ढाई साल में भी न बनी मनरेगा की सड़क, न काम पर लगे मजदूर न मिली मजदूरी; मजदूरों की जगह जेसीबी को मिली रोजगार की गारंटी
महेन्द्र सिंह नायक/सिवनी। जिले में जनपद पंचायत घंसौर की ग्राम पंचायत दिवारी में वर्ष 2017 में मनरेगा अन्तर्गत ग्रामीणों को रोजगार की गारंटी देकर “पलायन” जैसे अभिशाप को रोकने के लिये सुदूर सम्पर्क सड़क का निर्माण शुरू हुआ था. उसी समय लगभग पूर्ण हो चुकी इस सम्पर्क रोड में गुणवत्ता की घोर उपेक्षा की गई है. निर्माण एजेन्सी रही ग्राम पंचायत दिवारी ने व्यापक गड़बड़ी कर मशीनों के माध्यम से मिट्टी-मुरुम की गुणवत्ताविहीन सड़क बनाकर रख दी है. जो ढाई साल बीतने के बाद भी आज दिनाँक तक अपूर्ण कहला रही है. जबकि कथित तौर पर इस मद की कुल राशि में से 80 प्रतिशत से अधिक राशि का भुगतान हो चुका है.
“द लोकनीति” द्वारा जानकारी लेने पर ज्ञात हुआ कि इस सुदूर सड़क निर्माण ने गुणवत्ताहीनता व अनियमितताओं के उच्चतम शिखर को छुआ है. सड़क निर्माण में न उचित सामग्री उपयोग की गई है न ही पर्याप्त चौड़ाई का ध्यान रखा गया है. पानी निकास के लिये निचले क्षेत्रों में तथा जलभराव की जगहों पर पुलिया नहीं बनाई गई हैं. लगभग पौन किलोमीटर की इस सड़क में केवल एक ही पुलिया दिखाई पड़ती है. जिसे वर्षाकाल में जलभराव होने पर मोहल्ले के निवासियों की शिकायत पर सरपंच द्वारा दिया गया था. उसको भी स्वयं मोहल्ले वासियों द्वारा ही श्रमदान कर लगाया गया है. पास ही में इस सड़क के किनारे पड़ने वाले चौधरी मोहल्ले में पुलिया या जल निकास की व्यवस्था न होने से वर्षाजल भराव के साथ रोजमर्रा का गन्दा पानी भी गन्दगी के रूप में इसी सड़क पर बजबजा रहा है. यही नहीं इस सड़क में केवल मिट्टी-मुरूम डालकर सड़क निर्माण की औपचारिकता ही निभाई गई है.
पूरा सड़क निर्माण ही है गड़बड़ी, भ्रष्टाचार व अनियमितताओं का अम्बार
मनरेगा की इस योजना में ग्रामीणों को रोजगार न देकर मशीनों द्वारा सड़क बनाई गई है. केवल दो दिन काम किये मजदूर ढाई साल से आज तक मजदूरी को तरस रहे हैं. मजदूर राघवेन्द्र, कल्लूबाई, प्रेमवतीबाई, सरजू आदि ने बताया कि हमें केवल दो दिन के लिये ही काम पर लगाया गया था. तीसरे दिन काम पर जाने पर वापस भेज दिया गया कि अब शेष काम मशीनों से होगा. इसी के साथ बाकी दिन मशीनों, जेसीबी, डम्पर, ट्रेक्टर से काम कराया गया है. उक्त मजदूर पिछले ढाई साल से अपनी दो दिन की मजदूरी के लिये लगातार गुहार लगा रहे हैं. जो पंचायत दिवारी द्वारा आज तक नहीं दी गई है. ग्राम के गरीब मजदूरों का आरोप है कि पंचायत के कर्ताधर्ताओं सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक ने निज स्वार्थ के चलते आर्थिक रूप से सक्षम लोगों के नाम से फर्जी मस्टर जारी कर राशि की बन्दरबाँट की है. इसी तरह सामग्री परिवहन में लगे वाहन मालिक भी लगातार भुगतान की मांग कर रहे हैं. ढाई साल बीतने के बाद भी ग्राम पंचायत के सरपंच, सचिव तथा रोजगार सहायक की उदासीनता से न सड़क पूर्ण हुई है, न ही सम्बन्धितों को भुगतान मिला है. इसी के साथ अपात्रों व अक्षम लोगों व पेंशन पा रहे बुजुर्गों के नाम के नाम पर मजदूरों की उपस्थिति दर्शाकर शासकीय राशि आहरित करने की बात भी सामने आ रही है. सुदूर सड़क निर्माण में पूर्व में हुये भुगतान भी सन्दिग्ध लग रहे हैं. सड़क में लगाने के लिये 60 एमएम की 15 पुलिया खरीदी के भुगतान हो चुके हैं. जबकि पूरी सड़क में मात्र 1 ही पुलिया दी गई है. उसको भी ग्रामीणों द्वारा आपसी श्रमदान से लगाया गया है.
