महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों के बहुचर्चित आंदोलन को एक वर्ष हुआ पूर्ण, आंदोलन ने हिलाई थी सत्ता की जड़,बनी बिगड़ी सरकार लेकिन मांग अभी भी पूरी नहीं
महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों के बहुचर्चित आंदोलन को एक वर्ष हुआ पूर्ण, आंदोलन ने हिलाई थी सत्ता की जड़,बनी बिगड़ी सरकार लेकिन मांग अभी भी पूरी नहीं
भोपाल / गरिमा श्रीवास्तव:-
महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण भविष्य सुरक्षित यात्रा बहुचर्चित आंदोलन को आज एक वर्ष हो गया है।जैसा की विदित है 2017 की विवादित सहायक प्राध्यापक भर्ती के कारण लगभग 2700 मध्य प्रदेश वासी उच्च शिक्षित वर्षों से उच्च शिक्षा को अपने खून पसीने से सींचने वाले अतिथि विद्वानों को बेरोजगार कर दिया गया,जिसके खिलाफ़ अतिथि विद्वानों ने 2 दिसंबर 2019 से बहुचर्चित आंदोलन की शुरुआत पूर्व तत्कालिक मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह जिले छिदवाडा से शुरू की।जिसमें अतिथि विद्वानों को जेल भी जाना पड़ा और साह जहानी पार्क में आंदोलन में 140 दिन पूरा किया,इसी बीच महिला विद्वानों ने केश भी त्यागा और वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित कई कैबिनेट मंत्री आंदोलन में आए वा आंदोलन के साक्षी बने।संघ के अध्यक्ष वा मोर्चा के संयोजक डॉ देवराज सिंह ने सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि अतिथि विद्वानों के साथ सरकार न्याय करे वा भविष्य सुरक्षित कर जीने का अधिकार दे।वहीं संघ के प्रवक्ता डॉ मंसूर अली ने मुख्यमंत्री सहित सभी कैबिनेट मंत्रियो से अनुरोध किया है कि अब बिना देर किए अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण के लिए नीति बनाकर कैबिनेट में प्रस्ताव लाए जिससे मध्य प्रदेश वासी उच्च शिक्षित अतिथि विद्वानों को न्याय मिल सके।
*आंदोलन में बोले थे शिवराज”टाइगर अभी जिंदा है नियमित नहीं करोगे तो ईंट से ईंट बजा देंगे”*
मध्य प्रदेश के इतिहास का सबसे बड़ा आंदोलन महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों का रहा जिसको आज एक वर्ष पूर्ण हुआ,पिछले पूरे वर्ष सत्ता के गलियारों में अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण का मुद्दा छाया रहा।संघ के मिडिया प्रभारी डॉ आशीष पांडेय वा डॉ जेपीएस चौहान ने प्रेश विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान जी विपक्ष में रहते हुए कहा था कि “वो कमलनाथ जी सुन लो आप अतिथि विद्वानों की लड़ाई अब भारतीय जनता पार्टी वा शिवराज सिंह चौहान लड़ेंगे,टाइगर अभी जिंदा है अगर नियमित नहीं करोगे तो ईंट से ईंट बजा देंगे,इनको नियमित होने का अधिकार है।अतिथि विद्वानों की हाय तुम्हे ले डूबेगी”।अब माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी आपको देर नहीं करना चाहिए।आप अतिथि विद्वानों की पीड़ा से बखूबी परिचित हैं और हर एक संघर्ष के साक्षी रहें हैं।माननीय मुख्यमंत्री जी,कबिना मंत्री नरोत्तम मिश्रा,वरिष्ठ मंत्री गोपाल भार्गव,सीतासरन शर्मा आदि लोगों ने आंदोलन में आकर हमारे नियमितीकरण का वादा किए थे।यहां तक कि खुद राज्यसभा सांसद सिंधिया जी ने अतिथि विद्वानों के हक की लड़ाई के लिए सड़क तक में उतर गए थे।खुद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा जी अतिथि विद्वानों के हर संघर्ष में सामिल रहें हैं।संघ का अनुरोध है कि अतिथि विद्वानों के हित में ठोस निर्णय लेते हुए नियमितीकरण कर भविष्य सुरक्षित करें।आज साल भर से 600 अतिथि विद्वान बेरोजगारी से दम तोड़ रहे हैं उनको जल्दी व्यवस्था में ले सरकार जिससे सरकार के प्रति अच्छा संदेश जनता में जाए कि जो वादा सूबे के मुखिया करते हैं उसको निभाते हैं और टाइगर जिंदा होने वाली काट सार्थक हो।