Computer Baba : कैसे नामदेव दास त्यागी से बन गए कंप्यूटर बाबा, साम-दाम-दंड-भेद सभी में निपुण फिर भी बाबा
गौतम कुमार की विशेष रिपोर्ट
कांग्रेस के नेताओं में नोकझोक थमने का नाम ही नहीं ले रहीं हैं। इस समय जहां सीएम कमलनाथ और कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच तनातनी चल रहीं हैं, वहीं दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के भाई और चाचौड़ा से विधायक लक्ष्मण सिंह ने कंप्यूटर बाबा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया हैं। लक्ष्मण सिंह ने साफ तौर पर कहा कि बाबा के खिलाफ उनके पास कई शिकायतें हैं और समय आने पर वह उन्हें बेनकाब भी करेंगे। लक्ष्मण सिंह ने कंप्यूटर बाबा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि बाबा पहले रेत खदान पर जाता है, डरा धमकाता है और उसके बाद में वसूली करता हैं।
तो आज की हमारी स्पेशल रिपोर्ट कंप्यूटर बाबा के ऊपर ही हैं। पिछले कुछ दिनों से कंप्यूटर बाबा काफी चर्चा में हैं। अवैध रेत खदानों को खुद जाकर बंद करवा रहे हैं और खुद को इनका सबसे बड़ा दुश्मन भी बता रहे हैं। खुद को संत मानने वाले कंप्यूटर बाबा कैसे राजनीती में आ गये और कैसे भाजपा के ज़माने में राज्य मंत्री बने और कैसे बाबा रिवर ट्रस्ट के अध्यक्ष बने सब बतायेंगे हम।
शुरू करते हैं बाबा के जीवन परिचय से
कंप्यूटर बाबा का पूरा और असल नाम नामदेव दास त्यागी है। उनका जन्म सन् 1965 में हुआ था, लिहाजा इस वक्त उनकी उम्र करीब 53-54 साल है। वह मध्य प्रदेश के इंदौर शहर से हैं। ये बाबा नर्मदा नदी की सेवा करने के लिए प्रसिद्ध हैं। बाबा को मॉडर्न जमाने के सभी गैजेट्स जैसे मोबाइल, स्मार्टफोन, लैपटॉप, डोंगल जैसी चीजों से काफी लगाव है। इनमें से उनका सबसे पसंदीदा गैजेट लैपटॉप है और वो अपने साथ हमेशा लैपटॉप रखते हैं।
संत समाज को नामदेव बाबा के गैजेट और प्रौद्योगिकी के प्रति अत्याधिक रुचि काफी दिलचस्प लगी। इस वजह से सन् 1998 में नरसिंहपुर के एक संत ने उनका नाम कंप्यूटर बाबा रख दिया है। उस वक्त से दुनिया उन्हें नामदेव दास त्यागी नहीं बल्कि कंप्यूटर बाबा के नाम से जानने लगी। आपको बता दें कि कंप्यूटर बाबा दिगंबर अखाड़ा के सदस्य भी हैं। आपको बता दें कि कंप्यूटर बाबा संत समाज के सबसे हाईटेक बाबा है। उनके पास कई प्रकार के गैजेट्स मौजूद हैं। वो अपने साथ लैपटॉप तो हमेशा साथ रखते ही हैं, उसके अलावा उनके पास मोबाइल फोन, स्मार्टफोन और वाईफाई के लिए एक डोंगल भी हमेशा साथ रहता है।
बाबा का राजनीतिक झुकाव
भारत में ज्यादातर ऐसा माना जाता है कि बाबा और साधु-संत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानि आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी के हितैशी हैं। इस वजह से 2014 में बाबा को आरएसएस और बीजेपी में शामिल होने का निमंत्रण भी मिला था लेकिन कंप्यूटर बाबा ने उन्हें साफ़ तौर पर इनकार कर दिया बाबा ने यह ऑफर यह कहते हुए ठुकरा दिया कि “भगवा ब्रिगेड ने केवल साधुओं का शोषण किया है और कुछ नहीं”।
पीके का विरोध
2014 के बाद कंप्यूटर बाबा साल 2015 में एक बार फिर सुर्खियों में तब आए जब उन्होंने आमिर खान की लोकप्रिय फिल्म पीके का विरोध किया है। इस फिल्म का विरोध करते हुए कंप्यूटर बाबा ने पीके पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि पीके फिल्म ने हिंदू धर्म का मजाक उड़ाया है। इस विवाद की वजह से 2015 में भी कंप्यूटर बाबा ने थोड़ी बहुत सुर्खियां बटौरी थी।
भाजपा ने बनाया राज्यमंत्री
