World Thalassaemia Day : 2 बेटियां खो चुके हैं पर नहीं हारी हिम्मत, थैलेसीमिया से जंग लगातार जारी

बैतूल 

विश्व थैलेसीमिया(Thalassemia) दिवस के अवसर पर माँ शारदा सहायता सामिति बैतूल(Betul) द्वारा ग्राम ऊमरवानी पहुँच कर एक ऐसे परिवार को सम्मानित किया गया जिसके हौसले के आगे थैलेसीमिया बीमारी भी घुटने टेकने लगे। कमल पॉल की 2 बेटियां थी लेकिन मेजर थैलेसीमिया ने उन्हें काल कवलित कर दिया अब एक बेटा अंकित ही है जिसे भी मेजर थैलेसीमिया है जिसके कारण उन्हें पिछले 12 वर्ष से खून लग रहा है 200 यूनिट से अधिक रक्त लग चुका है। इस पूरे परिवार ने ज्यादा समय खून चढ़ाने में लगाया है ऐसे पूरे परिवार का विश्व थैलेसीमिया दिवस पर उनके घर जाकर पिंकी भाटिया,शैलेन्द्र बिहारिया,लेखचन्द यादव ने सम्मान प्रतीक ,माला ,श्रीफल से सम्मान कर उनके माता पिता के चरण स्पर्श किये व उनके साहस को नमन किया।

थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों की हो काउंसलिग

इस अवसर पर शैलेन्द्र बिहारिया ने शासन से अपील की की बेतुल जिले में थैलेसीमिया व सीकालसेल के बच्चों की जाँच शाला स्तर पर हो एवम इनकी कॉउंसलिंग भी की जाए व इनके दिव्यांग प्रमाणपत्र बनवाने अलग से। कैम्प का आयोजन हो जिससे इन बच्चों को प्रमाणपत्र हेतु भटकना न पड़ें।

स्वास्थ्य कुंडली का हो मिलान

थैलेसीमिया दिवस पर 78 बार से अधिक रक्तदान कर चुके पिंकी भाटिया ने लोगो से अपील की की इस बीमारी से बचने के लिये विवाह से पूर्व स्वास्थ्य कुंडली का मिलान अवश्य करे क्योकि थैलेसीमिया अनुवांशिक रोग है जो माता पिता से बच्चों में होता है। बच्चों को माता-पिता से अनुवांशिक तौर पर मिलने वाला रक्त-रोग है। इस रोग के होने पर शरीर की हीमोग्लोबिन निर्माण प्रक्रिया में गड़बड़ी हो जाती है जिसके कारण रक्तक्षीणता के लक्षण प्रकट होते हैं। इसकी पहचान तीन माह की आयु के बाद ही होती है। इसमें रोगी बच्चे के शरीर में रक्त की भारी कमी होने लगती है जिसके कारण उसे बार-बार बाहरी खून चढ़ाने की आवश्यकता होती है।

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