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नक्सलियों से लड़ते हुए सीधी का सीआरपीएफ जवान शहीद, देर शाम गृह नगर पहुंचा पार्थिव शरीर, अंतिम दर्शन को उमड़ी भारी भीड़

सीधी से गौरव सिंह की रिपोर्ट – छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिला के बोदली में सड़क निर्माण सुनिश्चित कराने के लिए गस्त पर सीआरपीएफ जवानों के साथ निकले छत्तीसगढ़ के आम्र्ड फोर्स मे पदस्थ प्रधान आरक्षक देवेन्द्र ङ्क्षसह की भिड़ंत नक्सलाइटों से होने पर गोली लगने से शनिवार को शहीद हो गए। उनके साथ ही एक अन्य प्रधान आरक्षक भी नक्सलियों के हमले में शहीद हो गए। साथ ही सीआरपीएफ के तीन आरक्षक भी घायल हो गए। शहीद देवेन्द्र ङ्क्षसह का पार्थिव शरीर रविवार को उनके गृह नगर सीधी के विष्णुनगर लाया गया।

शहीद के पार्थिव शरीर के पहुंचने पर विष्णूनगर में स्थानीय पुलिस अधिकारी भी उपस्थित रहे। शहीद के पार्थिव शरीर के पहुंचते ही परिजनों के रोने विलखने का दौर तेज हो गया। पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन करने के लिए लोगों की भीड़ इस दौरान उमड़ पड़ी। नम आंखों से लोगों ने शहीद के पार्थिव शरीर का दर्शन किया। साथ ही रोते विलखते परिजनों को भी लोगों ने ढाढ़स बधाया। अपरान्ह करीब 4:30 बजे पार्थिव शरीर विष्णु नगर छत्तीसगढ़ के जवान पहुंचे। यहां करीब आधे घंटे तक पार्थिव शरीर को रखा गया। इसके बाद सोन नदी के गऊघाट में अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया। जहां जवान के पुत्र के द्वारा सोननदी के गउघाट में मुखाग्रि दी गई। 

शहीद जवान की पिता व दादा भी एसएसएफ में पदस्थ थे। पिता भी ड्युटी के दौरान शहीद हो गए थे, जिस पर उनके पुत्र को अनुकंपा नियुक्ती मिली थी। बताया गया कि सीधी शहर के विष्णु नगर निवासी देवेंद्र सिंह पिता जयबीर सिंह 35 वर्ष छत्तीसगढ़ आम्र्ड फोर्स की 22वीं बटालियन बी कंपनी मे कार्यरत थे। जिनकी ड्युटी दंतेवाड़ा पथरगुड़ा जगदलपुर के ओरछा क्षेत्र मे सड़क निर्माण कार्य मे सुरक्षा को लेकर लगाई गई थी। शनिवार को कंपनी के पांच सदस्यों के द्वारा सर्चिंग की जा रही थी। इस बीच घात लगाकर झाड़ी मे छिपे नक्सलाइटों के द्वारा हमला कर दिया गया। जिससे देवेंद्र सिंह के साथ एक अन्य जवान की मौत हो गई, जबकि तीन जवान घायल हो गए। शहीद का शव रविवार को सीधी लाया गया, जहां उनके पुत्र के द्वारा मुखाग्रि दी गई।

दो बेटों के सिर से उठ गया पिता का साया: 

शहीद देवेंद्र सिंह के दो पुत्र हैं, जिनमें बड़ा पुत्र राज सिंह 12 वर्ष व छोटा पुत्र सिद्धार्थ सिंह 8 वर्ष का है। शहीद की शादी 21 जून 2007 में पूजा सिंह नामक युवती से हुई थी, जो शादी के 13 वर्ष बाद विधवा हो गई।

डेढ़ माह पूर्व आये थे घर: 

शहीद देवेंद्र सिंह की अपने बीबी बच्वों व परिजनों से मुलाकात डेढ़ माह पूर्व हुई थी। इसके बाद वे जिंदा घर नहीं आ सके बल्कि उनका शव घर आया। विगत 17 जनवरी को छोटे भाई योगेंद्र सिंह के पुत्र के मुडंन संस्कार मे शामिल होने ड्युटी से वापस घर आए थे, 23 जनवरी को फिर वापस ड्युटी मे चले गए, इसके बाद वह अपने परिवारजनों से मुलाकात नहीं कर पाए। परिजन उनके जल्द ही घर आने की उम्मीद किए हुए थे। लेकिन उनका पार्थिव शरीर पहुंचा। 

शहीद के दाह संस्कार में नही पहुंचे बड़े अधिकारी 

शहीद देवेन्द्र ङ्क्षसह के सोन नदी के गऊघाट में हुए दाह संस्कार के दौरान कोई भी स्थानीय बड़े प्रशासनिक अधिकारी नही पहुंचे। जबकि शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए लोगों की भीड़ जमा थी। देश की सेवा करते हुए शहीद का शव आने की सूचना पूरे प्रशासनिक अधिकारियों को थी, किंतु शहीद के अंतिम संस्कार कार्यक्रम मे कलेक्टर से लेकर पुलिस अधीक्षक व अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा जाना उचित नहीं समझा गया। छत्तीसगढ़ आम्र्ड फोर्स से आए पुलिस के जवानों के द्वारा सलामी देकर दाह संस्कार मे मदद किए। दाह संस्कार के बाद लोगो के बीच बड़े प्रशासनिक अधिकारियों की गैरहाजिरी को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई। लोगों का मानना था कि शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए बड़े प्रशासनिक अधिकारियों का आना काफी आवश्यक था। जिसको लेकर वह पूरी तरह लापरवाह रहे।
 

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