बच्चों की मौत का आंकड़ा बढ़कर 110 पहुंचा, हाइपोथर्मिया के कारण हो रही मौत
कोटा से गरिमा श्रीवास्तव की रिपोर्ट :-राजस्थान के कोटा में बच्चों पर बरपा कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है ,दिन ब दिन मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। आज सुबह ज्ञात हुआ कि जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत का आंकड़ा बढ़कर रविवार को 110 पहुंच गया है।
आए दिन माएँ अपनी औलाद खो रही हैं ,इस भयानक प्रकोप ने इस हद तक कहर बरसाया है कि शहर के ज़्यादातर बच्चे इस बीमारी के चपेट में आ गए हैं।
आखिर क्यों हो रही है इतनी मौतें :-
कोटा के अस्पतालों में बच्चों की इतनी मौत को देखते हुए सरकार ने जाँच टीम तैयार की। जिसमे बेहतरीन से बेहतरीन विशेषज्ञों को नियुक्त किया गया।
डॉक्टरी जांच द्वारा पता चला कि” हाइपोथर्मिया “के कारण बच्चों की मौत हो रही है।
साथ ही साथ अस्पतालों में भी बहुत लापरवाही बरती जा रही है , बुनियादी सुविधाओं की कमीं होना भी इसका एक कारण है। माँ की कोख सूनी हो रही है।
यह मौत का सिलसिला काफी दिनों से चल रहा है पर सरकार शायद अब तक नींद से अच्छी तरीके से जागी नहीं है। जिसका कारण है की बच्चों की मौत की संख्या घटने के बजाय इजाफ़ा हो रहा है।
हाइपोथर्मिया क्या है ?
जब शरीर का तापमान 95 एफ (35 डिग्री सेल्सियस) से कम हो जाता है. वैसे शरीर का सामान्य तापमान 98.6 एफ (37 डिग्री सेल्सियस) होता है.
हाइपोथर्मिया तब होता है जब किसी भी इंसान का शरीर तेज़ी से गर्मी खोने लगता है ,आमतौर पर यह बीमारी उस समय होती है जब वातावरण ठंडा होता है ,
साथ ही साथ शरीर में थकन और पानी की कमी से भी हाइपोथर्मिया होने का खतरा बढ़ जाता है।
हाइपोथर्मिया के लक्षण :-
थकान
उलझन
कंपकंपी
साँस फूलना
त्वचा का ठंडा और फीका पड़ना
हाइपोथर्मिया से बचाव :-
सूखे कपडे पहने
बहरी यात्रा की योजना बनाते समय मौसम पूर्वानुमान सुनें
बहुत ठण्ड में ठंड प्रदेशों में न जाये
बच्चों को खासतौर पर ठण्ड से दूर रखे
ठन्डे दिनों में व्यायाम करने जके दौरान सावधानी बरतें क्योंकि पसीना शरीर को ठंडा करता है जिससे हाइपोथर्मिया होने का खतरा होता है।
जानकार सूत्रों के अनुसार अस्पताल में बच्चे सर्दी के कारण मरते रहे और यहां पर जीवन रक्षक उपकरण भी पर्याप्त मात्रा में नहीं थे। राजस्थान सरकार की इस लापरवाही से न जाने कितने मासूम दुनिया देखने से पहले ही मौत के मुंह में समां गए।
नवजात शिशुओं के शरीर का तापमान 36.5 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए, इसलिए उन्हें वार्मरों पर रखा गया, जहां उनका तापमान सामान्य रहता है. हालांकि अस्पताल में काम कर रहे वार्मर की कमी होती गई और बच्चों के शरीर के तापमान में भी गिरावट जारी रही।
सरकार को चाहिए की ऐसी आपातकालीन स्थिति में किसी भी उपकरण की कोई कमी न हो ताकि बढ़ती मौत को संख्या को रोका जा सके।