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अगर जिंदा होते अटल, तो क्या कहते देखकर अपनी पार्टी की विभाजनकारी नीति को? आज 95वीं अटल जयंती

नई दिल्ली से पॉलिटिकल रिपोर्टर विवेक पांडेय की रिपोर्ट – महज़ 02 सीट से भारतीय जनता पार्टी का कैरियर शुरू हुआ था और उस दौरान अटल बिहारी वाजपेई भारतीय जनता पार्टी के वह स्तंभ हुआ करते थे जिन के अनुरूप ही ना केवल पार्टी गाइडलाइन बल्कि अन्य सैद्धांतिक विरासत भी भाजपा ने उन्हीं के क्रियान्वयन और उन्हीं के मार्गदर्शन में शुरू की थी। शायद किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि जिस पार्टी को सन 1984 में मात्र 2 सीट मिले वह आगामी नए भारत का वह इतिहास लिखने जा रही है जिसके प्रश्न अकल्पनीय होंगे। भारतीय जनता पार्टी आज के समय में यानी कि साल 2019 की बात करें तो अपने सरकार के क्रियान्वयन व उसके द्वारा लाए जा रहे नए कानूनों को लेकर देश में विरोध में गिरी हुई है। 

आज अटल जी होते तो क्या निर्णय लेते एनआरसी पर ? क्योंकि कहते हैं कि अटल बिहारी वाजपेई ही वह शख्स थे जिनके दौरान कश्मीर में ना केवल प्यार, मोहब्बत का माहौल बना बल्कि कश्मीरियत को भी एक नए अपनत्व का भाव मिला और जिसको स्वीकार आज भी कश्मीरी करते हैं। जिसकी वर्तमान समय में काफी कम कमी दिखाई देती है। अटल जी के ही कार्यकाल में हमने पोखरण में इतिहास भी रचा था। यह अटल जी की ही कार्य क्षमता थी जिसके दौरान हमने कारगिल फतह की। किंतु आज की भाजपा और पूर्व की भाजपा बहुत बदल सी गई है और यह बात हम अटल जी के पंचानवे जन्म दिवस पर इसलिए भी बोल रहे हैं कि जो बदलाव साफ तौर पर नजर आ रहा है जिसे देश का हर वर्ग स्वीकार भी कर रहा है तो ऐसे समय में इस देश में सिर्फ धर्म के नाम पर दरार बांटना या दरार बांधना कितना उचित है फैसला आप पर।

केवल 2 सीटों से की था भारतीय जनता पार्टी के कैरियर की शुरुआत, आज है पार्टी के पास 303 सीटे 

1984 – 2 Seats
1989 – 85 Seats
1991 – 120 Seats
1996 – 161 Seats
1998 – 182 Seats
1999 – 182 Seats
2004 – 138 Seats
2009 – 116 Seats
2014 – 282 Seats
2019 – 303 Seats

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