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सिहोरा : बारिश में भरभराकर गिरे गरीबों के आशियानें ,न सर्वे हुआ और मुआवजे का तो अता -पता नहीं। ….

सिहोरा : बारिश में भरभराकर गिरे गरीबों के आशियानें ,न सर्वे हुआ और मुआवजे का तो अता -पता नहीं। …..  

  • पीड़ित परिवारों को शीघ्र मिले आर्थिक मदद 
  • परेशानी में कट रहे दिन ,परिवार बेहद परेशान 
  • दो वक्त की रोटी खाने और सर छुपाने के लिए जगह नहीं 

जबलपुर जिले की सिहोरा तहसील के ग्रामीण क्षेत्र का मामला

द लोकनीति डेस्क सिहोरा 

आशियाना एक ऐसा शब्द है जो दुनिया में हर जीव -जंतु ,जानवर ,इंसान के लिए उसका ठिकाना होता है। अमीरों के लिए बंगला ,मध्यमवर्गीय के लिए उसका घर ,और गरीबों के लिए उनका कच्चा घर या झोपड़ी ही उनके लिए आशियाना होता है। लेकिन उसके सिर से छत ही छिन जाए तो वह सर छुपाने के लिए कहा भागेगा ?? हालाँकि भारत में तमाम सरकारी योजनाओं के बैनर और अखबारों की माने तो सभी के पास प्रधानमंत्री आवास का पक्का मकान देने की बात तो कही जा रही है लेकिन जमीनी हक़ीक़त में सबकुछ हैरान करने वाला है। 

यहां देखिये आवास योजना तो दूर। ….. साहब !!  मकान गिरने का सर्वे तक नहीं हुआ …..


सिहोरा तहसील के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र जैसे गोसलपुर,कछपुरा,जुझारी, बेला,सिलुवा,टिकरिया, धरमपुरा, हृदय नगर, देवनगर, वरनू तिराहा, धमधा, घोराकोनी,खजरी, भदम और घुटना मे पिछले दिनों से हो रही तेज बारिश के कारण कच्चे मकान गिर गए थे। पहले भी बारिश में दर्जनों गरीबों के मकान गिर गए थे परंतु उन्हें आज तक राहत राशि नहीं मिली।  बारिश के चलते गरीबों के आशियाना गिरने के कारण उन्हें रहने खाने एवं अपने परिवार का गुजर-बसर करने में भारी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। 

प्रशासनिक अमला अपनी बड़ी गाड़ियों से झाँकने तक नहीं पहुँचा : पीड़ितों के मुताबिक़ उनके कच्चे मिट्टी के मकान बारिश में भरभराकर गिर गए थे एक सप्ताह से ज़्यादा का समय बीत गया लेकिन प्रशासन ने उनकी कोई सुध नहीं ली कि वे जिंदा या मर गए। AC चैम्बर में बैठकर लोगों के टैक्स से तनख़्वाह पाने वाले अफ़सर जनता के सेवक माने जाते है लेकिन शायद वे सरकार से मिली बड़ी -बड़ी गाड़ियों से बड़े -बड़े कारनामे और घटनाएं देखने ही निकलते है। शायद उन्हें इस बात का एहसास नहीं है कि किसी के सर से छत छिन जाने का दर्द क्या होता है क्योंकि बाबू साहिब के लिए दर्द में भी आत्मनिर्भर होने का अनुभव जो जाता है।  

न ग्राम पंचायत न अधिकारी न सरकार की मिली मदद…… हम जायें तो जायें कहाँ ?? – पीड़ित 
ऐसे में स्थानीय ग्राम पंचायतों का नैतिक दायित्व बनता है की पीड़ित परिवार को आवास की व्यवस्था के साथ ही भोजन राशन इत्यादि की व्यवस्था करना चाहिए परंतु गरीब परेशान है उनकी कोई भी व्यक्ति मदद करने को तैयार नहीं है लोगों ने सिहोरा तहसीलदार से हल्का पटवारियों के माध्यम से बारिश के चलते गिरे मकानों का शीघ्र सर्वे कराकर राजस्व पुस्तक परिपत्र 6/4 के तहत सहायता राशि दिलाने की मांग की है ताकि पीड़ित व्यक्ति अपने गिरे मकान की मरम्मत करा सके। 

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