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20-25 तारीख को अतिथि विद्वान को लेकर, हम प्रक्रिया पूरी कर लेंगे : जीतू पटवारी

  • 8 हजार पद रिक्त थे आपके पास, पिछले 30 साल से PSC की भर्ती नहीं हुई थी : गोपाल भार्गव
  • 20-25 तारीख को अतिथि विद्वान को लेकर,हम प्रक्रिया पूरी कर लेंगे : जीतू पटवारी
  • नियमतीकरण को लेकर कर्मचारी आयोग बना है राजनीतिक फूट डालना सही नहीं है
  • 8 हजार पद रिक्त थे आपके पास, वचन पत्र पर जवाब दे मुख्यमंत्री : गोपाल भार्गव
  • मैं आपसे मिलूंगा और पूछूंगा : जीतू पटवारी

भोपाल : विवेक पांडेय/आयुषी जैन : आज विधानसभा के सदन में गोपाल भार्गव नरोत्तम मिश्रा और विश्वास सारंग ने भोपाल में विगत 39 दिनों से लगातार चल रहे अतिथि विद्वानों के संघर्ष की कहानी को आसंदी (अध्यक्ष) के सामने रखा गया.

जिसमें कि तीनों ही लोगों ने मुख्यमंत्री कमलनाथ और उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी से इस संबंध में सवाल किया, साथ ही साथ यह भी कहा कि विगत कई दिनों से अतिथि विद्वानों के संघर्ष चल रहे हैं जिसको लेकर कि अब आपको भी अपने वचन पत्र अनुसार इनका नियमितीकरण कर देना चाहिए.

 

 

इसके जवाब में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने चुप्पी साधे रखी और उन्होंने कुछ नहीं कहा, परंतु नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव और विश्वास सारंग ने इस मुद्दे को बनाए रखा और सदन में जमकर हो-हल्ला के बीच अपनी बात रखी कि यदि आपके पास 8 हज़ार पद थे तो फिर इन 5 हज़ार लोगों को नियमितीकरण करने में क्या दिक्कत हो रही है ? यह सवाल नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव कर रहे थे.

 

 

इसके जवाब में उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने कहा कि मैं आपसे आकर मिलूंगा या आप मुझसे आकर मिलिए दोनों मिलकर बातचीत करेंगे और मैं आपको समझा लूंगा।

भारी हंगामे के बीच जैसे तैसे जीतू ने बोलना शुरू किया तो आसंदी (अध्यक्ष) ने भी कहा कि भाई पहले मंत्री जी अपनी बात बोले और जब उनकी बात हो जाए तो उसे सुन लिया जाए.

जिसके अंतर्गत उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ जी के नेतृत्व में यह सरकार अपने वचन पत्र के लिए पूरी तरह से संकल्पित है और हम दिनांक 20 से 25 के बीच में अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण की प्रक्रिया का मामला पूरा करवा लेंगे, इस हेतु एक कमेटी भी बनाई गई है.

आज विधानसभा में इतनी भारी गहमागहमी के बाद अब यह देखना बेहद ही दिलचस्प होगा कि क्या उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी सदन में कही गई अपनी बात पर काबिज रह पाते हैं अथवा नहीं?
जीतू पटवारी अपनी बात पर कितना अमल करते हैं?

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