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सभी के लिए बुरा पर "शिवराज" के लिए फायदेमंद रहा कोरोना! सरकार बना ली, सत्र रोक दिया और जाने क्या क्या….. 

सभी के लिए बुरा पर शिवराज के लिए फायदेमंद रहा कोरोना! सरकार बना ली, सत्र रोक लिया और जाने क्या क्या….. 

द लोकनीति डेस्क:गरिमा श्रीवास्तव 

साल 2020 चाहे सभी के लिए खराब रहा हो पर शिवराज सिंह चौहान के लिए यह कोरोना काल काफी बेहतर साबित हुआ. वजह यह कि उन्होंने kamalnath की बनी बनाई सरकार गिरा दी .विधायकों की जमकर खरीद फरोख्त हुई और फिर मिली शिवराज को एक बार फिर से ऊँची कुर्सी…
 सिंधिया के सहारे शिवराज की वापसी:- 
corona की एंट्री से ठीक पहले 9 मार्च के मध्य प्रदेश की राजनीति में दलबदल और तख्तापलट का नया इतिहास बन गया… कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने 23 विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए. और फिर क्या था, 15 महीने पहले ही बनी कमलनाथ की सरकार गिर गई… 20 मार्च को कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया. और विपक्ष में बैठे शिवराज सिंह चौहान को तो  जैसे छप्पर फाड़ के कोई चीज मिलती है, उन्हें मिल गई.

इस उपचुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया और शिवराज सिंह चौहान के साथ केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी। जबकि, कांग्रेस की तरफ से अकेले कमलनाथ ने मोर्चा संभाल रखा था।आखिर में बड़ी जीत भाजपा के नाम हुई .

23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हुए… भाजपा ने पूरे हर्षोल्लास के साथ ताजपोशी की. ताजपोशी के बाद शिवराज एक्टिव हो गए. और जनता के सामने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बड़े-बड़े दावे करने लगे. हालांकि यह बात अलग है कि शिवराज के अधिकतर दावे उनके कॉन्फ्रेंसिंग तक ही सीमित रहें. 
 शिवराज सिंह चौहान ने जैसे ही 23 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण कि उसके अगले दिन से देशभर में संपूर्ण लॉक डाउन लग गया.

 लॉकडाउन जब खुलने लगा फिर मध्य प्रदेश में उपचुनाव का दौर आया..
 अब शिवराज के धुआंधार दौरे शुरू हो गए.. कोरोना काल में जब उप चुनाव नहीं होने थे तब तक मध्यप्रदेश में कोरोना का संक्रमण काफी तेज था और जैसे ही चुनाव नजदीक आने लगे, यहां की राजनीति से कोरोना भी डर सा गया… और फिर वह दौर आया जब सरकार अपने आंकड़े जारी कर कहने लगी कि मध्यप्रदेश में कोरोना का संक्रमण तेजी से कम हो रहा है…. और इस तरह से जनता को लुभाने का प्रयास चलता रहा.. भाजपा के बड़े-बड़े सम्मेलन होने लग गये जिसमें नियमों की खूब धज्जियां उड़ाई गई, हालांकि नियमों की धज्जियां उड़ाने में कांग्रेस भी पीछे नहीं रही.. कांग्रेस ने भी खूब सम्मेलन किए… 

 जनता को खूब छला गया, और जिसे छल में जीत मिली उपचुनाव में भी उसमें ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज कराई. भाजपा ने 28 सीटों में से 19 सीटों पर जीत हासिल की और कांग्रेस महज 9 सीटों पर सिमट कर रह गई. 

 साल के आखिर में प्रदेश की राजनीति काले धन के प्रयोग से गूंज उठी. कमलनाथ सरकार के दौरान पड़े आयकर छापों में पैसा देने और लेने वालों जो सूची बाहर आई उसने बड़ा राजनीतिक भूचाल ला दिया इस सूची में दोनों ही दल के नेताओं के नाम शामिल हैं…. 

 और फिर 28 दिसंबर को होने वाला सत्र 27 दिसंबर की शाम को टाल दिया गया.. इस समय देशभर में किसान आंदोलन चल रहा है  और विपक्ष इस कोशिश में  थी कि कृषि कानून का विरोध ट्रैक्टर से विधानसभा पहुंचकर करेंगे पर शिवराज ने कांग्रेस की रणनीति पर पानी फेर दिया.. और कांग्रेस भी हार मानने वाली नहीं है उनके विरोध करने के तरीके हमेशा अलग ही रहते हैं… कांग्रेस टॉय ट्रैक्टर के साथ विधानसभा में गांधी प्रतिमा के सामने प्रदर्शन करने बैठ गई.. हालांकि यह दिखने में बेहद हास्यास्पद था पर  प्रदर्शन तो प्रदर्शन होता है.. 
 इस तरह से शिवराज सिंह चौहान विधायकों को खरीद कर अपनी सरकार बना चुके हैं.. उन्होंने विधानसभा में विधायकों को शपथ ग्रहण करा दी पर सत्र रोक दिया… 
और फिर बस यह साल आज समाप्त हो रहा है. अब नए साल में नई राजनीति के लिए सभी तैयार रहें… 

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