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हाय रे भ्रष्टाचार, कितनों के पेट पर लात मारोगी, सिवनी के सम्पर्क सड़क निर्माण में व्यापक भ्रष्टाचार

विशेष तथ्य:-

  • 👉🏻 ढाई साल में भी न बन सकी मनरेगा अन्तर्गत सुदूर सड़क
  • 👉🏻 गुणवत्ता एवं जनसुविधा की घोर उपेक्षा का नमूना बनी सुदूर सड़क
  • 👉🏻 मजदूरों के पलायन के लिये अभिशप्त क्षेत्र में मशीनों ने किया मनरेगा अन्तर्गत काम
  • 👉🏻 मनरेगा की सड़क में मात्र दो दिन का रोजगार पाये मजदूर तरस रहे अपनी मजदूरी को
  • 👉🏻 समग्र पंचायत, सचिव, रोजगार सहायक का रवैया है उदासीन व संदिग्ध

 सिवनी से महेंद्र सिंह नायक की रिपोर्ट :- 

जनपद पंचायत घंसौर की ग्राम पंचायत दिवारी में वर्ष 2017 में मनरेगा अन्तर्गत सुदूर सम्पर्क सड़क का निर्माण शुरू हुआ था! उसी समय लगभग पूर्ण हो चुकी इस रोड़ में गुणवत्ता की घोर उपेक्षा की गई थी,निर्माण एजेन्सी ग्राम पंचायत दिवारी ने मशीनों के माध्यम से मिट्टी-मुरुम कर गुणवत्ताविहीन सड़क बना दी है! निचले क्षेत्रों में पुलिया नहीं बनाईं गई! जिसकी वजह से वह स्थल पानी भराव केंद्र बन गया है।
 केवल मिट्टी-मुरूम डालकर सड़क निर्माण की औपचारिकता ही निभाई गई है!


गुणवत्ताविहीन सड़क निर्माण के साथ साथ मजदूरों के पेट पर भी लात मारा गया। मजदूर जो इस इंतज़ार में रहते हैं कि जब कोई निर्माण कार्य होगा तो मनरेगा के तहत उन्हें रोजगार प्राप्त होगा पर आधुनिकीकरण ने उनकी रोज़ी रोटी भी छीन ली।
 केवल दो दिन काम किये मजदूर ढाई साल से आज तक मजदूरी को तरस रहे हैं! वहीं सामग्री परिवहन में लगे वाहन मालिक भी लगातार भुगतान की मांग कर रहे हैं!

ढाई साल बीतने के बाद भी ग्राम पंचायत के सरपंच, सचिव तथा रोजगार सहायक की उदासीनता से न सड़क पूर्ण हुई है, न ही सम्बन्धितों को भुगतान मिला है! इसी के साथ अपात्रों व अक्षम लोगों के नाम पर मजदूर की उपस्थिति दर्शाकर शासकीय राशि निगल जाने की बात भी सामने आ रही है!

सड़क के लिये 15 पुलिया खरीदी के भुगतान हो चुकने के बाद मात्र 1 पुलिया को ही ग्रामीणों द्वारा आपसी श्रमदान से लगाया गया है!
       सरपंच के द्वारा उक्त कार्य में फर्जी मजदूरों के नाम पर मशीनों के भुगतान की बात स्वीकारी जा रही है! सरपंच की मानें तो पूरी पंचायत ही इस गड़बड़ी की जिम्मेदार है!


 पंचायत के सचिव, रोजगार सहायक व पंचों द्वारा कथित प्रस्ताव पारित करके काल्पनिक मजदूरों के नाम पर राशि आहरित करने की बात भी सरपंच मनोज उइके द्वारा स्वीकार की गई है! वहीं बहुत जल्द  शेष भुगतान करने की बात कही जाती है; तो सचिव शंकर यादव व मनरेगा की मुख्य कड़ी रोजगार सहायक भारती डेहरिया को कैमरे के सामने आने से परहेज है!


      इस विषय को “द लोकनीति” द्वारा उठाने पर जनपद पंचायत के मुख्यकार्यपालन अधिकारी द्वारा टेक्निकल जाँच कराने व जल्द ही मजदूरों को भुगतान कराने की बात कही जा रही है!

 

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