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9 जनवरी से लग सकते है मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य सेवा पर ताले ,पढ़ें पूरी खबर

मध्यप्रदेश से गरिमा श्रीवास्तव की रिपोर्ट  :- हड़ताल पर हड़ताल ,आंदोलन पर आंदोलन, आजकल बहुत तेज़ी से इसका विस्तृत रूप सामने आ रहा है। मामला है मध्यप्रदेश का। मध्य प्रदेश के डॉक्टर्स ने सांतवे वेतनमान की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन किया है। बताते चलें कि प्रदेश में सांतवे वेतन के लिए डाक्टरों ने सरकार से मांग की थी पर कथित रूप से कोई कारवाई नहीं की गई। जिसके लिए हार मान कर उन्हें धरना प्रदर्शन करना पड़ा। मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में डाक्टरों की बेहद कमी है ,और डॉक्टरों ने अपने गुस्से का प्रदर्शन इस्तीफा सौंप कर किया है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पता चला है कि शुक्रवार को 13 मेडिकल कॉलेजों के 3300 सीनियर डॉक्टर को इस्तीफा सौंपा । डाक्टरों ने हड़ताल के माध्यम से क्रोध प्रदर्शन करते हुए बताया कि मध्यप्रदेश सरकार हमारी मांगें पूरी नहीं कर रही है जिसके वजह से वह 9 जनवरी से सेवा देना बंद कर देंगे।
गुरूवार को भोपाल के गाँधी मेडिकल कॉलेज के 310 डॉक्टरों ने अपनी मांग को लेकर इस्तीफा दिया था।
साथ ही साथ  जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन ने भी मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन की मांगों का समर्थन कर दिया है।  

डॉक्टर्स ने कहा व्यर्थ ही आंदोलन नहीं कर रहे हैं ,मंत्री से मिलने के बाद भी मांग की सुनवाई नहीं की गई –

मध्यप्रदेश के डॉक्टर्स से बात करने के दौरान पता चला कि उन्होंने आंदोलन व्यर्थ ही नहीं किया है। पहले बहुत ही सरल भाषा का प्रयोग करते हुए मांग की  गई थी पर फिर भी हमारी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। यहां तक कि 9 जनवरी से सेवा न देने की बात भी सार्वजानिक तौर पर कही गई पर फिर भी प्रशाशन ने इसे नज़रअंदाज़ किया जिसके बाद अब यह नौबत आ गयी है कि हमें पद से इस्तीफा देना पड़ रहा है। गुरुवार को मंत्रालय में चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ, प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला की मौजूदगी में मप्र मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों की बैठक हुई लेकिन डॉक्टरों को ठोस जवाब नहीं मिला तो एसोसिएशन ने कॉलेजों के डीन को सामूहिक इस्तीफा सौंप दिया।

 

डॉक्टर्स के इस प्रदर्शन के कारण सरकार को उठानी पड़ सकती है भारी परेशानी –

 डॉ. अग्रवाल ने बताया कि 9 जनवरी से सामूहिक इस्तीफा देने के बारे में महीने भर पहले ही सरकार को सूचना दे दी गई थी। ताकि अस्पतालों में भर्ती मरीज़ों को इस हड़ताल  का भुगतान न करना पड़े ,उन्हें उचित समय पर समुचित सुविधा प्रदान की जा सके। सरकार को तक इस्तीफे की तारीख इसीलिए ही बताई गयी थी  ताकि हड़ताल और इस्तीफे के दौरान मरीज़ों का उचित इलाज़ हो सके।
 मध्यप्रदेश में गरीबी और स्वास्थ्य सेवाओं को राष्ट्रीय सूचकांक के बराबर लाना अब भी बड़ी चुनौती है।और अब यह बड़ी परेशानी सामने आ गई है। डॉक्टर्स मांग न पूरी होने पर इस्तीफा दे रहे हैं।

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