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अजमेर ज़िला भाजपा अंतर्कलह के चलते ख़तरे के निशान से ऊपर,पार्टी के एक दर्जन वरिष्ट नेता और कई विधायक उनको हटाने की मुहीम में एक जुट

अजमेर ज़िला भाजपा अंतर्कलह के चलते ख़तरे के निशान से ऊपर

पार्टी के एक दर्जन वरिष्ट नेता और कई विधायक उनको हटाने की मुहीम में एक जुट

भस्मासुर नवीन शर्मा को केकडी और ख़ुद मसूदा से चुनाव लड़ने की तैयारी का आरोप

  अजमेर /भारती चनपुरिया : –   ब्यावर के विधायक शंकर सिंह रावत और ज़िला देहात भाजपा अध्यक्ष देवीशंकर भूतड़ा के बीच राजनीतिक दरार की अगर समय रहते मरम्मत नहीं की गई तो इसका खामियाज़ा निकाय चुनाव में भाजपा को भुगतना पड़ेगा। इन दोनों नेताओं के बीच की दूरियां गहरी खाइयों में तब्दील हो गई है ।दोनों ही नेता एक दूसरे के विरुद्ध ज़हर घोलने का काम कर रहे हैं, जिससे भाजपा दो भागों में बंटती जा रही है।
 ब्यावर में जब विधायक शंकर सिंह रावत कोई कार्यक्रम या आंदोलन करते हैं तो भूतड़ा स्वयं और उनके समर्थक उससे निश्चित दूरी बनाकर रखते हैं और जब भूतड़ा कोई कार्यक्रम बनाते हैं तो रावत और उनके समर्थक उन्हें दूर से सलाम कर लेते हैं। खरबूजे पर चाकू गिरे या चाकू पर खरबूजा नुक़सान खरबूजे का ही हो रहा है ।पार्टी इस गुटबाज़ी के दंश को भुगत रही है ।
 जिले में भाजपा की यह अंतर कलह अब ब्यावर विधानसभा क्षेत्र तक सीमित नहीं रही बल्कि पूरे ज़िले की भाजपाई नसों में यह ज़हर घुल चुका है ।
 खासतौर से देवीशंकर भूतड़ा के इतिहास और कार्यप्रणाली को लेकर जिले के दर्जन भर शक्ति सम्पन्न राजनेता उनको हटाने की मुहिम में शामिल हो गए हैं ।कुछ नेता तो उनके विरुद्ध खुलकर सामने आ गए हैं। विधायक शंकर सिंह रावत भूतड़ा को फूटी आंख देखना पसंद नहीं करते ।चुनावी इतिहास गवाह है कि भूतड़ा ने टिकट न मिलने पर भाजपा को धोका देकर शंकर सिंह रावत के विरुद्ध निर्दलीय चुनाव लड़ लिया था। उनके समर्थकों ने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के पुतले तक जलाए थे।ओम माथुर के पुतले की राख अभी भी उड़ रही है। विभिन्न चुनावी मंचों पर भाजपा हाईकमान को उन्होंने पानी पी पीकर कोसा था।  छोटे से बड़े नेताओं तक को गालियां बकी थीं। वे पार्टी विरोधी काम करते रहे ऐसा मैं नहीं कह रहा।मैं तो उनका कट्टर समर्थक हूँ मगर विधायक शंकर सिंह रावत का ऐसा  मानना है ।अब तो पार्टी के अन्य कई वरिष्ठ नेता भी उनकी शिकायतें विभिन्न स्तर पर हाईकमान को कर रहे हैं।
 भूतड़ा के विरुद्ध भाजपा का बहुत बड़ा तबका मुखर हो चुका है और लग रहा है इनकी कीमत पार्टी को चुकानी ही पड़ेगी। कहा जा रहा है कि देहात भाजपा अध्यक्ष बी पी सारस्वत के कार्यकाल में जिस तरह भाजपा एक सुनियोजित रणनीति के तहत चल रही थी, सभी को साथ लेकर चला जा रहा था, अब  वह रणनीति बंटाधार हो चुकी है।
  उनके विरुद्ध प्रचार में जुटे नेता खुले आम कह रहे हैं कि पार्टी में उनकी वापसी को यह समझा जा रहा था कि उनके सारे गुनाह पार्टी ने बड़ा दिल रख कर माफ कर दिए हैं और वे नए सिरे से पार्टी को मजबूती देंगे ,….मगर उन्होंने तो पार्टी में आते ही दुश्मन बनाने शुरू कर दिए ।
 उन पर आरोप है कि उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की रायशुमारी को ताक पर रख दिया गया है ।अपनी टीम में दागी और निष्क्रिय लोगों को शामिल कर लिया है। इनमें कुछ तो इतने शक्तिहीन हैं जो अपने कमरे में से पांवों से चल कर  बाहर तक नहीं निकल सकते ।  रावत के विरुद्ध पार्टी से बाग़ी होकर चुनाव लड़कर मात्र 6000 वोट पाने वाले भूतड़ा को पार्टी ने 6 साल के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया था ।उन्हें क्या सोचकर पार्टी ने वापस लिया पार्टी जाने मगर भूतड़ा अब पार्टी के लिए भस्मासुर साबित हो रहे हैं । ऐसा मैं नहीं कह रहा । मैं तो उनका कट्टर समर्थक हूँ। ये सब पार्टी के लगभग एक दर्जन वरिष्ठ नेता कह रहे हैं ।इनमें तीन विधायक भी शामिल हैं।पार्टी विरोधी गतिविधियों में चर्चित रहे लोगों को जिस तरह उन्होंने अपनी टीम में समर्थन दे रखा है उसे लेकर भी वे नेताओं के नेज़े पर हैं। जिस नवीन शर्मा को वे अपना बॉडीगार्ड मानकर चल रहे हैं उन पर आरोप है कि उन्होंने नसीराबाद में भाजपा उम्मीदवार सांवरलाल जाट के पुत्र रामस्वरूप लांबा को हराने में क्या नहीं किया था। उन्होंने समाज विशेष के विरुद्ध जिस तरह ज़हर उगला उसे समाज आज भी नहीं भूला है। ये में नहीं कह रहा।मैं तो उनका कट्टर समर्थक हूँ। अब उन्हें पार्टी के मंडलों का प्रभारी बना दिया गया है ।विरोधियों को  लगता है कि भूतड़ा नवीन शर्मा को केकड़ी से चुनाव लड़ना चाहते हैं ।ब्राह्मण वोटों के दम पर और खुद मसूदा से चुनाव लड़ने की मंशा रखते हैं।  जिला कार्यकारिणी में उन्होंने आधा दर्जन पार्टी के साथ दगा करने वाले दागियों को लेकर विद्रोह के रास्ते खोल दिए है और यह भी में नहीं कह रहा। में तो उनका कट्टर समर्थक हूँ।
  हाल ही में भूतड़ा ने सांसद दीया कुमारी का दामन थामा है। जब शंकर सिंह रावत ने  जिला बनाने का आंदोलन किया तो उन्होंने बीमारी की बात कह कर उनसे दूरी बनाए रखी। अब अचानक सांसद दिया कुमारी के ब्यावर आने पर उनकी तबीयत ठीक हो गई ।उन्होंने ज्ञापन दिया जिसमें विधायक रावत नहीं आए। हल्ला बोल कार्यक्रम का विधायक रावत ने ही नहीं भाजपा के 6 मंडल अध्यक्षों व कई पदाधिकारियों ने बहिष्कार किया। हारकर उन्होंने एक महामंत्री और कुछ कार्यकर्ताओं के साथ ज्ञापन देकर पीछा छुड़ाया । ये मैं नहीं कह रहा।विरोधी कह रहे हैं।मैं तो उनका कट्टर समर्थक हूँ।
  मैं क्यों कि भूतड़ा  का कट्टर समर्थक हूँ इसलिए भूतड़ा जी को राय दे रहा हूँ कि वे समय रहते या तो अपने विरोधियों को संतुष्ट कर दें अन्यथा इस्तीफा देकर अपनी बीमार काया को आराम पहुंचाने की दिशा में सोचें।मुझे उनकी बहुत चिंता है।अभी हाल उनके हार्ट में  वॉल्व लगा है।  उनकी तबीयत  खराब रहने लगी है । कोरोना काल है उनको अपनी सेहत को प्राथमिकता देनी चाहिए।ये पार्टी पालिटिक्स उनके काम नहीं आने वाली है l 

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