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MP के ये कलेक्टर, मिलावट की शिकायत पर पहले करते हैं इंकार, फिर करवाते है गुप्त जांच

भोपाल/निशा चौकसे:- मध्य प्रदेश शासन के मुखिया शिवराज सिंह चौहान यह कहते नहीं थकते की अगर कोई भी मिलावट खोर मिलावट करते पकड़ा गया तो जमीन के नीचे जिंदा गाड़ दूंगा या मध्य प्रदेश से बाहर निकाल फेंकूंगा मगर उमरिया के मिलावटखोरों को इनका खौफ नहीं है यह मिलावट खोर सरकारी खाद्यान्न में मिलावट करके गरीब हितग्राहियों को गेहूं और चावल बांट रहे हैं और गरीब हितग्राही मिलावटी गेहूं और चावल को लेने के लिए मजबूर हैं तो वहीं प्रशासन इस मामले के जांच की बात कर दोषियों को सजा देने की बात कह रहा है।

दरअसल मामला उमरिया जिले के मानपुर विधानसभा के ग्राम करौदी टोला कठार का है जहां पर एक शासकीय राशन दुकान में यह गोरख धंधा चल रहा है जहां पर मिलावटी चावल और गेहूं को गरीब जनता को बांटा जा रहा है यहां तक की जब मौके का जायजा लिया तो देखा कि मिलावटी चावल और गेहूं के साथ कीड़े भी बेचे जा रहे थे।  उन बोरियों में कीड़े भी देखने को मिले और तो और बोरी ऊपर से मशीन के द्वारा सिली हुई थी लेकिन नीचे से हाथ से सिली हुई थी अब तो मिलावटखोरों ने हद ही पार कर दी।

जब मिलावटी गेहूं और चावल की बात जिले के कलेक्टर को पता लगी तो कलेक्टर ने इसे गलत बताते हुए एसडीएम को तत्काल गुप्त छापे मारने के आदेश दिए लेकिन अभी तक सरकारी तंत्र के हाथ खाली हैं।

अब सवाल यह उठता है कि इस मिलावटखोरी में नागरिक आपूर्ति निगम, वेयरहाउस या फिर मिलर की क्या भूमिका है अब इन तीनों पर एक सवालिया निशान है या फिर तीनों दोषी हैं अब जब जिला प्रशासन जांच की बात करता है तो जांच में पाए गए दोषियों को क्या सजा मिलती है यह तो समय के गर्भ में है लेकिन हितग्राही को तो यह पता नहीं है कि मैं गेहूं का पैसा दे रहा हूं या चावल का हितग्राही तो गरीब है जो मिलेगा उसे घर ले जाएगा जांच तो एक प्रक्रिया का हिस्सा है जो कागजों में चलता रहेगा यदि वही जांच करने का जिम्मा जिला आपूर्ति अधिकारी को मिला तो नतीजा सिफर ही रहेगा।

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