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बड़ी ख़बर : कृषि कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई कमेटी से ख़ुद अलग हुए भूपेंद्र सिंह मान, पत्र लिखकर दी जानकारी

बड़ी ख़बर : कृषि कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई कमेटी से ख़ुद अलग हुए भूपेंद्र सिंह मान, पत्र लिखकर दी जानकारी

 

  • सुप्रीम कोर्ट ने काले कानून को रखा होल्ड पर
  • कमेटी के सदस्य थे भूपेंद्र सिंह मान
  • पत्र लिख दी अलग होने की जानकारी
  • किसान आंदोलन का आज 50 वा दिन
  • दिल्ली को चारों तरफ़ से किसानों ने घेरा
  • 26 जनवरी को निकालेंगे ट्रैक्टर रैली

द लोकनीति डेस्क दिल्ली
नई दिल्ली से शशांक तिवारी की ख़ास रिपोर्ट

जैसे जैसे किसान आंदोलन बढ़ता जा रहा है।
वैसे वैसे हर रोज़ नया मोड़ देखने को मिल रहा है। बता दे बीते 26 नवंबर से किसानो ने दिल्ली के सिघूं बॉर्डर , टिकरी बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर, राजस्थान बॉर्डर, हरियाणा बॉर्डर पर किसानो ने डेरा डाला हुआ है। 

किसानो की केन्द्र सरकार से अब तक 9 बार बात हो चुकीं है लेकिन वार्ता बेनतीजा रहीं
किसान संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट की बनाई कमेटी को ठुकराया

किसान नेताओं ने समिति में शामिल अन्य नामों पर भा ऐतराज जताया था. शीर्ष अदालत की तरफ से बनाई गई चार सदस्यों की समिति में BKU के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान, शेतकारी संगठन (महाराष्ट्र) के अध्यक्ष अनिल घनवत, अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति शोध संस्थान दक्षिण एशिया के निदेशक प्रमोद कुमार जोशी और कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी शामिल हैं. अनिल घनवत ने मीडिया में लिखे अपने लेखों में किसान कानूनों के पक्ष में राय दी थी.

 कृषि कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को मुख्य 5 बिंदुओ में समझे
1)
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एस ए बोबडे ने कहा कि किसी भी किसान की जमीन नहीं बिकेगी. हम समस्या का समाधान चाहते हैं. हमारे पास अधिकार है, जिसमें एक यह है कि हम कृषि कानूनों को सस्पेंड कर दे. 
2) सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें समिति बनाने का अधिकार है, जो लोग वास्तव में हल चाहते हैं वो कमेटी के पास जा सकते हैं. हम अपने लिए कमेटी बना रहे हैं. कमेटी हमें रिपोर्ट देगी. कमेटी के समक्ष कोई भी जा सकता है. हम जमीनी हकीकत जानना चाहते हैं इसलिए समिति का गठन चाहते हैं. 
3) CJI ने कहा कि कल किसानों के वकील दवे ने कहा कि किसान 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली नहीं निकालेंगे. अगर किसान सरकार के समक्ष जा सकते हैं तो कमेटी के समक्ष क्यों नहीं? अगर वो समस्या का समाधान चाहते हैं, तो हम ये नहीं सुनना चाहते कि किसान कमेटी के समक्ष पेश नहीं होंगे. हम चाहते हैं कि कोई जानकार व्यक्ति (कमेटी) किसानों से मिले और पॉइंट के हिसाब से बहस करें कि दिक्कत कहां है.
4) सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी ताकत हमें कृषि कानूनों के गुण और दोष के मूल्यांकन के लिए एक समिति गठित करने से नहीं रोक सकती है. यह न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा होगी. समिति यह बताएगी कि किन प्रावधानों को हटाया जाना चाहिए. फिर वो कानूनों से निपटेगा. 

5) CJI ने कहा कि हम कानून को सस्पेंड करना चाहते हैं, लेकिन सशर्त. हालांकि, अनिश्चितकाल के लिए नहीं. 
हम प्रधानमंत्री से कुछ नहीं कह सकते हैं. प्रधानमंत्री इस केस में पक्षकार नहीं हैं. उनके लिए हम कुछ नहीं कहेंगे. यह राजनीति नहीं है. राजनीति और न्यायपालिका में अंतर है और आपको सहयोग करना होगा.

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