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CAA : कन्हैया कुमार पर हुई पत्थरबाजी , केंद्र सरकार के खिलाफ विभिन्न शहरों में कर रहे हैं प्रदर्शन

Bhopal Desk, Gautam :- कन्हैया कुमार के काफिले पर हमला हुआ है। सीपीआई नेता और जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष रहे कन्हैया कुमार के काफिले पर कुछ अराजक तत्वों ने पत्थरबाजी कर दी। यह घटना बिहार के छपरा की बताई जा रही है। हमले में कई लोग घायल हुए हैं एवं गाड़ियां भी क्षतिग्रस्त हुई हैं।  

ज्ञात हो कि सीपीआई नेता और जेएनयू के पूर्व छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार नागरिकता संशोधन कानून, एनआरपी और एनआरसी के मुद्दे पर केंद्र सरकार के खिलाफ विभिन्न शहरों में जाकर प्रदर्शन कर रहे हैं और लोगों को संबोधित कर रहे हैं।

सरकार के खिलाफ बोलने पर देशद्रोह, पक्ष में बोलने पर इनाम
इससे पहले सीवान के राजेन्द्र स्टेडियम में संविधान बचाओ संघर्ष मोर्चा के बैनर तले सभा में जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने कहा कि देश में किसी की भी सरकार रहे, पार्टी या विचारधारा की बपौती नहीं, देश इन सबसे ऊपर उठकर है, जहां सभी धर्म व मजहब के लोग आपस में मिलजुल कर रहते हैं। आज के हालात में इस देश की सरकार अंग्रेजों की नीतियों पर चल रही है और उसी नीति पर कार्य कर रही है। सरकार के खिलाफ बोलने पर देशद्रोह का मुकदमा कर दिया जाता है, पक्ष में बोलने पर इनाम मिलता है।

40 मिनट के अपने भाषण में नागरिकता संशोधन कानून, एनआरपी व एनआरसी के मुद्दे पर केन्द्र सरकार पर देश में भ्रमित राजनीति करने का आरोप लगाया। कहा कि ऐसी कौन सी परिस्थिति आ गई कि आज एक नागरिक दूसरे को देशद्रोही साबित करने पर तुला है, तो दूसरा सामने वाले पर गोली चलाने को आमादा है। आखिर क्या वजह है कि 70 साल से भारत में रहने वालों को अपनी नागरिकता साबित करने की नौबत आई गई।

अमित शाह ने नौजवानों के हाथ में बंदूक थमा दिया
गृहमंत्री अमित शाह पर निशाना साधते हुये कन्हैया कुमार ने कहा कि नौजवानों के हाथ में बंदूक थमा दिया, तो वहीं पार्टी का झंडा उठाने वालों को देशभक्त का तगमा दे दिया गया। देश में बढ़ती बेरोजगारी की चर्चा करते हुये जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि आज देश में मेरिट की कमी नहीं है, कमी है तो नौकरी की। अगर सरकारी कंपनियों को कार्य नहीं करने की बात कहकर बंद कर दिया जा रहा तो फिर सरकारी पीएम लेकर देशवासी क्या करेंगे। केन्द्र सरकार की खोखली राष्ट्रवादी नीति के कारण आज देश की आर्थिक नीति अपने मूल उद्देश्य से भटक गई है।

 

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