इसके बाद आया सन 2018 इस समय को ही बाबा का राजनीती में शुरूआती समय मान सकते हैं। इन्होने भाजपा के खिलाफ मुहीम छेड़ने की चेतावनी देते हुए कहा था कि वे एक नर्मदा रथ यात्रा शुरू करेंगे, जो 1 अप्रैल से शुरू होगी और 45 दिनों तक चलेगी। कंप्यूटर बाबा ने कहा था कि यह यात्रा नर्मदा नदी के किनारे पौधे लगाने के दौरान कथित तौर पर हुए भ्रष्टाचार के विरोध में की जाएगी। इसके अलावा उन्होंने कहा कि वो जल्द ही मध्य प्रदेश के तत्कालिन शिवराज सरकार के द्वारा किए गए एक बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा भी करेंगे।
इस घोषणा के बाद मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को चिंता हुई और उन्होंने 31 मार्च 2018 को कंप्यूटर बाबा को मुख्यमंत्री कार्यालय में आने को न्यौता दिया। उस बैठक के बाद शिवराज सरकार ने कंप्यूटर बाबा को समेत 5 संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया। इस उपहार के बाद कंप्यूटर बाबा ने अपनी नर्मदा रथ यात्रा रद्द कर दी और भ्रष्टाचार का खुलासा भी नहीं किया। कंप्यूटर बाबा को राज्यमंत्री बनाने के बाद शिवराज सरकार ने एक समिति नियुक्त की गई जिसका काम नदी के किनारे “वृक्षारोपण, संरक्षण और स्वच्छता अभियान” की देखभाल करना था। शिवराज सरकार ने इस काम की पूरी जिम्मेदारी कंप्यूटर बाबा को सौंपी गई। तो इस तरह बाबा बने राज्य मंत्री और जिस भ्रष्टाचार ने इनको मंत्री बनाया वह आज भी सामने नहीं आया है।
रास नहीं आया राज्यमंत्री का दर्ज़ा
इसके बाद बाबा ने वर्ष 2019 से पहले भाजपा छोड़ दिया और इसके पीछे तर्क दिया कि भाजपा ने उन्हें माँ नर्मदा की सेवा नहीं करने दी इसलिए वह भाजपा का साथ छोड़ रहे हैं और फिर चले गए कांग्रेस के साथ। अब बारी थी 2019 के लोकसभा चुनाव की। बाबा ने साफ़-साफ़ बोला की राम मंदिर नहीं तो मोदी नहीं। यहाँ तक की एलान कर दिया की अगर मोदी जीते तो मै समाधि ले लूँगा। उन्होंने राज्य में कांग्रेस को जीताने के लिए एड़ी-चोटी का जोड़ लगा दिया। भोपाल से कांग्रेस प्रत्याशी रहे दिग्विजय सिंह के समर्थन में रैलियां किन यहाँ तक की देश के कई संतो को भी उन्होंने यहाँ रैली करने का न्योता दिया लेकिन बाबा की सारी मेहनत पर पानी फिर गया और कांग्रेस पुरे प्रदेश में मात्र एक सीट छिन्दवाड़ा जीत पाई। जब बाबा से समाधी के बारे में पूछा गया तो सीधा पलट गए की मैंने ऐसा तो कहा ही नहीं था। पर बाबा तो नेता बनने की ठान चुके थे और नहीं रुके। विधानसभा चुनावों में उन्हें इसका फल भी मिला कांग्रेस ने प्रदेश में जीत दर्ज की और बाबा को नर्मदा, क्षिप्रा और मंदाकिनी रिवर ट्रस्ट का अध्यक्ष बना दिया गया।
अध्यक्ष बनने के बाद से ही बाबा काफी एक्टिव हैं
जबसे बाबा रिवर ट्रस्ट के अध्यक्ष बने हैं काफी एक्टिव दिख रहे हैं बाबा का कहना है कि जबसे उन्होंने अवैध खदानों पर छापेमारी चालु की है तबसे प्रदेश में 35 प्रतिशत रेत के अवैध उत्खनन में कमी आई है। जब एक टीवी चैनल के रिपोर्टर ने बाबा से पूछा कि बाबा आप कहाँ जाने वाले हैं यह मीडिया को पहले ही बता देते हैं की आप कहाँ छापा मारने जा रहे हैं ऐसे में तो वे सतर्क हो जायेंगे, इस सवाल पर बाबा ने कहा की बाबा जब पूर्व बताते हैं तो पश्चिम जाते हैं और जब उत्तर बताते हैं तब दक्षिण जाते हैं। साम-दाम-दंड-भेद सभी गुणों में निपुण कंप्यूटर बाबा ने रेत माफिया के खिलाफ अभियान छेड़ रखा है। पर शायद बाबा का यह अंदाज़ कांग्रेस के कुछ नेताओं को पसंद नहीं आ रहा है। बहरहाल देखना यह है कि लक्ष्मण सिंह सही में कोई खुलासा कार्नर वाले हैं या हमेशा की तरह बस ढोल पीट रहे हैं। बता दें बाबा के पास 27 लाख की घड़ी, 14 किलो सोना, ऑडी, बीएमडब्ल्यू सब है
इससे जुड़ा विडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें