Special Report:- वायु प्रदूषण का बाल स्वास्थ्य पर दुष्परिणाम,
- वायु प्रदूषण का बाल स्वास्थ्य पर दुष्परिणाम
Bhopal Desk:-
कहा जाता है कि बच्चे समाज का भविष्य होते हैं। बचपन से ही बच्चों का ध्यान रखना सबसे महत्वपूर्ण होता। इस परिपेक्ष में स्वास्थ्य अपनी अहम भूमिका निभाता है। एक रिपोर्ट के माध्यम से ज्ञात हुआ कि हर दिन पूरी दुनिया में 15 साल से कम वर्ष के बच्चे ऐसी प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं जो उनके स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक साबित होता है। यह बच्चों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालता है। जिसका सीधा असर बच्चे के विकास पर होता है।इस गंभीर समस्या के कारण आए दिन कई बच्चों की मौत हो जाती है। दुनियाभर में 18 साल से कम उम्र के लगभग 93 फीसदी बच्चे प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर है।
प्रदूषित वायु का असर कैसे पड़ता है बच्चों पर:-
अब हम आपको बताएंगे कि प्रदूषित वायु का असर बच्चों के स्वास्थ्य को किस प्रकार से प्रभावित करता है। जब भी कोई गर्भवती महिला प्रदूषित वायु के संपर्क में आती है तो उसमें जन्म से पूर्व बच्चे पैदा करने की अधिक संभावना होती है। जिसका सीधा असर बच्चे के स्वास्थ्य एवं विकास पर पड़ता है। ऐसे बच्चे की विकास क्षमता जो समय से पूर्व जन्म लिए हैं बहुत ही कम होती है। वायु प्रदूषण बच्चों के ऊपर तेजी से इस प्रकार हानिकारक है क्योंकि बच्चे व्यस्को की तुलना में अधिक तेजी से श्वसन क्रिया करते हैं। वहीं कई जगहों पर जब वायु प्रदूषण के बारे में लोगों को जानकारी दी जाती है तो लोग कहते हैं कि हम अपने बच्चों को घर में ही रखते हैं, उनके कहने का सीधा तात्पर्य क्या होता है कि घर की वायु शुद्ध है जब वह बच्चों को बाहर नहीं ले जा रहे तो प्रदूषित वायु का कोई सवाल ही नहीं होता है,पर ऐसा सोचना सीधे तौर पर बेहद गलत है। घर में भी खाना पकाने के लिए ईंधन का उपयोग किया जाता है। जिससे प्रदूषित वायु निकलती है, और यह प्रदूषित वायु बच्चों पर तेजी से असर करती है।
डब्लूएचओ और यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण में भारत की स्थिति:-
डब्ल्यूएचओ(WHO) की रिपोर्ट से यह ज्ञात हुआ है कि भारत की स्थिति वायु प्रदूषण के क्षेत्र में काफी हद तक चरम पर है। आंकड़ा यह है कि भारत में हर वर्ष 2 मिलियन मौत होती है। पूरे विश्व में प्रदूषित वायु से होने वाली मौत में 25% हिस्सेदारी भारत की है ।जिसमें सबसे अधिक मौत बच्चों की होती है। 2016 के आंकड़ों से ज्ञात हुआ कि 5 वर्ष से कम आयु के 5.4 लाख बच्चों की मृत्यु वायु प्रदूषण से हुई वही यूनिसेफ(UNICEF) ने दावा किया है कि वायु प्रदूषण का जहर बच्चों के मस्तिष्क विकास को प्रभावित कर सकता है और भारत व दक्षिण एशिया में गहराते इस संकट से निपटने के लिए उन्होंने तत्काल कदम उठाने का आह्वान किया। यूनीसेफ की कार्यकारी निदेशक हेनरिटा फोरे ने कहा वायु प्रदूषण बच्चों पर सबसे ज्यादा असर डालता है और यह उनके जीवन को लगातार प्रभावित करता रहता है, क्योंकि उनके फेफेड़े अपेक्षाकृत छोटे होते हैं और वे वयस्कों की बनिस्बत दोगुना तेजी से सांस लेते हैं। उनमें प्रतिरक्षण क्षमता की कमी होती है।
बाल स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव:-
-जन्म के समय कम वजन।
-हृदय संबंधी रोग होने का खतरा।
-मानसिक और शारीरिक विकास में बाधा उत्पन्न होना।
-चाइल्डहुड कैंसर।
-वयस्क होने पर ह्रदय संबंधी एवं डायबिटीज जैसी घातक बीमारी होने का खतरा।
-समय से पूर्व जन्म।
बच्चों को वायु प्रदूषण से बचाने के लिए क्या करें:-
-जनता को वायु प्रदूषण से होने वाले दुष्परिणाम के बारे में जागरूक कराना चाहिए।
-अगर बच्चा बाहर जाता भी है तो सुबह सवेरे ही बच्चे को बाहर खेलने दें।
– ध्यान रखें जब बच्चा घर से बाहर जलाए तो एंटी पॉल्यूोशन मास्क पहन कर रखें।
-लोगों को प्रेरित करना चाहिए कि जीवाश्म ईंधन की जगह पर अक्षय ऊर्जा स्रोतों का खाना बनाने में उपयोग किया जाए ताकि घरेलू वायु प्रदूषण के दुष्परिणाम से बच्चों को बचाया जा सके।
-घर के आस-पास अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाए जाने चाहिए। ताकि स्वच्छ हवा का उपयोग बच्चे श्वसन क्रिया में कर सकें।
-स्कूलों और खेल मैदानों को व्यस्त सड़कों उद्योगों से दूर रखना चाहिए ताकि प्रदूषित वायु बच्चों तक ना पहुंच सके।
निष्कर्ष :-
यूनिसेफ के बाल स्वास्थ्य अधिकार शोधार्थी शिखर नेगी कहते हैं कि बच्चे समाज का भविष्य हैं और हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि समाज का भविष्य सुरक्षित है या नहीं है। जन-जन में वायु प्रदूषण से होने वाले खतरों को लेकर जागरूकता फैलाने की जरूरत है। स्वास्थ्य पेशेवरों को ज्यादा से ज्यादा ग्रामीण इलाकों में घूम कर लोगों को जागरूक करना चाहिए। जरूरत है अधिक से अधिक पेड़ लगाने की और ज़्यादा से ज़्यादा ऑक्सीजन उत्सर्जन करने की। तभी वायु प्रदूषण को रोका जा सकता है और बच्चे के स्वास्थ्य को सुधारा जा सकता है।