सभी खबरें

अहमदाबाद ब्लास्ट मामला : अदालत का ऐतिहासिक फैसला, 38 आतंकियों को सुनाई फांसी की सजा, मास्टरमाइंड भोपाल की जेल में बंद 

अहमदाबाद : 26 जुलाई 2008, यही वह दिन था जब 70 मिनट के दौरान 21 बम धमाकों ने अहमदाबाद की रूह को हिलाकर रख दिया। शहर भर में हुए इन धमाकों में 56 लोगों की जान गई, जबकि 200 लोग घायल हुए थे। अब इस मामलें में करीब 13 साल बाद अदालत ने ऐतिहासिक फ़ैसला सुनाया है। 

अदालत ने 13 साल तक आतंक से मिले जख्मों का दर्द सहने वाले अहमदाबाद को इंसाफ देते हुए धमाकों के 49 गुनहगारों को सजा सुना दी है। 38 के लिए सजा-ए-मौत मुकर्रर की गई है। जबकि, 11 ताउम्र कैद में रहेंगे। वहीं, तीन आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। 

इसके अलावा विशेष अदालत ने धमाकों में मारे गए लोगों के परिजनों को एक लाख, गंभीर घायलों को 50 हजार और मामूली घायलों को 25 हजार रुपए की मदद देने का भी आदेश दिया है।

कहा जाता है कि ये ब्लास्ट आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (IM) और बैन किए गए स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) से जुड़े लोगों ने किए थे। विस्फोट से कुछ मिनट पहले, टेलीविजन चैनलों और मीडिया को एक ई-मेल मिला था, जिसके जरिए कथित तौर पर 'इंडियन मुजाहिदीन' ने धमाकों की चेतावनी दी थी।

38 आतंकियों को सुनाई गई फांसी की सजा 

बता दे कि जिन 38 आतंकियों को फांसी की सजा सुनाई उनमें से मास्टरमाइंड सफदर नागौरी सहित छह आतंकी भोपाल सेंट्रल जेल में बंद हैं। यहां कैद एक अन्य सिमी आतंकी को मरते दम तक जेल में रहने की सजा सुनाई गई। सफदर नागौरी के साथ जेल में बंद शिवली, शादुली, आमिल परवेज, कमरुद्दीन नागौरी, हाफिज को भी फांसी की सजा सुनाई गई है। जबकि सातवें आतंकी अंसाब को मरते दम तक जेल में रहने की सजा मिली है। 

वहीं, भोपाल सेंट्रल जेल के अधीक्षक दिनेश नरगावे ने बताया कि सेंट्रल जेल में 5 साल पहले नागौरी को शिफ्ट किया गया था। उन्होंने बताया कि अभी भोपाल की जेल में SIMI के 24 आतंकी बंद हैं। 

आठ अन्य आरोपियों की तलाश अभी भी जारी 

ब्लास्ट में शामिल आठ अन्य आरोपियों की तलाश अभी भी जारी है। सीरियल ब्लास्ट का मास्टरमाइंड यासीन भटकल दिल्ली की जेल में, जबकि अब्दुल सुभान उर्फ तौकीर कोचीन की जेल में बंद है।

क्यों है ये ऐतिहासिक फैसला 

अदालत का ये फैसला ऐतिहासिक है, क्योंकि देश के इतिहास में पहली बार एक साथ 38 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई है। इससे पहले केवल राजीव गांधी हत्याकांड ही था, जिसमें एक साथ 26 लोगों को सजा सुनाई गई थी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Back to top button