Bhopal :- रेलवे का निजीकरण करने का पहला दुष्परिणाम आया भोपाल में सामने
भोपाल के हबीबगंज स्टेशन मॉडल की तारीफ आपने कई लोगों से सुनी होगी परंतु उसकी एक अन्य तस्वीर हम आपको बताने जा रहे हैं, यह तस्वीर जुड़ी हुई है गरीब वर्ग से जो आप सोच भी नहीं सकते हैं कि वाहन पार्किंग के नाम पर गरीबों से जो शुल्क वसूला जाता है उसका मूल्य 170 से 460 रूपए है | भोपाल स्टेशन की तुलना में यह मूल्य 10 गुना से 20 गुना तक ज्यादा है, अब हबीबगंज स्टेशन पर पार्किंग करने वाले गरीब पैसा नहीं दे पा रहे हैं तो अब प्रबंधन उनका वाहन ज़प्त कर उसकी नीलामी करवाने जा रहा है। शुरू में भी इस तरह की खबरें आई थी कि हबीबगंज रेलवे स्टेशन पर मनमाना जुर्माना जनता से वसूला जा रहा है जो कि अन्य रेलवे स्टेशनों के मुकाबले 5 गुना से 10 गुना तक ज्यादा है, जिसका की लोगों द्वारा पूर्व में विरोध भी किया गया था।
हबीबगंज स्टेशन पर प्राइवेट कंस्ट्रक्शन कंपनी बंसल द्वारा बकायदा एक एडवाइजरी बोर्ड पर पार्किंग के शुल्क तक जारी किए गए थे, पिछले डेढ़ सालों में कुल 65 लोगों ने इस शुल्क को देने से इंकार कर दिया और अपने वाहन को उसी पार्किंग में छोड़ दिया तो अब बंसल कंपनी जो कि उस पूरे हबीबगंज रेलवे स्टेशन के निजीकरण की ठेकेदार है उसने जनता के इस वाहन को नीलामी स्वरूप बेचने का फैसला किया है| हम यह खबर आपको इसलिए भी बता रहे हैं ताकि देश की सरकारों को यह जानना चाहिए की नियम गरीब के लिए मनमाने तरीके से नहीं बनाना चाहिए, उसका शुल्क नहीं दे पाएगा तो वह किस तरह से समानता के दायरे में खुद को खड़ा रख सकता है, क्या सरकार इसी तरह निजीकरण को अपना हत्ता बना कर गरीबों का शोषण करती रहेगी?
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