रोजगार को तरसते व पलायन को अभिशप्त पिछड़े क्षेत्र में मशीनों को मिल रही रोजगार की गारंटी
जिले के अन्तिम छोर पर स्थित इस ग्राम पंचायत में गरीब मजदूरों की पर्याप्त संख्या है पर स्वार्थवश मशीनों का उपयोग करके ग्रामीणों को रोजगार की गारंटी देने वाली इस जनकल्याणकारी योजना का स्वरूप विद्रूपित किया गया है. ग्राम पंचायत दिवारी के सरपंच मनोज उइके के द्वारा उक्त कार्य में फर्जी मजदूरों के नाम पर मशीनों के भुगतान की बात स्वीकारी जा रही है. सरपंच की मानें तो पूरी पंचायत ही इस गड़बड़ी की जिम्मेदार है. पंचायत के जिम्मेदारों सचिव, रोजगार सहायक व पंचों द्वारा कथित प्रस्ताव पारित करके काल्पनिक मजदूरों के नाम पर राशि आहरित कर मशीनों का भुगतान व हितैषियों को लाभ पहुँचाने की बात भी सामने आ रही है. हालांकि संवाददाता के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव दिखाया नहीं गया है. यूँ तो सरपंच द्वारा बहुत जल्द मजदूरों तथा परिवहनकर्ताओं के शेष राशि का भुगतान करने की बात कही जा रही है. पर भुगतान कैसे व किस आधार पर होगा यह समझ के परे है.
सुदूर सड़क निर्माण में हुये भ्रष्टाचार की परत खोलती मनरेगा की बेबसाइट
जब “द लोकनीति” द्वारा इस विषय पर विस्तृत जानकारी एवं आधिकारिक आँकड़े पाने के लिये सचिव शंकर यादव व मनरेगा की मुख्य कड़ी रोजगार सहायक भारती डेहरिया से सम्पर्क किया गया, पर उन्होंने कोई भी जानकारी न देकर कैमरे के सामने आने से परहेज करते हुये स्वयं को दूर रखा है. इसलिये मनरेगा की आधिकारिक बेबसाइट http://mnregaweb2.nic.in से ग्राम पंचायत दिवारी की जानकारी जुटाई गई. वेबसाइट के आँकड़े एवं तथ्य ग्राम पंचायत दिवारी के भारी भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की पोल खोलते हैं. एक ही कार्य सुदूर सड़क निर्माण को दो वर्क आईडी से दो अलग-अलग वित्तीय वर्षों में दिखाई दे रहा है. सरल क्रमांक 205 में पहली आईडी क्रमांक 1737003058/RC/22012034335510 सुदूर सड़क निर्माढ़ Approved 2016-17 दिख रहा है. वहीं सरल क्रमांक 206 में वर्क आईडी क्रमांक 1737003058/RC/22012034335511 सुदूर सड़क निर्माण दिवारी Completed 2017-18 दिखाई दे रहा है. समझ से परे है कि एक ही कार्य दो भिन्न नामों से अलग वित्तीय वर्षों में होना कहीं बड़े घोटाले का इशारा तो नहीं. क्योंकि भौतिक रूप से तो ग्राम में ही सड़क बनाई गई है.
