प्रकृति से लगाव : ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे बनाया जंगल, असम के जादव अब तक लगा चुके हैं 4 करोड़ से भी ज्यादा पेड़

- असम के जोरहट जिले के रहने वाले हैं जादव पायेंग
- जादव ने लगाए 4 करोड़ से भी ज्यादा पेड़
- नदी के किनारे किया जंगल तैयार
असम/अंजली कुशवाह: प्रकृति को बचाने और पेड़ लगाने की बात तो सभी करते हैं. लेकिन इस तरह के साहस भरे काम हर कोई कर पाएं ऐसा देखने को कम ही मिलता हैं. जो काम मन में ठान लो वो काम असंभव नहीं होता हैं, इस बात को सच कर दिखाया हैं असम के जादव पायेंग ने. असम में रहने वाले जादव ने अपनी मेहनत के बलबूते पर 4 करोड़ से भी अधिक पेड़ लगाकर, माजुली द्वीप पर एक जंगल तैयार किया दिया है जो खुद में ही एक मिसाल हैं.
“फॉरेस्ट मैन ऑफ इंडिया” के नाम से मशहूर हैं जादव मोलई पायेंग
बता दें कि असम के जोरहट जिले के रहनेवाले जादव पायेंग ने, ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे 1,360 एकड़ ज़मीन पर जंगल बना दिया है. उनके द्वारा की गयी इस नेक पहल से उन्होंने न सिर्फ हजारों जंगली जानवरों को एक बसेरा दिया है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की एक अनोखी मिसाल भी कायम की है. वह अब तक 4 करोड़ से भी अधिक पेड़ लगा चुके हैं. इस नेक उपलब्धि के कारण साल 2015 में, उन्हें पद्म श्री सम्मान से भी नवाजा जा चुका है. साथ ही उनकी इस उपलब्धि से उन्हें असम कृषि विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट (पीएचडी) की उपाधि भी मिल चुकी है. इसके अलावा जादव पायेंग को उनके साहस और प्रकृति के अनुकरणीय योगदान के लिए जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय ने सम्मानित किया और उन्हें एक नए नाम Forest Man Of India से नवाज़ा गया हैं.
बचपन से ही प्रकृति से रहा खास लगाव
बता दें कि जादव पायेंग का जन्म, असम के जोरहाट जिले के एक छोटे से गांव कोकिलामुख में साल 1963 में हुआ. उन्हें बचपन से ही प्रकृति से खास लगाव रहा है. असम में 1979 के दौरान भयंकर बाढ़ आई थी. उस समय 16 साल के जादव ने देखा कि ब्रह्मपुत्र के किनारे कई जानवर मृत अवस्था में पाए गए. सैकड़ों मरे हुए सांप रेत पर आ गए थे और भूमि कटाव के चलते आसपास की पूरी हरियाली नदी ने निगल ली थी. जिसकी वजह से वहां के पशु-पक्षियों का बसेरा छिन गया. इस घटना ने जादव के मन पर गहरा असर पड़ा.
इस घटना के बाद उन्होंने तय कर लिया कि वह खूब सारे पेड़-पौधे लगा कर एक बड़ा जंगल बनाएंगे. जिससे ज्यादा से ज्यादा वन्य जीवों सुरक्षित रह सकें. जादव ने अपने इस नेक विचार को गांववालों के साथ बांटा, लेकिन गाँववालो ने उनके इस विचार पर सहमत नहीं हुए. क्योंकि ग्रामीणवासियों के अनुसार यह काम कठिन था और बिना किसी सरकारी मदद के संभव भी नहीं था. लेकिन जादव पायेंग ने हार नहीं मानते हुए खुद ही इस नेक काम की पहल की. काम के शुरुआती दौर में, उन्होंने 20 पौधे लगाए और धीरे-धीरे यह संख्या बढ़ती गई और लगभग 1,360 एकड़ जमीन अब एक बड़े जंगल में तब्दील हो गई हैं.
“फॉरेस्ट मैन” नाम से बन चुकी हैं डॉक्यूमेंट्री फिल्म
आज जादव पायेंग को पूरी दुनिया फॉरेस्ट मैन के तौर पर जानती है. कनाडा के फिल्मकार मैकमास्टर ने जादव पायेंग के जीवन पर ‘फॉरेस्ट मैन’ नाम से डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी बनाई है. यह फिल्म साल 2014 में रिलीज हुई थी और इस फिल्म को अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है.
मेक्सिको से मिला हैं पौधा रोपण का आमंत्रण
एक रिपोर्ट के अनुसार जादव पायेंग का कहना है कि इस दौर में हम सभी को मिलकर प्रकृति की रक्षा करनी होगी. उन्होंने कहा, “प्रकृति का बचाव सबसे ज्यादा जरूरी है. मुझे मैक्सिको में तकरीबन आठ लाख हेक्टेयर जमीन पर पेड़ लगाने के लिए आमंत्रित किया गया है. पिछले साल दिसंबर के महीने में मैक्सिको के राष्ट्रपति ने पौधा रोपण के लिए आमंत्रण भेजा था. मुझे जब यह आमंत्रण मिला, तब मुझे गर्व महसूस हुआ कि प्रकृति के लिए वह जो कुछ भी कर रहे हैं, उसकी बात दूर तक पहुंच रही है.
उन्होंने बताया कि मैक्सिको में पौधे लगाने के लिए वह, वहां के हजारों छात्रों को इस मुहिम का हिस्सा बनाएंगे. जादव पायेंग और मैक्सिको सरकार के बीच हुए एक समझौते के तहत पायेंग को अगले दस साल तक साल के अंतिम तीन महीने, मैक्सिको में ही रहना है, जहां वह आठ लाख हेक्टेयर जमीन पर पेड़ लगाएंगे. इसके लिए उन्हें मैक्सिको सरकार की तरफ से दस साल का वीजा दिया गया है.
बता दें कि जादव पायेंग द्वारा की गयी यह नेक पहल हर वर्ग के लोगों के लिए प्रेरणा की मिसाल बन चुकी हैं. दुनिया में हरियाली तेज़ी से ख़तम हो रही हैं जो प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग जैसी परेशानियों का कारण बनती जा रही हैं. जादव पायेंग से सीख लेते हुए इस प्रकृति को बचाने के लिए हम सभी को मिलकर एक छोटी सी पहल करते हुए अपने आस पास पौधरोपण को बढ़ावा देना चाहिए.