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नकली रेमडेसिविर केस: पुलिस अब मोखा परिवार की चल अचल संपत्ति की जानकारी में जुटी , पुलिस ने हाल ही में एक पत्र कलेक्टर को भेजा

जबलपुर से भारती चनपुरिया की रिपोर्ट : – कोरोना मरीज़ों को नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन  सप्लाय करने वाले सरगना सरबजीत मोखा और उसकी पत्नी ने  माल नष्ट किया. इस रैकेट  का भांडा फोड़ होते ही पकड़े जाने के डर से उन्होंने नकली इंजेक्शन को  मिट्टी में गाड़ दिये और नाले में फेंक दिये. लेकिन वो पुलिस से बच नहीं पाए.

नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन रैकेट के सरगना जबलपुर सिटी अस्पताल के संचालक सरबजीत सिंह मोखा, उसकी पत्नी जसमीत और एडमिनिस्ट्रेटर सोनिया खत्री मानो किसी शातिर अपराधियों से कम नहीं . कुछ ऐसे ही करतूतें इन आरोपियों की भी रहीं. जांच में खुलासा हुआ है कि नकली रेमडेसिविर की खेप मिटाने के लिए इन आरोपियों ने जमीन में गाड़ दिया या फिर नालों में फेंक दिया. लेकिन फिर भी पुलिस की तीसरी नजर से यह नहीं बच सके.

सवा सौ नकली इंजेक्शन किया  नष्ट :-

जब पुलिस की जांच मोखा तक पहुंची तो उसकी बेहद खास राजदार सोनिया खत्री शुक्ला भी पीछे नहीं रही. राज को दबाना हो या नकली रेमडेसिविर की पूरी काली करतूत को छुपाना सोनिया भी मोखा दंपति के साथ थी. अपने परिवार की चिंता छोड़ सोनिया एक वफादार की तरह मोखा परिवार की सेवा में जुटी रही. यहां तक कि उसने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन भी अपने पास छुपा कर रखे थे.  इस बात से भी वह भी वह बेखबर नहीं रही होगी. फिलहाल पुलिस को सवा सौ नकली रेमडेसिविर नष्ट करने की जानकारी मिल चुकी है. सबूत भी उसने इकट्ठा कर लिए हैं.

बेटा दो कदम आगे :-

 तो बेटा भला कैसे पीछे रहता. हरकरण मोखा अभी फरार है. पुलिस उसकी तलाश कर रही है. उसके कारनामे उजागर हो चुके हैं. अपने दोस्त को धोखा देकर उसकी आईडी के आधार पर 500 नकली रेमडेसिविर की खेप को जबलपुर लाने में हरकरण ने हीं अहम किरदार निभाया था. फिलहाल उसकी गिरफ्तारी पर 5000 का इनाम पुलिस ने घोषित कर दिया है. उसका गन लाइसेंस निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है.

अब मोखा परिवार की संपत्ति की पड़ताल : –

पुलिस अब मौका परिवार की चल अचल संपत्ति की जानकारी जुटा रही है. पुलिस ने हाल ही में एक पत्र कलेक्टर, राजस्व महकमे और संबंधित बैंकों को भेजा है जहां मोखा परिवार का खाता रहा है. इस परिवार के नाम कितनी अकूट संपत्ति है इसकी जांच पुलिस कर रही है. एक और महत्वपूर्ण कदम पुलिस उठाने जा रही है. एक पत्र जिले के स्वास्थ्य महकमे को भेजा गया है. इसमें जानकारी मांगी गयी है कि कितने मरीज़ों को नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लगा. उसमें से कितने जीवित हैं और कितनों की मौत हो गयी. सिविल सर्जन को भेजे पत्र के बाद स्वास्थ्य महकमे का जवाब पुलिस के लिए अहम साबित होगा क्योंकि इसके आधार पर मोखा और परिवार के खिलाफ धाराएं बढ़ायी जाएंगी.

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