ऐसे ही भुगतान बिल में सम्पूर्ण सामग्री क्रय, परिवहन आदि का कुल भुगतान सांई ट्रेडर्स और साईं कन्स्ट्रक्शन को किया गया है. जबकि उक्त फर्में एक ही लगते हुये संदिग्ध लग रही हैं. इनको भुगतान भी वर्ष 2018-2019 के मध्य किया गया है. ऐसे ही बिल क्रमांक 151 में तीन बार अलग अलग राशि भुगतान किया गया है. बिल क्रमांक 157 में भी दो बार भिन्न भुगतान हुआ है. इस भुगतान पत्रक में 15 पुलिया खरीदी का वर्णन है, जिनका भौतिक रूप में अस्तित्व ही नहीं है. मजदूरों के मस्टर रोल में दर्शित मजदूर भी वास्तविक मजदूर नहीं हैं. इनमें पंचायत के पदाधिकारी पंच व उनके परिजन, आर्थिक रूप से सक्षम जन, पेंशन पाने वाले वृद्ध एवं चलने में असमर्थ ग्रामीण हैं और इन सबको मजदूरी का भुगतान किया जाना प्रदर्शित है. जबकि वास्तविक मजदूरों का मस्टर में कहीं नाम तक नहीं है. फर्जी नामों में शासकीय राशि डालकर मशीनों के भुगतान की बात तो सरपंच स्वयं कैमरे के सामने स्वीकार कर चुके हैं.
सूक्ष्म एवं तकनीकी जाँच से हो सकता है भ्रष्टाचार का चेहरा बेनकाब
मनरेगा की इस सुदूर सड़क निर्माण मामले की यदि सक्षम अधिकारी इस गम्भीरता से सूक्ष्म तथा तकनीकी जाँच करें तो गड़बड़ी, अनियमितताओं के साथ भ्रष्टाचार की कई परतें खुलेंगी. इससे शासकीय राशि का दुरूपयोग कर शासन की लोककल्याणकारी योजनाओं को पलीता लगाने वालों की पहचान होगी जिससे उन पर उचित कार्यवाही हो पायेगी. वहीं मजदूरों तथा वास्तविक परिवहनकर्ताओं को उनके अधिकार की राशि मिल सकेगी.
इनका कहना है-
महेन्द्र चौकसे (ट्रेक्टर संचालक दिवारी)-
“मुरूम के परिवहन के लिये मेरा ट्रेक्टर लगाया गया था. पर सरपंच, सचिव द्वारा मेरे परिवहन का भुगतान ढाई साल से लम्बित रखा गया है. मैंने इसकी लिखित शिकायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी घंसौर एवं सीएम हेल्पलाइन में भी की है.”
मनोज कुमार उईके (सरपंच ग्राम पंचायत दिवारी)-
“वर्ष 2017 में रोड का काम कराया गया है, अभी अधूरा है. एक लेयर बजरी का डालना बाकी है. मजदूरों का भुगतान बाकी है, परिवहन में लगे ट्रेक्टर वालों का भी भुगतान शेष है. पंचायत बॉडी ने प्रस्ताव पारित करके मशीनों के उपयोग को स्वीकृत किया था. अभी राशि शेष है, उसमें से सबका भुगतान किया जायेगा”
ऊषा किरण गुप्ता (मुख्य कार्यपालन अधिकारी, घंसौर)-
“हम तकनीकी अधिकारी से गुणवत्ता की जाँच करायेंगे, मजदूरों को भुगतान न होने के कारणों की जाँच कराने के बाद अगर आपकी शिकायत सही है तो कार्यवाही की जायेगी”