अपने ही बनाए जाल में फंस गए उद्धव ठाकरे, शरद पवार ने सरकार बनाने को लेकर रखी ऐसी शर्त की ……… 

Maharashtra : महाराष्ट्र में भले ही राष्ट्रपति शासन लग गया हो, लेकिन अभी भी सरकार बनाने को लेकर कवायद तेज़ हैं। लगातार तीनों की पार्टियां सरकार बनाने को लेकर बातचीत कर रहीं हैं। शिवसेना हर हाल में महाराष्ट्र में सरकार का गठन करना चाहती हैं। लेकिन उसकी राह में अभी भी बहुत मुश्किलें हैं। दरअसल शिवसेना ने बीजेपी के साथ अपना 30 साल पुराना गठबंधन तोड़ कर एनसीपी और कांग्रेस के साथ वैचारिक मतभेद भुलाकर स्थिर सरकार बनाने का फैसला लिया था। लेकिन शिवसेना इसमें भी कामयाब नहीं हो सकी। 

बता दे कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर शिवसेना, बीजेपी से 50-50 फॉर्मूले की मांग कर रहीं थीं। लेकिन उस पर किसी प्रकार की सहमती नहीं बनी। अब वहीं फार्मूला शिवसेना की राह में रोड़ा बन गया हैं। सूत्रों के मुताबिक, एनसीपी ने शिवसेना के सामने सरकार बनाने के लिए वही 50-50 का फॉर्मूला रखा हैं। इसका मतलब साफ है कि ढाई साल मुख्यमंत्री शिवसेना का रहेगा और ढाई साल कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन का कोई नेता सीएम की कुर्सी पर रहेगा। 

बताते चले की इस से पहले शरद पवार ने सोनिया गांधी से फ़ोन पर काफी लंबी चर्चा हुई थी। इस दौरान शारद पवार ने कहा था कि शिवसेना को समर्थन देने का वादा करना जल्दबाजी होगी। पवार ने कथित तौर पर सोनिया गांधी से कहा कि शक्ति बंटवारे को लेकर कई पहलुओं पर अभी भी बातचीत की जरूरत है, और उन्होंने शिवसेना को समर्थन का पत्र नहीं दिया हैं। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी शिवसेना से सिर्फ 2 सीट कम हैं। 

सूत्र बताते हैं कि सोमवार शाम तक सोनिया गांधी का वैचारिक रूप से विपरीत शिवसेना को समर्थन देने को लेकर नरम रुख था। लेकिन ठीक समय पर शरद पवार के सोनिया गांधी को किए गए एक फोन कॉल ने कांग्रेस की अनिच्छा को बढ़ा दिया। इसके बाद कांग्रेस की ओर से कहा गया कि शिवसेना की हिंदुत्व समर्थक और कट्टर विचार वाली छवि की वजह से कांग्रेस को चुनावी नुकसान होगा। 

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