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व्यापम घोटाला: जिस IPS Officer पर व्यापम दस्तावेजों से छेड़छाड़ के आरोप थे, उसको दी जांच की ज़िम्मेदारी

  • मध्य प्रदेश का बहुचर्चित हैं व्यापम का महाघोटाला
  • जिस पर आरोप थे सरकार ने उसी को सौंपी जांच
  • मामले पर कांग्रेस ने जताई आपत्ति

भोपाल/अंजली कुशवाह: मध्य प्रदेश का बहुचर्चित व्यापम महा घोटाले का बाज़ार एक बार फिर से गर्म हो गया हैं. इस घोटाले में जिस IPS Officer पर आरोप लगे थे कि व्यापम की एक्सेल शीट में छेड़छाड़ कर नाम बदले गए हैं, उसी अफसर को व्यापम की बड़ी संख्या में पेंडिंग शिकायतों की जांच सौंप दी गयी है. ज़ाहिर सी बात है सरकार के इस फ़ैसले पर सवाल उठने लगे हैं. कांग्रेस पार्टी ने इस पर जब आपत्ति की तो बीजेपी का जवाब सामने आया हैं कि अगर कांग्रेस को किसी से दिक्कत है तो कोर्ट चली जाए.

कांग्रेस के कमलनाथ सरकार के समय सीबीआई को सौंपी गयी थी जांच

बता दें कि जब प्रदेश में सत्ता बदलने पर कांग्रेस की कमलनाथ सरकार पावर में आयी थी तो कमलनाथ सरकार ने इस मामले को रीओपन करके सीबीआई को जाँच सौंप दी थी. एसटीएफ का सीबीआई की जांच में किसी तरीके का दखल नहीं था. एसटीएफ सिर्फ व्यापम की 197 पेंडिंग शिकायतों की जांच कर रहा था. इस मामले में कमलनाथ सरकार के दौरान 16 FIR भी दर्ज की गईं. लेकिन प्रदेश में 15 महीने बाद फिर सत्ता बदल गयी और बीजेपी सरकार बनते ही यह मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. जांच और FIR की गति धीमी पड़ गई. जबकि उस समय इन शिकायतों में करीब 100 FIR दर्ज की जानी थी.

कांग्रेस ने खड़े किये हैं सवाल

अब फिर एक बार इस मामले में एसटीएफ के चीफ एडीजी विपिन माहेश्वरी को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि व्यापम घोटाले में बीजेपी सरकार ने अपने लोगों को बचाने के लिए ऐसे IPS अफसर को पेंडिंग शिकायतों की जांच सौंपी, जिस पर शुरुआती दौर से ही व्यापम से जुड़ी महत्वपूर्ण एक्सल शीट में छेड़छाड़ करने के आरोप लगे थे. कांग्रेस सवाल कर रही है कि उनकी सरकार में पेंडिंग शिकायतों की तेजी से जांच और 3 महीने में 16 FIR करने वाले एसटीएफ चीफ एडीजी अशोक अवस्थी और एडिशनल एसपी राजेश सिंह भदौरिया को हटाकर विपिन महेश्वरी को जांच की कमान क्यों दी गई.

मामले पर MP की राजनीती गर्म

जानकारी के मुताबिक कांग्रेस के आरोपों और सवाल उठाने पर बीजेपी ने कहा कांग्रेस ने अभी तक जितने भी आरोप लगाए सभी झूठे साबित हुए. यदि अभी भी कोई कांग्रेस को दिक्कत या परेशानी है तो वह अपना हलफनामा कोर्ट में पेश कर सकती है. बता दें कि इससे पहले भी कांग्रेस ने कई बार व्यापम मामले पर शिवराज सरकार को आड़े हाथों लिया हैं. इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सीबीआई जाँच की भी मांग की थी.

क्या हैं व्यापम घोटाला

बता दें कि 2013 में मध्य प्रदेश में व्यापम घोटाला सामने आया था। जिसमें 2001 में हुई पीएमटी प्रवेश परीक्षा में किया गया फर्जीवाड़ा सामने आया था। जिसमे कुछ अभ्यर्थी असली परीक्षार्थियों की जगह परीक्षा देने गए थे। इसके अलावा व्यापम परीक्षाओं में कई घोटाले सामने आये हैं। व्यापम घोटाला मध्य प्रदेश का सबसे सनसनीखेज और बड़ा घोटाला माना जाता है। इस घोटाले में कई बड़ी और नामचीन हस्तियों के नाम सामने आते रहते हैं। इस घोटाले के कारण व्यापमं (व्यावसायिक परीक्षा मंडल) पर लगे दाग को खत्म करने के लिए राज्य सरकार ने इसका नाम बदलकर प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड कर दिया है।

MP की राजनीति में मचा दी थी ख़लबली 

बता दें कि शिवराज सरकार के समय में हुए इस व्यापम घोटाले ने मध्यप्रदेश की राजनीति में ख़लबली मचा दी थी. उसके बाद इस केस से जुड़े कई लोगों की एक के बाद एक हुई मौत ने तो सरकार पर सवाल खड़े कर दिये थे. काफी बवाल मचने पर एसटीएफ के बाद केस की जांच सीबीआई को सौंप दी गयी थी.

अब देखना ये होगा की आगे इस मामले पर शिवराज सरकार आगे क्या कदम उठाएगी.

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