"शिव राज" सिंधिया को देशद्रोही बताने पर क़ायम, यानि जो हल्के थे, उन्हें हल्के में ही लिया
मध्यप्रदेश/भोपाल – शनिवार 20 मार्च को कमलनाथ सरकार गिरे हुए एक साल पूरा हो गया। इसी मौके पर कांग्रेस ने सम्मान दिवस मनाया। साथ ही कांग्रेस ने राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को घेरने की कोशिश की। इस संबंध में ट्वीट भी किया गया।
प्रदेश कांग्रेस की ओर से भी एक ट्वीट कर सीएम शिवराज से पूछा गया है कि क्या सिंधिया देशद्रोही थे। वेबसाइट के हवाले से लिखा है कि महाराज सिंधिया अंग्रजों के यहां छिपे थे। रानी लक्ष्मीबाई ने ग्वालियर जीता और सिंधिया ने भागकर आगरा में अंग्रेजों के यहां शरण ली। कांग्रेस ने कहा है कि जो सन 1857 में देश के गद्दार थे, वे आज भी गद्दार हैं।
इसी बीच मप्र कांग्रेस ने एक और ट्वीट जारी कर सिंधिया का घेराव किया हैं।कांग्रेस ने ट्वीट करते हुए लिखा की – शिव’राज सिंधिया को देशद्रोही बताने पर क़ायम: कांग्रेस के ट्वीट के बाद भी शिवराज सरकार के जनसम्पर्क विभाग ने सिंधिया का अपमान बरकरार रखा, न वेबसाइट से तथ्य हटाये और न ही कोई प्रतिक्रिया दी। यानि जो हल्के थे, उन्हें हल्के में ही लिया।“सम्मान की तलाश में मनोरंजन बन गये”
बताते चले कि मप्र जनसंपर्क की वेबसाइट में मध्यप्रदेश का इतिहास शीर्षक से लिखा है कि 1857 की क्रांति में मध्यप्रदेश का असर रहा। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में मेरठ, कानपुर, लखनऊ, दिल्ली, बैरकपुर आदि के विद्रोह की लपटें यहां भी पहुंची। तात्या टोपे और नाना साहेब पेशवा के संदेश वाहक ग्वालियर, इंदौर, महू सेत कई क्षेंत्रों में घूम-घूमकर विद्रोह का अलख जगाने में लग गए। उधर, तात्या टोपे और झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने ग्वालियर जीता। महाराजा सिधिया ने भागकर आगरा में अंग्रेजों के यहां शरण ली।