सरकार की नीतियों का फिसड्डी दौर, प्याज की मार झेलते प्रदेश में अब लगभग 32 फीसदी आवक हुए कम
सरकार की नीतियों का फिसड्डी दौर, प्याज की मार झेलते प्रदेश में अब लगभग 32 फीसदी आवक हुए कम
भोपाल.प्याज की महंगाई से पूरा प्रदेश परेशान है जिसकी वजह से लोगो को प्याज खरीदने में आंसू आ रहे है लेकिन सरकार जितनी भी नीतियों के दावे कर लेकिन आम आदमी को महंगाई की मार झेलनी ही पड़ रही है इसी कड़ी रिकॉर्ड तोड़ बारिश से प्याज की फसल को हुए नुकसान के कारण लोगों को अब महंगी खरीदनी पड़ रही है। विदेशों से आयात एवं नई फसल की आवक शुरू होने के बाद भी दाम कम नहीं हुए। खुदरा बाजार में क्वालिटी प्याज 80 से 100 रुपए किलो है। भारत सरकार के एगमार्क नेट पोर्टल के अनुसार वर्ष 2018-19 (अप्रेल-दिसंबर) में मंडियों में 1520451 मीट्रिक टन की आवक हुई थी। इस वर्ष 2019-20 में 1023053 मीट्रिक टन प्याज की आवक हुई है। इस तरह लगभग 32 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है।
प्याज की कीमतों पर लगाम लग सकती है, लेकिन छोटे सौदे बाहर ही हो रहे हैं। बताया जाता है कि 2012 से फल-सब्जी (लहसुन-प्याज भी) टैक्स फ्री है। कई आढ़तिए मंडी के बाहर ही माल खरीदकर सप्लाई कर रहे हैं। इससे मंडियों में आवक का सही आकलन नहीं लग पा रहा है। ऐसे में होलसेल से लेकर खुदरा बाजार में किल्लत हो रही है।
सरकारी दावे
सरकार का कहना होता है कि प्याज के अपने सरकारी स्टोर है उससे आम लोगो तक प्याज पहुंचाई जाएगी जिससे प्याज और सब्जियों में किसी भी तरह की किल्लत लोगो को नही झेलनी पड़ेगी लेकिन ये सरकारी स्टोर आम आदमी की पहुंच से इतने दूर होते है कि इन तक सामान्य तरीके से कोई व्यक्ति नही पहुंच सकता है।