मध्यप्रदेश/भोपाल – मध्य प्रदेश में जिस तरह से काेरोना संक्रमण की रफ्तार है, उससे स्पष्ट है कि ऑक्सीजन की मांग तेजी से बढ़ेगी। इसे लेकर सरकार हर संभव प्रयास कर रही हैं। नए ऑक्सीजन प्लांट बनाने पर फोकस करने के साथ ही अन्य विकल्पों पर भी काम हो रहा हैं।
ऑक्सीजन की मांग को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री स्वयं केंद्र सरकार और राज्य के बाहर प्लांटों में बात कर रहे हैं।
बता दे कि मध्यप्रदेश में कोरोना के एक्टिव मरीजों का आंकड़ा 92 हजार के पार हो गया हैं। इसमें से 21 हजार 457 मरीज ऑक्सीजन और आईसीयू बेड पर हैं। ऐसे में हर दिन 500 से 600 टन ऑक्सीजन की सप्लाई सरकार के सामने चुनौती बनती जा रही हैं।
वहीं, कलेक्टरों और कोर ग्रुप के सदस्यों के साथ बुधवार को काेरोना की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अस्पतालों के प्रबंधन से कहा है कि ऑक्सीजन की कमी की सूचना कम से कम 6 घंटे पहले दें, ताकि समय पर व्यवस्था की जाए। अस्पताल से ऑक्सीजन की मांग 1 घंटे पहले आती है। ऐसी स्थिति में तत्काल इंतजाम करना मुश्किल होता हैं।
इसके अलावा मुख्यमंत्री ने कलेक्टरों को निर्देश दिए है कि अस्पतालों में ऑक्सीजन का ऑडिट किया जाए। अस्पतालों में ऑक्सीजन की मैपिंग शुरू करें। कलेक्टर प्रतिदिन देखें कि कितनी ऑक्सीजन लग रही है? इसके आधार पर चार्ट तैयार करें और मांग निर्धारित करें।
दरअसल, मंगलवार को 93 टन ऑक्सीजन की गड़बड़ी सामने आई। जिसका खुलासा मंगलवार को हुई कोरोना की रिव्यू मीटिंग में हुआ। सरकार के रिकाॅर्ड के मुताबिक 26 अप्रैल को सभी जिलों में 527 टन ऑक्सीजन सप्लाई की गई थी, लेकिन जिलों से आई जानकारी में 434 टन आपूर्ति बताया गया हैं। यानी 93 टन ऑक्सीजन की खपत का रिकाॅर्ड नहीं मिला।
जिसके बाद मुख्यमंत्री ने कलेक्टरों को निर्देश दिए कि ऑक्सीजन की खपत पर ध्यान दें। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन की मांग और आपूर्ति का सही डेटा जिलों से आना चाहिए। इसमें लापरवाही नहीं होना चाहिए।