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स्कूली शिक्षा के बिगड़ते हालत पर प्रदेश सरकार खुद जिम्मेदार , क्यों नहीं किया जा रहा सुधार ?   

ग्वालियर : मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों की शिक्षा अत्यंत दयनीय स्थिति में हो चुकी हैं। प्राथमिक से लेकर उच्तर माध्यमिक तक की शिक्षा ख़त्म हो चुकी  हैं। खबरों के अनुसार आज सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने से लोग डरते है, कही वहां जा कर मेरे बच्चों का भविष्य ख़राब न हो जाये। प्राइवेट स्कूलों की हालात भी कुछ बढ़िया नहीं हैं। प्राइवेट स्कूल के शिक्षक बच्चों को टियूशन के लिए अपने ही पास बुलाते हैं। जिससे की उनको दोनों जगहों पर लाभ मिल सके। आज के शिक्षा के हालत पर जितना लिखू बहुत कम हैं। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में तबादले से स्थिति और ख़राब होने लगी हैं। 
 
गौरतलब है कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में लगातार तबादले हो रहे हैं। जिससे की वहां के ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। बता दे कि प्रदेश में हाल ही में शिक्षकों के थोक में तबादले हुए हैं। मिली जानकारी अनुसार ऑनलाइन ट्रांसफर होने की वजह से शिक्षकों और छात्रों के बीच अनुपात घटा – बढ़ा हैं। जिसका खामियाज़ा छात्रों को चुकाना पड़ रहा हैं। हालांकि स्कूलों के बिगड़े हालातों को लेकर कलेक्टर ने पदस्थापना की विसंगतियां दूर करने के लिए जिला शिक्षा विभाग को निर्देश दिए गए हैं। 

बता दे कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत 40 बच्चों पर एक शिक्षक तैनात होना चाहिए। ग्रामीण इलाकों में 450 से ज्यादा स्कूल ऐसे हैं जिनमें छात्र संख्या 50 से लेकर 100 के बीच में है।लेकिन इनमें मात्र एक शिक्षक पदस्थ हैं।  

ग्वालियर जिले में शिक्षक और विद्यार्थियों का अनुपात 

मिली जानकारी के अनुसार ग्वालियर जिले में प्राइमरी, मिडिल और हायर सेकेंडरी स्कूल मिलाकर 1973 स्कूल हैं। इनमें 25 फीसदी स्कूल ऐसे हैं जिनमें अब बमुश्किल एक-एक शिक्षक ही रह गए हैं। शिक्षक नहीं पहुंचे तो स्कूलों में ताले लटके रहते हैं। वहीं ग्वालियर शहर के कसेरा ओली प्राथमिक स्कूल में 15 बच्चों को पढ़ाने के लिए 4 शिक्षकों की तैनाती की गई है। तो उधर 1952 में शुरु हुए रमटापुरा प्रायमरी स्कूल में बच्चों की संख्या महज 8 हैं। इनको पढ़ाने के लिए यहां चार शिक्षक तैनात हैं. पढ़ने के लिए एक-दो बच्चे से ज्यादा आते नहीं हैं। 

मिली जानकारी के मुताबिक ग्वालियर जिले में स्कूली शिक्षक और छात्र संख्या

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