीएसआईटीएस कॉलेज से इंजीनियरिंग पुरी करने  बाद वर्ष 2019 में देश की नामचीन कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस मुंबई में सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन कर पिता के सपने को पुरा किया।
 अब बारी छोटी बेटी श्रुति की थी। पापा की लाड़ली ने भी मेहनत कर इस वर्ष आयोजित हुई नीट की परीक्षा अच्छी रैंक लेकर पास कर ली है। 
श्रुति ने प्रवेश परीक्षा पास करने के बाद कांउसिलिंग में शामिल हुई और उन्हें खंडवा के मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिल गया। 
वास्तव में मेहनत और लगन के भरोसे के साथ माता-पिता के हौसलें के बल पर कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है, यहीं दोनों बहनों ने कर दिखाया है।

इस वर्ष शासकीय स्कूलों के 19 विद्यार्थियों का हुआ चयन

आदिम जाति कल्याण विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2019-20 में चयनित हुए 19 विद्यार्थियों का प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश हुआ है। 19 विद्यार्थियों में 3 छात्राओं की आकांक्षा योजना के तहत कोचिंग कराई गई थी, जिनका चयन शासकीय मेडिकल कॉलेजों में हुआ है। इनमें सविना जाधव का अटल बिहारी मेडिकल कॉलेज विदिशा, सोनल जाधव का नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर, जयंति पंवार का शासकीय मेडिकल कॉलेज छिंदवाड़ा मिला है। इनके अलावा 16 ऐसे शासकीय स्कूलों के विद्यार्थी है, जिनका निजी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश हुआ है। आदिम जाति कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त जेएस डामोर ने बताया कि 28 नवंबर तक चलने वाली काउंसलिंग में शेष बचे विद्यार्थियों का भी काउंसलिंग हो जाएगी।

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