मध्यप्रदेश /भोपाल (Bhapol)-:. सरकार कोई निर्णय नहीं कर पाई है पिछले 4 साल से पदोन्नति का इंतजार कर रहे कर्मचारियों के मामला है। इसी बीच जानकारी सामने आ रही है कि पुलिसकर्मियों को उच्च पदनाम देने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसके बाद 15000 पुलिसकर्मी लाभांवित होंगे। इससे अन्य विभाग के कर्मचारियों में नाराजगी भी बढ़ी है। वे चाहते हैं कि जब तक पदोन्नति नहीं मिलती, तब तक उच्च पदनाम का लाभ उन्हें भी मिले।
गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा(Home minister Narottam mishra) ने हाल ही में पुलिस मुख्यालय में अधिकारियों की बैठक ली थी। उसी समय पुलिस कर्मचारियों की पदोन्नति की चर्चा हुई। तय हुआ कि प्रमोशन के अभाव में उन्हें उच्च पदनाम दे दिया जाए। इससे शासन पर कोई अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं पड़ेगा, क्योंकि कर्मचारियों को इंक्रीमेंट वेतनमान पहले ही मिल चुका है। इसी आधार पर पुलिसकर्मियों को उच्च पदनाम दिए जाने का प्रस्ताव गृह विभाग भेजा गया है। इस प्रस्ताव से आरक्षक से लेकर इंस्पेक्टर तक का ओहदा बढ़ जाएगा।
कांग्रेस सरकार का है फॉर्मूला
पदोन्नति न होने पर कर्मचारियों की नाराजगी कम करने के लिए कांग्रेस सरकार ने उच्च पदनाम दिए जाने का फॉर्मूला तैयार किया था। तत्कालीन प्रशासन मंत्री डॉ. गोविंद सिंह (Govid singh)की अध्यक्षता में गठित कैबिनेट सब कमेटी के प्रस्ताव पर सामान्य प्रशासन विभाग को निर्देश दिए गए थे कि वे इस संबंध में आगे की कार्रवाई शुरू करें। साथ ही अन्य विभागों से भी कहा गया था कि वे उच्च पदनाम दिए जाने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजें। इस पर अमल होता इसके पहले कांग्रेस सरकार गिर गई।
अभी तक 30 हजार से अधिक कर्मचारी बिना प्रमोशन रिटायर
राज्य के पदोन्नति नियम निरस्त होने के बाद से 4 साल में 30 हजार से भी अधिक कर्मचारी प्रमोशन के बिना ही रिटायर हो गए। इसको लेकर कर्मचारियों में नाराजगी भी रही। वर्ष 2018 में शिवराज सरकार ने कर्मचारियों की नाराजगी दूर करने के लिए कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी। इससे 2 साल तक कर्मचारियों का रिटायर होने का क्रम तो थम गया, लेकिन प्रमोशन का रास्ता नहीं निकल पाए। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर रखी है। कमलनाथ सरकर ने भी प्रमोशन का रास्ता निकालने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली सकी है।