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सिहोरा: खाद्यान्न पर्चीया ना मिलने से सैकड़ों परिवार भूखों मरने की कगार पर।

सिहोरा : खाद्यान्न पर्चीया ना मिलने से सैकड़ों परिवार भूखों मरने की कगार पर।

 

गांधीग्राम​​​​​​
जिम्मेदार दे रहे गैरजिम्मेदाराना जवाब। गांधीग्राम-गांधीग्राम ग्राम पंचायत क्षेत्र में सैकड़ों परिवार जनपद पंचायत और खाद्यान्न विभाग की हठधर्मिता के कारण आज भूखे मरने की कगार पर है। विदित हो कि गांधीग्राम क्षेत्र के लगभग 3 सैकड़ा परिवार अभी भी खाद्यान्न से वंचित हैं, ग्रामीणों ने बताया कि विगत 3 माह से वह सभी लाकडाउन के कारण भुखमरी का शिकार है। शासन प्रशासन के लाख दावे,वादों,इरादों के बावजूद हकीकत यह है कि खाद्यान्न विभाग की उदासीनता और जनपद पंचायत के कर्मचारियों की मनमानी के कारण लोगों तक खाद्यान्न नहीं पहुंच पा रहा है। 

खाद्यान्न विभाग व जनपद पंचायत के चक्कर लगा रहे–अकेले माल्हा गांव में ही लगभग 85 बीपीएल कार्ड धारक और दर्जनों संबल कार्ड धारक हैं जो विगत 4 वर्षों से खाद्यान्न पर्ची के लिए ग्राम पंचायत और जनपद पंचायत सिहोरा एवं खाद्यान्न विभाग के चक्कर काट रहे हैं। मगर हर जगह एक ही जवाब मिलता है पोर्टल बंद है,पोर्टल बंद है, यहां से हमने भेज दिया है। भोपाल  कार्यालय से अप्रूवल होना बाकी है! किंतु विगत तीन-चार वर्षों में भोपाल कार्यालय ने इन्हें अभी अप्रूवल नहीं दिया है।
सरपंच व जनपद सदस्य के प्रयासों को नही मिली सफलता–विदित हो कि गांधीग्राम क्षेत्र के माल्हा टोला कि 90 फ़ीसदी आबादी गरीब अशिक्षित एवं बेरोजगार है।कमोबेश यही हाल रामपुर टोला का भी है, ऐसा नहीं है कि इसके लिए पहले प्रयास नहीं हुए गांव के सरपंच और जनपद सदस्य ने कई बार इस बात से जनपद पंचायत तहसीलदार और खाद्यान्न विभाग के अधिकारियों को अवगत कराया है। किंतु हर बार वहां से यही रटा रटाया जवाब मिलता है । बस महीना 15 दिन में हो जाएगा । मगर पिछले तीन-चार वर्षो में माल्हा टोला और रामपुर टोला की इस समस्या का कोई निराकरण नहीं हो सका।ऑनलाइन सिस्टम लोगों को कर रहा परेशान–जानकारी के लिए जिम्मेदारों के यहां चक्कर भी काटे, परन्तु सब कुछ ऑनलाइन होना बताकर टरका दिया गया। उसकी समझ में नहीं आ रहा कि यह ऑनलाइन सिस्टम लोगों को सुविधा देने के लिए है या फिर उन्हें परेशान करने के लिए। खाद्य सुरक्षा योजना को लेकर ये पीड़ा ग्रामीणों की है। जिम्मेदारों से अगर कोई बात करें तो वे अपना पल्ला झाड़ लेते हैं, और इतनी बेरुखी से जवाब देते हैं। जैसे वह इनका काम नहीं बल्कि कोई एहसान कर रहे हो। 
इस संबंध में  खाद्यान्न विभाग  व अधिकारियों का समस्या कहना है कि हमने अपना काम कर दिया है बाकी जानकारी भोपाल कार्यालय से लीजिए।हमारा काम आधार कार्ड और बीपीएल संबल कार्ड लिंक करना है। मगर जब तक भोपाल कार्यालय से लिंक नहीं होगा हम कुछ नहीं कर सकते।
योजना केवल कागजों में ही हो रही संचालित

बीपीएल की योजना कुछ लोगों के लिए कागजों में दफन होकर रह गई है। कार्ड थमा दिए गए हैं, लेकिन पर्चियां नहीं मिलने से वह राशन से वंचित रह जाते हैं। गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले ऐसे परिवार जो अपनी भौतिक आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ हैं। उनके जीवन निर्वाह के लिए सरकार ने बीपीएल की सुविधा लागू की है। लेकिन गरीबों को इसका कितना लाभ मिल पा रहा है यह किसी से छिपा नहीं है।सैकड़ों गरीब परिवार ऐसे हैं उनको इसका लाभ नहीं दिया गया है। खाद्यान्न पर्ची नहीं मिलने से गरीब सरकारी राशन से वंचित रह जाते हैं। 
 इनका कहना है–   “हमने सभी पात्र हितग्राहियों की फीडिंग करा कर जनपद पंचायत और खाद्यान्न विभाग भिजवा दिया है वहां से पर्ची जनरेट होना बाकी है  हमारे द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे किंतु कोई सफलता नहीं मिली है।-खाद्यान्न पर्ची जनरेट होने का काम अमूमन एक-दो माह में हो जाता है, मगर अगर हितग्राहियों को खाद्यान्न पर्चियां ना मिले तो इसके लिए हम जिम्मेदार नहीं हैं”
 (मीनाक्षी दुबे खाद्यान्न अधिकारी सिहोरा।)

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